अर्धसैनिक बलों और पूर्व सैनिकों के लिए फेसबुक का इस्तेमाल ना करने के लिए गृह मंत्रालय ने जारी किया आदेश

शिवानी रज़वारिया

सोशल मीडिया का इस्तेमाल भारत में जोर-शोर से होता है। आम से खास कोई भी भारतीय नागरिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र है, पर अब गृह मंत्रालय से यह आदेश जारी किए गए है कि भारतीय सैनिक सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करेंगे। गृह मंत्रालय ने केंद्रीय अर्धसैनिक बलों सीआरपीएफ, आइटीबीपी, बीएसएफ, सीआइएसएफ और एनएसजी को पत्र लिखकर अपने कार्मिकों के लिए फेसबुक प्रतिबंधित करने को कहा है। पूर्व सैनिक भी  फेसबुक का इस्तेमाल नहीं करेंगे यानी पूर्व सैनिकों को भी अपना एकाउंट डिलीट करना होगा। गृह मंत्रालय ने बताया कि उसे गृह राज्य में मंत्री जी। किशन रेड्डी की ओर से अर्ध सैनिक बलों के लिए विदेशी एप का इस्तेमाल बंद करने का 9 जुलाई को ईमेल संदेश मिला है उसी आधार पर सभी केंद्रीय अर्ध सैनिक बलों को पत्र भेजा गया है।

फेसबुक पर अक्सर भारतीय सैनिकों की पोस्ट खूब वायरल होती है, लोग उनका सम्मान भी करते है और अपना प्यार भी देते है। पर अब आगे ऐसा शायद नहीं होगा। मंत्रालय द्वारा सैनिक बलों को भेजे गए संदेश में कहा गया है कि इस संबंध में उठाए गए कदमों या कार्रवाई की सूचना हार्ड और सॉफ्ट कापी के जरिये गृह मंत्रालय को 15 जुलाई तक भेज दें।
इसी क्रम में एक और संदेश में कहा गया है कि सीआरपीएफ, आइटीबीपी में सभी कर्मचारियों और सशस्त्र सेनाओं के संपर्क में रहने के कारण सभी पूर्व सैनिकों के लिए यह प्रतिबंध लागू किया जाए। मेल में लिखा है कि भारत में भी फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे खुद के एप होने चाहिए जिनका इस्तेमाल विदेशी न कर सकें।

जम्मू-कश्मीर में तैनात लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने इसका विरोध किया तो हाई कोर्ट ने लेफ्टिनेंट कर्नल को आड़े हाथ ले लिया, कोर्ट ने कहा कि अगर फेसबुक से इतना ही प्यार है तो वह सेना से इस्तीफा दे दें। पीठ ने कहा कि जब मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा हो तब ऐसी याचिका पर विचार करने का कोई कारण नहीं बनता। फेसबुक व इंस्टाग्राम जैसे 87 सोशल मीडिया प्लेटफार्म का भारतीय सेना के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल प्रतिबंधित किया गया है।

पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि प्रतिबंध की नीति के तहत वह अपना फेसबुक अकाउंट डिलीट करें। पीठ ने कहा कि वह दोबारा अपना फेसबुक अकाउंट बना सकते हैं। याचिका में मिलिट्री इंटेलिजेंस महानिदेशक के अलावा सेना प्रमुख को भी पक्षकार बनाया गया है। याचिकाकर्ता ने कहा कि सोशल मीडिया को प्रतिबंधित करना स्पष्ट रूप से व्यक्ति के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।

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