काबुल एयरपोर्ट पर हुई फायरिंग में 5 लोग मारे गए
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: अफ़ग़ानिस्तान के हालत बद से बद्दतर हो गए हैं। आज काबुल एयरपोर्ट पर अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के लिए इतने लोग जमा हो गए कि अमेरिकी सनिकों को फायरिंग करनी पड़ी। भीड़ को तितर बितर करने के लिए अमेरिकी सुरक्षाबलों ने हवा में भी गोलियां चलाईं। इस फायरिंग में 5 लोगों के मारे जाने की सूचना है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का दावा है कि एयरपोर्ट पर अभी भी हालात बेकाबू हैं। एयरपोर्ट पर अधिक भीड़ होने के बाद यहां पर विमानों के संचालन पर रोक लगा दी गई है।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक, चश्मदीदों ने बताया है कि काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सैनिकों की तरफ से की गई फायरिंग में पांच लोगों की मौत हो गई है। वहीं कई लोग घायल हैं। अमेरिकी सुरक्षाबलों ने ये कार्रवाई ऐसे वक्त की जब काबुल एयरपोर्ट पर प्लेन में सवार होने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।
वहीँ अफ़ग़ानिस्तान से विमानों की आवाजाही पर रोक लगने की वजह से वहां फंसे हजारों भारतीयों की चिंताएं और बढ़ गई हैं। सोमवार को काबुल एयरपोर्ट पर देश छोड़ने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी। काबुल से कॉमर्शियल उड़ानों को रोक दिया गया है। भारत आने वाली और भारत से काबुल जाने वाली उड़ानों पर भी रोक लग गई है, जिसके कारण काबुल से भारत आने की आस लगाए हजारों लोग हवाई अड्डा पर जमा हो गए हैं। सोमवार को दोपहर 12:30 बजे एयर इंडिया का एक विमान दिल्ली से काबुल जाने वाला था, जो रद्द हो गया है। रविवार को ही अमेरिका ने कहा था कि उसके 6,000 सैनिक काबुल एयरपोर्ट की सुरक्षा करेंगे और लोगों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करेंगे। हालांकि ऐसा होता नहीं दिख रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया समेत दुनिया भर के कई देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने में जुटे हैं। लेकिन अब एयरपोर्ट बंद होने और उड़ानें ठप होने के चलते भारत समेत इन तमाम देशों की चिंताएं बढ़ गई हैं।
इधर सऊदी अरब ने कहा कि बदलते जमीनी हालात के मद्देनजर उसने रविवार को काबुल में अपने दूतावास से सभी कर्मियों को निकाल लिया है। अफगानिस्तान की राजधानी पर तालिबान के कब्जे के बाद कई अन्य देशों ने वहां स्थित अपने दूतावास बंद कर दिए हैं।
अफगानिस्तान से चेक देश की पहली उड़ान अपने कर्मियों और अफगान नागरिकों को लेकर काबुल अंततराष्ट्रीय हवाई अड्डे से रवाना हुई और प्राग में उतरी। प्रधानमंत्री आंद्रेज बबिज़ ने कहा कि सोमवार को पहुंची उड़ान में 46 लोग सवार थे। इनमें चेक के नागरिक, चेक दूतावास में अफगान कर्मी और अफगान अनुवादक जिन्होंने नाटो मिशन के दौरान चेक सशस्त्र बलों की मदद की थी और उनके परिवार शामिल थे।