महिलाओं के सशक्‍तीकरण के लिए सुरक्षित डिजिटल स्‍थान तक पहुंच बहुत महत्‍वपूर्ण है : रेखा शर्मा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: सभी क्षेत्रों में महिलाओं द्वारा हासिल की गईं उपलब्धियों पर सभी खुशियां मना रहे हैं, लेकिन इस अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर, महिला शक्ति का जश्‍न मनाने के लिए और भी कई कारण हैं। पूरी दुनिया में महिलाओं ने फ्रंटलाइन वर्कर्स, केयरगिवर्स और लीडर्स, जिन्‍होंने पुरुष समकक्षों की तुलना में कोरोनावायरस से बेहतर तरीके से निपटा है, के रूप में कोविड-19 के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी है। इस साल के यूएन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम – “महिला नेतृत्‍व: कोविड-19 के बाद दुनिया में बराबरी का भविष्‍य हासिल करना” है, जो विशेषरूप से मेरे साथ प्रतिध्‍वनित होती है। यह हमे चुनौतियों का सामना करने और समानता के लिए आवाज उठाने के लिए आमंत्रित करता है, इंटरनेट पर और अधिक महिलाओं को लाने के रास्‍ते खोजने के लिए प्रोत्‍साहित करता है। इसने हमें अधिक लिंग के आधार पर बिना भेदभाव वाले समाज के महत्‍व के बारे में बताया है, जहां महिलाएं अपना उचित प्रतिनिधित्‍व हासिल करती हैं और निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्‍सा होती हैं।

मौजूदा प्रणालीगत बाधाओं और सामाजिक भेदभाव को खत्‍म करने के लिए महिलाओं ने एक काफी लंबा सफर तय किया है। हालांकि, महिलाओं के समावेशी और असाधारण नेतृत्‍व के अलावा, इस महामारी ने समाज में अंतर्निहित असमानताओं को भी प्रमुखता से उजागर किया है। महामारी की असमान मार के अलावा, महिलाओं और लड़कियों को लिंग आधारित हिंसा रूपी महामारी का भी सामना करना पड़ा है। महिलाओं और लड़कियों को साइबर-दुर्व्‍यवहार, ऑनलाइन बलात्‍कार की धमकियां और साइबर धमकियों जैसे अपराधों को सामना करना पड़ता है, जिसमें लॉकडाउन के दौरान महत्‍वपूर्ण रूप से वृद्धि हुई है। अब जैसे कि इंटरनेट हर किसी के लिए अस्तित्‍व और रोजगार का एक बहुत महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा बन गया है, इसलिए अब इसे मौलिक अधिकार के रूप में देखा जा रहा है और इसलिए महिलाओं के सशक्‍तीकरण के लिए सुरक्षित डिजिटल स्‍थान तक पहुंच बहुत महत्‍वपूर्ण है।

महिलाओं के खिलाफ लिंग आधारित साइबर हिंसा समाज में गहराई तक जमी असमानता की जड़ों की ओर इशारा करती है और यह महिलाओं की ऑनलाइन भागीदारी के लिए खतरा पैदा करती है। ऑनलाइन दुर्व्‍यवहार और धमकियों का अत्‍यधिक दबाव अक्‍सर महिलाओं को खुद ही स्‍व-सेंसर करने के लिए प्रेरित करता है, जोकि दुर्व्‍यवहार करने वाले की जीत है और यह लिंग समानता के प्रयासों पर भी प्रतिकूल असर डालता है। ऑनलाइन दुर्व्‍यवहार करने वाले अक्‍सर सोचते हैं कि साइबर अपराध के लिए कोई सजा नहीं होगी, इसलिए लोगों को जिम्‍मेदारीपूर्ण व्‍यवहार करने के लिए संवेदनशील बनाने के अलावा, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में उन्‍हें ऑनलाइन दुर्व्‍यवहार की सूचना देने और शिकायत निवारण तंत्र के बारे में जागरूक करना बहुत महत्‍वपूर्ण है।

भारत में लगभग 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स ( 500 million internet users in India)  हैं, लेकिन शहरी इलाकों में केवल 40 प्रतिशत महिलाएं इंटरनेट का उपयोग करती हैं और ग्रामीण इलाकों में, ऐसा अनुमान है कि केवल 31 प्रतिशत महिलाएं ही इसका उपयोग करती हैं। इंटरनेट की पहुंच में वृद्धि और शिक्षा जैसी बुनियादी सेवाओं, जो सभी के लिए आवश्‍यक है, तक पहुंच के लिए टेक्‍नोलॉजी का उपयोग बढ़ने से नागरिकों के बीच डिजिटल साक्षरता बढ़ाना अब दक्षता संपन्‍न लोगों के लिए आवश्‍यक हो गया है। डिजिटल साक्षरता में कम्‍प्‍यूटर का उपयोग सिखाने में लोगों की मदद करना शामिल है लेकिन यह केवल यहीं तक सीमित नहीं है। यह नौकरी खोजने, व्‍यवसाय स्‍थापित करने और वैश्विक समुदाय में शामिल होने के लिए आवश्‍यक जानकारी प्राप्‍त करने के लिए एक आवश्‍यक कौशल निर्माण पर केंद्रित है।

राष्‍ट्रीय महिला आयोग महिलाओं के बीच डिजिटल नेतृत्‍व बनाने की दिशा में निरंतर काम कर रहा है। हमें लगता है कि यह किसी एक संस्‍था की अकेली जिम्‍मेदारी नहीं है। सभी प्रतिभागियों का साथ मिलकर काम करना महत्‍वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, हमनें वैश्विक साक्षरता कार्यक्रम वी थिंक डिजिटल के लिए फेसबुक के साथ भागीदारी की है। इस कार्यक्रम का लक्ष्‍य महिलाओं और लड़कियों को डिजिटल सुरक्षा के बारे में जागरूक बनाना और उन्‍हें स्‍वयं को ऑनलाइन सुरक्षि‍त रखने के बारे में प्रशिक्षण देना है। इस परियोजना के तहत, जिसे 2019 में शुरू किया गया था, 2019 से अबतक 160,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

ऑनलाइन उत्‍पीड़न डिजिटल क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रतिबंधित करता है और स्‍वतंत्र भागीदारी एवं विचारों के आदान-प्रदान में भी बाधा उत्‍पन्‍न करता है। राष्‍ट्रीय महिला आयोग का मानना है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में अपना स्‍थान बनाना चाहिए और उनका समान ऑनलाइन प्रतिनिधित्‍व उनके अधिकारों को मजबूत बनाने के लिए महत्‍वपूर्ण है। चूंकि इंटरनेट एक्‍सेसिबिलिटी रोजगार के लिए एक मूलभूत आवश्‍यकता बन गई है, ऑनलाइन उत्‍पीड़न की वजह से महिलाओं की भागीदारी में कमी आई है, इसे उनके साथ क्रूरता के रूप में देखा जाना चाहिए। ऑनलाइन संसाधनों और क्षेत्र तक पहुंच हर महिला का अधिकार है और यह हमारी सामूहिक जिम्‍मेदारी भी है कि इंटरनेट को महिलाओं के लिए एक सुरक्षित स्‍थान बनाया जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *