सेंटर फॉर सैल्युलर एण्ड मॉलीक्युलर बायोलोजी के मुताबिक आई2क्योर बायोशील्ड लोशन है SARS-COV-2 के खिलाफ़ 97 फीसदी प्रभावी

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: प्रमुख शोध संस्थान, सेंटर फॉर सैल्युलर एण्ड मॉलीक्युलर बायोलोजी (सीसीएमबी) ने SARS-COV-2के खिलाफ़ आई2क्योर बायोशील्ड लोशन की प्रभाविता की जांच की है। SARS-COV-2 पर किए गए एंटी-वायरस टेस्ट में पाया गया कि 5 मिनट के अंदर वायरस में 97 फीसदी की कमी आई।

वायरस के कणों का आकार भी 10 6.2 से कम होकर 10 4.5 हो गया। इस प्रयोग में औसत मानकों की गणना वायरस में कमी की प्रतिशतता के आधार पर की गई। सीसीएमबी के अग्रणी वैज्ञानिक इनचार्ज डॉ बी. किरण कुमार के नेतृत्व में इस प्रयोग को अंजाम दिया गया।

सीएसआईआर-सीसीएमबी जांच से लेकर एंटी-वायरल समाधानों के सत्यापन एवं किट तक के लिए देश में कोविड- 19 के खिलाफ़ लड़ाई में सक्रिय रहा है। यह देश की ज़रूरतों के मद्देनज़र शोध के परिणामों के आधार पर आधुनिक तकनीकों का विकास करता रहा है।

हाल ही में कोविड-19 का नया म्यूटेन्ट पहले की तुलना में कहीं अधिक मजबूत हो गया है और यह हवा से भी फैल सकता है। सीएसआईआर-सीसीएमबी एवं सीएसआईआर-आईएमटेक द्वारा किए गए अध्ययनों के मुताबिक वायरस एक संक्रमित व्यक्ति से दूर जाकर 2 मीटर से भी अधिक दूरी तय कर सकता है। आई2 क्योर बायोशील्ड TM लोशन एक मात्र एंटी-माइक्रोबियल है जिसे वायरल लोड के खिलाफ़ 97 फीसदी प्रभावी पाया गया है, ऐसे में इसके इस्तेमाल के बाद संक्रमित व्यक्ति से वायरस के संचरण की संभावना सीमित हो जाती है।

चूंकि बायोशील्ड TM होस्ट के स्तर पर वायरल लोड को तोड़ने में सक्षम है, यह निश्चित रूप से वायरस के संचरण को सीमित करने में कारगर होगा। आयोडीन के मौजूदा फॉर्मूलों के विपरीत, जो एक्वस स्वभाव के होते हैं, तथा जलन, दाग, गंध आदि भी पैदा करते हैं, आई2 क्योर बायोशील्ड TM में सिर्फ मॉलीक्युलर आयोडीन होती है जिसे 1500 ppm(1500 parts per million) पर आइसोलेट कर कर 100 फीसदी वैजीटेबल ग्रेड ग्लीसरीन में स्टेबिलाइज़ किया जाता है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलोजी के मुताबिक इसमें से सभी टॉक्सिन्स निकल जाते हैं और दाग एवं गंध की संभावना नहीं रहती। एक बार बायोशील्ड™ का उपयोग करने से फ्री मॉलीक्युलर आयोडीन सीधे एपिडर्मिस में चली जाती है, जिससे दाग या गंध की संभावना नहीं रहती। इसे धोने या रगड़ कर निकालने की ज़रूरत भी नहीं होती। यह त्वचा में समाकर किसी भी तरह के वायरस, बैक्टीरिया और फंगल लोड को कम कर देती है तथा 6 घण्टे तक प्रभावी रहती है।

दुनिया की जानी-मानी लैब्स जैसे सीएसआईआर-सीसीएमबी (सेंटर फॉर सैल्युलर एण्ड मॉलीक्युलर बायोलोजी), एनालिटिकल लैब ग्रुप, चोकसी लैब्स, श्रीराम टेस्टिंग लैबोरेटरीज़, द इंडियन इंसटीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलोजी ने  वायरस, बैक्टीरिया और फंगस के खिलाफ़ मॉलीक्युलर आयोडीन की प्रभाविता को पहचाना और सत्यापित किया है।

इसके अलावा आईआईटी-कानपुर ने मॉलीक्युलर आयोडीन आधारित उत्पादों पर अनुसंधान के लिए हाल ही में आई2क्योर प्रा लिमिटेड के साथ साझेदारी भी की है, यह अनुसंधान आईआईटी-कानपुर की बायोलोजिकल साइन्सेज़ एवं बायोइंजीनियरिंग विंग द्वारा किया जाएगा।

श्री रमेश मेनन, डायरेक्टर- आई2क्योर ने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि हम सबसे सुरक्षित, सबसे प्रभावी और त्वचा के अनुकूल एंटीमाइक्रोबियल लेकर आए हैं, जो SARS-CoV-2 के खिलाफ़ प्रभावी पाया गया है। पिछले कुछ महीनों में वायरस बहुत अधिक मजबूत हो गया है, ऐसे में देश को एक सशक्त एंटी-माइक्रोबियल समाधान की ज़रूरत है ताकि मनुष्य, सामाजिक कल्याण एवं देश की अर्थव्यवस्था पर वायरस के बुरे प्रभावों को समाप्त किया जा सके।

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