आजादी का अमृत महोत्सव और कोविड टीकाकरण में 75 करोड़ की सफलता

तरुण शर्मा

इसी साल 15 अगस्त को भारतवर्ष ने आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है, जिसे सरकार अमृत महोत्सव के रूप में मना रही है। आजाद भारत में देश के स्वर्णिम भविष्य की नींव रखी गई, जिसके लगभग सभी प्र्रतिमानों पर तरक्की हासिल कर नये कीर्तिमान गढ़े गए। शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास की नीतिगत योजनाएं बनाई गईं, जिससे भारत का नाम विश्वपटल पर अंकित हो गया। वर्ष 1947 से अनवरत जारी विकास के इस सफर पर अचानक कोविड के घने काले बादल छा गए, विकास का पहिया, रूक गया, कारखानों में काम बंद करना पड़ा, बच्चे स्कूल जाने से वंचित हो गए, मजूदरों का पलायन शुरू हो गया, सभी को भविष्य की अनिश्चितता सताने लगी, इसी बीच संक्रमण का बढ़ता प्रकोप लोगों को बीमार और बीमार करता जा रहा था, पहले कोविड के मामलों केवल खबरों में नजर आते थे, फिर पड़ोसियों से संक्रमण की खबरें आने लगी, और फिर पूरे परिवार के परिवार इसकी जद में आ गए।
वर्ष 2020 जनवरी महीने में देश में कोविड के पहले मरीज की पहचान की गई, केरल की पहली महिला कोविड के साथ हुई संक्रमण की शुरूआत दिसंबर महीने तक आते आते लगभग सभी राज्यों तक संक्रमण का प्रकोप फैल गया। अन्य देशों के साथ ही भारत के सामने भी वायरस को मात देने की चुनौती मुंह बाए खड़ी थी, अधिक दिनों तक लॉकडाउन जारी नहीं रखा जा सकता था और संक्रमण नियंत्रण से बाहर हो रहा था। आईसीएमआर और एनआईसीडी के वैज्ञानियों के साथ गहन मंत्रणा कर वायरस को नियंत्रित करने के उपायों पर विचार विमर्श किया गया।

एनआईसीडी के निदेशक डॉ. सुजीत कुमार ने बताया कि दिसंबर 2019 में जब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन में कोविड के बढ़ते मामलों को देखते हुए चेतावनी जारी की थी, इसके बाद से ही देश के संबंधित निकाय इससे बचाव के सचेत हो गए। इस समय तक यह पता लग चुका था कि कोविड वायरस एसएआरसीओवी समूह का ही वायरस है, जिसके प्रोटीन को डीकोड किया जा सकता है। इसके लिए देश की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी के अधिकारियों से बात की गई और भारत बायोटेक के साथ मिलकर कोवैक्सिन के ट्रायल को शुरू किया गया, इस समय तक विश्व के अन्य देशों में भी वैक्सीन पर सफल परीक्षण सामने आने लगे, कोविशील्ड के परिणाम बेहतर देखे गए। विशेषज्ञ देश हित को ध्यान में रखते हुए किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहते थे, इसीलिए कोविशील्ड के साथ ही कोवैक्सिन को भी इमरजेंसी यूथ आर्थोराइजेशन या ईयूए दिया गया, 16 जनवरी वर्ष 2021 को देशभर में कोविड वैक्सीन को लांच कर दिया गया। भारत का कोविड टीकाकरण कार्यक्रम अमेरिका से केवल तीन महीने ही पीछे रहा, टीकाकरण अभियान को व्यापक स्तर पर शुरू करने के लिए पहले कई चरणों के ड्राई रन और प्रशिक्षिण शिविर आयोजित किए गए। देश के बाद बच्चों के लिए संचालित करने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम का बेहतर अनुभव था, इसका प्रयोग व्यस्क टीकाकरण के लिए गया और दुर्गम इलाकों में वैक्सीन पहुंचाने के लिए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के नेटवर्क की सहायता ली गई।

देखते ही देखते मेहनत रंग लाई और वैक्सीन हेजिटेंसी दूर हो गई, लोग बढ़चढ़ कर कोविड टीकाकरण कैंप में भाग लेने लगे। कोरोना योद्धा टीकाकरण अभियान में रीढ़ की हड्डी बने और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित किया। सभी प्रयास और मेहनत रंग लाई 13 सितंबर को देश के पहले व्यस्क टीकाकरण अभियान ने 75 करोड़ का आंकड़ा पार कर दिया, यह देश के लिए गर्व की बात है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के हाल ही में जारी आंकड़ों पर अगर नजर डालेंगें तो पाएगें अभी 18 साल से अधिक उम्र के केवल 58 प्रतिशत युवाओं को पहली डोज लगी है, इसमें से 18 प्रतिशत युवा ऐसे हैं जिन्होंने कोविड वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली है, कोविड वैक्सीन और कोविड अनुरूप व्यवहार ही त्योहार में हमें कोविड संक्रमण के संभावित खतरे से बचा सकता है, इसके साथ ही हमें देशभर में कोरोना के बढ़ते मामलों को भी ध्यान में रखना होगा, जून महीने के बाद एक फिर देशभर में रोजाना कोविड के मामले बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं, इसके साथ पश्चिमी देशों में कोविड के बढ़ते प्रकोप के बीच विशेषज्ञ तीसरी लहर से इंकार नहीं कर रहे हैं, टीकाकरण की गति बढ़ाने के साथ ही त्योहार पर होने वाली भीड़ को देखते हुए कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन हमें खुद अपनी आदतों में शामिल करना होगा। कोविड से लड़ते हुए हमने एक लंबा समय गुजार लिया है कुछ दिन का और संयम हमें विजयी बना सकता है। कोशिश करें कि पहली और दूसरी लहर के एवज में हम जानमाल के कम नुकसान के साथ इस दौर को पार करें। सब साथ रहेगें तो त्योहार आगे भी मनाते रहेगें, फिलहाल के लिए “सुरक्षा सर्वोपरि”।

टीकाकरण से जुड़ी तमाम भ्रांतियां अब गुजरे जमाने की बात हो गई। कोविड से मुक्ति का अभियान अब राष्ट्र स्तरीय अभियान बन चुका है, केवल कुछ दिन और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन कर हम आने वाले सभी खतरों से दूर होगें और सही मायने में देश की आजादी के 75वें साल के अमृत महोत्सव के भागीदार होगें। आजाद देश की यह एक तरह की परीक्षा और जिससे जीत हासिल करने के लिए सभी एक एकजुट होना है। एक लंबा समय बीत गया, थोड़ा संयम और एक बार फिर हम कोविड मुक्त भारत में नये सपनों को साकार करेंगे।

(लेखक द हिंदी के मुख्य सम्पादक हैं )

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