खूंटी नर्सिंग इंस्टिट्यूट सहनशक्ति टेस्ट के आरोपी बबलू उर्फ़ परवेज गिरफ्तार
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: सहनशक्ति टेस्ट के नाम पर नर्सिंग की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ के आरोपी होरा एनजीओ के नर्सिंग इंस्टीट्यूट के निदेशक बबलू उर्फ परवेज को शनिवार की रात खूंटी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बबलू उर्फ़ परवेज की गिरफ्तारी के लिए तीन सदस्यीय जांच टीम बनायीं गयी थी जिसमें बीडीओ सविता सिंह, खूंटी थाना प्रभारी दुलारमनी टुडू और डीपीएम कानन बाला तिर्की शामिल थीं। इन लोगों ने पहले इंस्टिट्यूट की छात्राओं से बातचीत की उसके बाद बबलू उर्फ़ परवेज को गिरफ्तार किया।
कई छात्राओं ने बबलू द्वारा छेड़छाड़ किये जाने की बात जांच टीम से कही, छात्राओं ने बताया कि शिक्षिकाओं के अनुपस्थित रहने पर बबलू उर्फ परवेज आलम क्लास लेता था। एक-एक छात्रा को अलग कमरे में बुलाकर सहनशक्ति टेस्ट के नाम पर गलत हरकत करता था।
बता दें कि छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद झारखण्ड सरकार की सोशल मीडिया में बहुत किरकिरी हुई थी। उसके बाद पूरा सरकारी अमला हरकत में आया और कल ही झारखण्ड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आदेश के बाद खूंटी के तिरला स्थित होरा एनजीओ के नर्सिंग इंस्टीट्यूट की छात्राओं के साथ छेड़छाड़ मामले की जांच शुरू की गयी थी। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री ने जांच टीम को आरोपी बबलू उर्फ़ परवेज को तुरंत गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। उसके बाद बबलू उर्फ़ परवेज को शनिवार की रात गिरफ्तार कर लिया गया।
जांच टीम ने होरा संस्था की सचिव मरियम आइंद और शिक्षिका मीनाक्षी तोपनो से भी पूछताछ की। उसके बाद जांच टीम ने आरोपी बबलू उर्फ परवेज को पूछताछ के लिए बुलाया, पूछताछ में बबलू ने संतोषजनक उत्तर नहीं दिया जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
झारखण्ड के अखबार प्रभात खबर ने ये मामला 13 तारीख को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था, जिसके बाद सरकार हरकत में आई थी। इस पर स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने संज्ञान लेकर खूंटी के डीसी-एसपी को जांच करने का आदेश दिया था।
जांच टीम का नेतृत्व कर रहीं बीडीओ सविता सिंह ने कहा कि शुरू में लड़कियां कुछ भी बताने से डर रही थीं। उन्हें धमकाया गया था, जिससे वह दबाव में थीं। उन्होंने कहा कि कुछ लड़कियों को विश्वास में लिया गया, तब उन्होंने स्वीकारा कि बबलू सर ने उनके साथ गलत हरकत की थी। बीडीओ ने बताया कि कई छात्राएं शनिवार को इंस्टीट्यूट नहीं आयी थीं। शुरुआती जांच में लगभग आठ-नौ बच्चियों के साथ ऐसी घटना होने की बात सामने आयी है। यह संख्या अधिक भी हो सकती है।