भाजपा और आम आदमी पार्टी की सरकारें राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आड़ में शिक्षा का निजीकरण करने की कोशिश कर रही है: चौ0 अनिल कुमार

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौ0 अनिल कुमार ने भाजपा और आम आदमी पार्टी की सरकारों पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आड़ में शिक्षा का निजीकरण करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और इसका एक बड़ा उदाहरण दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का बयान है कि दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले 12 कॉलेज अपने कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए स्वयं धन सृजित करें, क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए अनुदान को केवल “पूरक सहायता के रूप में“ माना जाना चाहिए। आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार, इन कॉलेजों को दी जाने वाली धनराशि को रोकने कारण का कॉलेजों द्वारा सरकार को गवर्निंग बॉडी की जानकारी न देना और वेतन बिलों में वृद्धि बता रही है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि अगर इस प्रकार “आत्मनिर्भर भारत“ की मोदी सरकार की परिकल्पना है, तो भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों शिक्षा क्षेत्र में कॉर्पोरेट्स के निजीकरण के एजेंडे को आगे बढ़ाने में “एक ही पृष्ठभूमि पर“ खड़े दिखाई देंगे। उन्होंने कहा कि कॉलेज स्वयं कितने भी संसाधन जुटा ले, सरकारी अनुदान के बिना नही चल सकते है। परंतु शिक्षा मंत्री श्री मनीष सिसोदिया का यह बयान कि कॉलेजों को फीस बढ़ाकर व अन्य मदों के द्वारा फंड सृजित कर सकते है, जबकि कॉलेज कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन के चलते बंद हैं।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार के सम्पूर्ण अनुदान से चलने वाले इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों और प्रोफेसरों को दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान न मिलने के कारण पिछले 5 महीनों से वेतन नही मिला है, लेकिन उपमुख्यमंत्री जो दिल्ली के शिक्षा मंत्री भी है, इनके द्वारा किसी बहाने या अन्य कारणों से कॉलेजों के अनुदान को रोकने को न्यायोचित ठहराने की कोशिश करना लोकतांत्रिक, लोकाचार और नैतिकता से परे है।

उन्होंने पूछा कि क्या पांच महीनों से हजारों प्रोफेसरां और कर्मचारियां को मिलने वाले वेतन के मूल अधिकारों का हरण करके पारदर्शिता लाई जा सकती है, खासकर तब जब महामारी का समय चल रहा है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि गवर्निग बॉडी के गठन के संबध में अनुदान रोकना कैसे न्यायोचित ठहराया जा सकता है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि इन 12 कॉलेजों के प्रोफेसर और कर्मचारी लम्बे समय वेतन न मिलने के कारण भारी आर्थिक और मानसिक संकट से जूझ रहे है क्योंकि जीविका चलाने के साथ-साथ यह मकान का किराया व अन्य मासिक किस्तों का भुगतान नही कर पा रहे है।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि जहां तक पिछले पांच वर्षों में इन 12 कॉलेजों के बजट आवंटन में वृद्धि का संबंध है, तो यह सरकार के निर्देशों पर राजस्व व्यय में वृद्धि के कारण हुआ। जिसमें दिल्ली सरकार की उचित मंजूरी मिलने के बाद कॉलेजों में नए पाठ्यक्रम भी शुरू किए गए। अतः बजट व्यवहारिक आवश्यकता के चलते बढ़ा न कि भ्रष्टाचार के चलते।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि इन कॉलेजों में तीन तरह से ऑडिट होते है। पहला आंतरिक ऑडिट, जो स्वयं कॉलेज द्वारा किया जाता है, दूसरा अल्फा ऑडिट जो दिल्ली सरकार द्वारा कराया जाता है, तीसरा ए.जी.सी.आर. ऑडिट जो महालेखा परीक्षक एवं नियंत्रक भारत सरकार (CAG)  द्वारा किया जाता है। चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि शिक्षण संस्थानों को अनुदान स्थगित करने दंडित कर की बजाय ऑडिट रिपोर्ट में किए गए बदलाव पर कार्रवाही होनी चाहिए।

चौ0 अनिल कुमार ने कहा कि कॉलेज का छात्र फंड ‘‘छात्रों के द्वारा, छात्रों के लिए’’ होता है, जिसे कॉलेज वेतन देने के लिए इस्तेमाल नही कर सकता। उन्होंने कहा कि यह फंड साल दर साल जमा होता रहता है और इस फंड को छात्रों के मामलों के अलावा अन्य किसी भी मामलां पर खर्च करने का विश्वविद्यालय समुदाय ने हमेशा विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौर में आप पार्टी की दिल्ली सरकार के मंत्री द्वारा संसाधन जुटाने के एजेंडे को आगे बढ़ाने के कारण एस.सी., एस.टी., ओबीसी, ई.डब्लू.एस. और अन्य छात्रों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। चौ0 अनिल कुमार ने मांग की कि दिल्ली सरकार इन 12 कॉलेजों को तुरंत अनुदान जारी करे।

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