बीएसआई के न्यूट्रिशन इंडिया प्रोग्राम से बच्चों की कुपोषण दर में आई कमी

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: डेटॉल बीएसआई-न्यूट्रिशन इंडिया प्रोग्राम का एक साल पूरा होने के बाद महाराष्ट्र में अमरावती और नंदरबार जिलों में गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या में 7.4 प्रतिशत की कमी आई है। पहले 10 महीनों में इस कार्यक्रम ने 1 से 5 साल के मध्य आयु वाले 6500 बच्चों की जिंदगी 41 सामुदायिक पोषण कार्यकर्ताओं की मदद से बचाई। सस्टेनेबल स्क्वायर द्वारा किए गए एक स्वतंत्र आंकलन में सामने आया कि बीएसआई न्यूट्रिशन इंडिया प्रोग्राम में निवेश किए गए हर 1 रु. के लिए 36.90 रु. मूल्य का सामाजिक महत्व प्राप्त होता है।

यह पाँच वर्षीय कार्यक्रम शिशु की जिंदगी के पहले 1000 दिनों के दौरान डिजिटल एवं आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस पर आधारित अभिनव मॉड्यूल्स द्वारा सहयोग देने के लिए डिज़ाईन किया गया, जिससे महाराष्ट्र के अमरावती एवं नंदरबार में गर्भवती महिलाओं व बच्चों की सेहत, स्वास्थ्य व पोषण का स्तर मजबूत हो सके।

साझेदारी के तहत इस अभियान के बारे में गौरव जैन, सीनियर वाईस प्रेसिडेंट, साउथ एशिया, रेकिट बेंकाईज़र हैल्थ ने कहा, ‘‘उचित पोषण एवं सैनिटाईज़ेशन सामाजिक परिवर्तन के उत्प्रेरक हैं और छोटे बच्चों व माताओं को सशक्त बनाने के सबसे महत्वपूर्ण अस्त्र हैं। महाराष्ट्र में कुपोषण के अत्यधिक मामलों को देखते हुए अमरावती एवं नंदरबार प्लान इंडिया के साथ साझेदारी में न्यूट्रिशन इंडिया कार्यक्रम चलाए जाने के लिए पहले स्थान बने। इस पाँच वर्षीय कार्यक्रम का उद्देश्य प्रभावित समुदायों में गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों की सेहत, स्वास्थ्य व पोषण में सुधार करना है।’’

इस सहयोग की सराहना करते हुए मुहम्मद आसिफ, एक्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर, प्लान इंडिया ने कहा, ‘‘न्यूट्रिशन इंडिया प्रोग्राम ने सरकार, कॉर्पोरेट्स एवं सिविल सोसायटी द्वारा सहयोगात्मक कार्यों के महत्व पर प्रकाश डाला है ताकि ग्रामीण समुदायों में कुपोषण एवं अल्पपोषण की समस्याओं का समाधान किया जा सके। इस कार्यक्रम से मिली सीख व परिणामों को समझदारीपूर्वक प्रसारित किया जाना चाहिए ताकि विकास का काम करने वाले अन्य लोग इसका लाभ उठा सकें। रेकिट बेंकाईज़र एवं इसके साझेदारों का यह अभियान कोविड-19 महामारी द्वारा जनस्वास्थ्य पर छाए संकट को दूर करने के राष्ट्रीय प्रयासों में सहयोग कर रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम इस साझेदारी के लिए आरबी के आभारी हैं, जिससे कम सुविधाओं वाले समुदायों में जनस्वास्थ्य व पोषण को मजबूत करने के जीवनरक्षक व प्रिवेंटिव उपायों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी।’’ पिछले एक साल में न्यूट्रिशन इंडिया प्रोग्राम ने स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर यात्रा करने वाले न्यूट्रिशन चैंपियंस का एक कार्यबल बनाया, जिन्हें ‘कम्युनिटी न्यूट्रिशन वर्कर्स (सीएनडब्लू)’ कहा जाता है। इन कार्यकर्ताओं को जन स्वास्थ्य विशेषज्ञों, पीडियाट्रिशियंस, गायनेकोलॉजिस्ट्स एवं सामुदायिक विकास विशेषज्ञों द्वारा गहन प्रशिक्षण दिया जाता है। इन्हें अच्छे पोषण के गोल्डन नियमों के बारे में शिक्षित किया जाता है।

यह कार्यक्रम माता व शिशु के स्वास्थ्य पर केंद्रित है। इससे जुड़ी हर चीज इन सामुदायिक न्यूट्रिशन कार्यकर्ताओं को सिखाई जाती है। उन्हें बताया जाता है कि जच्चा की देखभाल के लिए क्या सावधानियां रखी जाएं, उनका आहार क्या हो। उन्हें स्तनपान के बारे में सिखाया जाता है, जन्म के शुरुआती घंटों में स्तनपान के महत्व के बारे में बताया जाता है। नवजात शिशु के लिए केवल स्तनपान के लिए कहा जाता है, तथा बच्चों को दिए जाने वाले आहार के बारे में बताया जाता है, ताकि उसे कुपोषण से बचाया जा सके। अगले चार सालों में यह कार्यक्रम 1000 गांवों में कुपोषित बच्चों की 1,77,000 माताओं तक पहुंचेगा। इसका उद्देश्य पांच साल से कम उम्र के कुपोषित बच्चों की संख्या में 40 प्रतिशत की कमी लाना तथा बच्चों का बचपन छिन जाने के मामलों को 5 प्रतिशत के नीचे ले जाना है।

प्लान इंडिया की ऑन-ग्राउंड विशेषज्ञता समुदायों तक एक व्यवस्थित प्रक्रिया के माध्यम से पहुंचने में मदद कर रही है। साझेदार संगठन भी न्यूट्रिशन कार्यकर्ताओं को सरल संवादात्मक टूल्स के माध्यम से सहयोग कर रहे हैं, जो कुपोषण व हाईज़ीन पर प्रभावशाली संदेश देते हैं ताकि समाज में व्यवहारात्मक परिवर्तन आए।

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