गाज़ियाबाद में ट्विटर पर हुआ केस; कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, फ्री स्पीच के नाम पर कानून के पालन से नहीं बच सकते
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: सरकार और टि्वटर के बीच का विवाद अब और ज्यादा बढ़ता ही जा रहा है। पहले वाद प्रतिवाद तक सीमित यह विवाद अब कानूनी दावपेंच तक पहुँच चुका है। आज उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में टि्वटर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। ट्वीटर के खिलाफ केस दर्ज होने का ये भारत में पहला माला है।
वहीँ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के अड़ियल रवैये की आलोचना करते हुए ट्विटर के खिलाफ कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने कहा है कि अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर कानून से बचा नहीं जा सकता है।
उन्होंने कहा कि, आईटी कानून का पालन ना करने की वजह से सोशल नेटवर्किंग साइट ने देश में कानूनी सुरक्षा का आधार गंवा दिया है। इसका स्पष्ट मतलब है कि टि्वटर अब भारतीय आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिली कानूनी कार्रवाई से छूट को खत्म कर लिया है।
प्रसाद कहा कि ‘अगर किसी विदेशी संस्था को लगता है कि वह खुद को भारत में अभिव्यक्ति की आजादी का झंडाबरदार बनकर कानून की पालना से खुद को बचा लेगी, तो ऐसी कोशिशें बेकार हैं।’
उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि सच यह है कि 26 मई से प्रभाव में आईं इंटरमिडियरी गाइडलाइंस के अनुपालन में ट्विटर असफल रहा है। ट्विटर को कई चांस दिए गए लेकिन उसने नए कानून का पालन नहीं करना ही चुना। प्रसाद ने आगे कहा कि गाजियाबाद में जो हुआ उसके बाद ट्विटर के एक्शन नहीं लेने से हैरानी है। इससे पता चलता है कि फेक न्यूज से उसकी लड़ाई में अस्थिरता है।
गाज़ियाबाद में ट्विटर के खिलाफ दर्ज मामला दरअसल एक बुजुर्ग के साथ मारपीट का है। एक वीडियो टि्वटर पर वायरल हुआ जिसके बाद कई राजनेताओं ने योगी सरकार से सवाल करना शुरू कर दिया। गाजियाबाद पुलिस ने इस मामले में 7 लोगों पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया। इस एफआईआर में टि्वटर को भी शामिल किया गया। गलत जानकारी के बावजूद भी इस वीडियो को नहीं हटाने की वजह से यह कार्रवाई की गयी है। आईटी एक्ट की धारा 79 वापस लाने के बाद अब टि्वटर पर कार्रवाई की जा सकेगी।