पश्चिम बंगाल में हुई चुनावी हिंसा की जाँच सीबीआई करेगी: कलकत्ता हाई कोर्ट का आदेश  

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच का आदेश कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिया है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने कई जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि, चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच सीबीआई करेगी। इसके साथ ही कोर्ट ने एसआईटी टीम के गठन का भी निर्देश दिया है और राज्य सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए भी कहा है।

गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए हिंसा, रेप और हत्या की जांच का जिम्मा सीबीआई को दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने एसआईटी के गठन के निर्देश भी दिए हैं, जिसमें बंगाल पुलिस के सीनियर अधिकारियों को शामिल करने को कहा है।

मामले की सुनवाई कर रहे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने कहा कि अलग-अलग फैसले हैं लेकिन सभी सहमत हैं। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया। जिसमें न्यायमूर्ति आई पी मुखर्जी, हरीश टंडन, सौमेन सेन और सुब्रत तालुकदार शामिल थे। पीठ ने पहले एनएचआरसी अध्यक्ष को “चुनाव के बाद की हिंसा” के दौरान मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आदेश दिया था। रिपोर्ट सौपने के बाद अब अगली सुनवायी 24 अक्टूबर को होगी।

कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने ममता सरकार से सवाल किया है। उन्होंने कहा हाईकोर्ट के फैसले के बाद ममता सरकार की पोल खुल गुई है।

केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले पर कहा कि, हम कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। लोकतंत्र में सभी को अपनी बातों को कहने का अधिकार है। लेकिन, किसी को हिंसा फैलाने का अधिकार नहीं है। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।”

वहीँ टीएमसी सांसद सौगत रॉय ने कहा कि, मुझे कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले से खुशी नहीं हुई है। किसी भी राज्य की कानून-व्यवस्था का जिम्मा वहां की सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। अगर सीबीआई राज्य में जांच करती है तो यह बंगाल सरकार के अधिकारों का उल्लंघन होगा। मुझे उम्मीद है कि अगर जरुरत पड़ी तो राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में मामले को लेकर जा सकती है।”

बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बंगाल के हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया था और अपनी रिपोर्ट कलकत्ता हाईकोर्ट को सौंपी थी। उस रिपोर्ट में भी हिंसा को लेकर ममता बनर्जी सरकार पर सवाल खड़े किए गए थे।

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