जिम उद्योग पर संकट: हमें कोरोना ने नहीं सरकारों ने मारा

राजेंद्र सजवान

कोविड 19 के चलते जीवन चक्र जैसे थम गया है। काम धंधे बंद पड़े हैं और सरकारें बस एक दूसरे का मुँह ताक रही हैं। किसी के पास कोई इलाज नहीं। इच्छा शक्ति की कमी सॉफ नज़र आती है। लाखों मानवों की बलि लेने के बाद भी कोरोना शांत नहीं हो रहा। नतीजन बेरोज़गारी और भुखमरी अपने चरम पर हैं और हालत से तंग होकर बहुत से लोग आत्म हत्या जैसे कदम भी उठा रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है देश और दुनिया को फिट रखने का दम भरने वाला फिटनेस उद्योग भी कोरोना और सरकारी हठधर्मिता के चलते मरणासन्न पड़ा है।

हालाँकि केंद्र और राज्य सरकारों ने कुछ प्रदेशों में लाकडाउन को आंशिक रूप से हटा दिया है और लोग अपने काम धंधों की तरफ लौटने लगे हैं। लेकिन देश भर में जिम और हेल्थ क्लब 15 मार्च से बंद पड़े हैं। ज़ाहिर है जिम उद्योग से जुड़े लाखों लोगों को बड़ी  परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हैरानी वाली बात यह है कि जिम का उपयोग शरीर बनाने या स्वास्थ्य लाभ पाने के लिए किया जाता है लेकिन कोरोना काल में यह अवधारणा ग़लत साबित हो रही है। देश भर के  जिम ठप्प पड़े हैं। सरकारों से पूछो तो कह रही हैं कि जिम खुले तो कोरोना का प्रकोप बढ़ सकता है।

इसमें दो राय नहीं कि सरकारें कोरोना से लड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन जिम चलाने वाले लाखों को यह समझ नहीं आ रहा कि आख़िर उनके व्यवसाय को ही क्यों सज़ा भुगतनी पड़ रही है! देश भर में जिम मालिक, जिमकर्मी, बॉडीबिल्डर, पावरलिफ्टर और आम खिलाड़ी हैरान परेशान हैं और धरना प्रदर्शन पर उतारू हैं। हाल ही में इंडियन जिम वेलफेयर फ़ेडेरेशन ने अपनी आवाज़ बुलंद करने और अपनी परेशानियों को लेकर वोट क्लब पर शांति मार्च निकाला और दिल्ली एवम् केंद्र की सरकार से गुहार लगाई की शीघ्र अति शीर्घ जिम खोल दिए जाएँ वरना कई लाख परिवार भुखमरी के शिकार हो सकते हैं। फ़ेडेरेशन अध्यक्ष सुनील कुमार टांक के अनुसार अब तक छह जिम कर्मी आत्महत्या कर चुके हैं। फ़ेडेरेशन का दावा है कि देश के सोलह राज्यों के लगभग चार हज़ार जिम उसके साथ जुड़े हैं और सभी चाहते हैं कि जिम खोल दिए जाएँ। वरना भुखमरी और तंगहाली के चलते कई लोग बर्बाद हो सकते हैं।

एक तरफ तो कमाई बंद हो गई है उपर से लैंडलॉर्ड किराया चुकाने वरना जिम उपकरण उठाने की धमकी दे रहे हैं। बिजली और पानी के लाखों के बिल चुकता करने पड़ रहे हैं, स्टाफ अपना वेतन माँग रहा है और परिवार के खर्चे भी चलाने हैं। यह सब कहाँ से आएगा,जैसे सवाल जिम मालिकों को दिन रात खाए जा रहे हैं। एसए में जब कोई राह नज़र नहीं आती तो विवश होकर कुछ लोग आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जिम से जुड़े छह लोग आत्महत्या कर चुके हैं और अनेकों अभाव में जीने के लए मजबूर हैं।

जिम फ़ेडेरेशन द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार देश में लगभग एक लाख 25 हज़ार जिम हैं,जिनसे आठ लाख 75 हज़ार परिवारों का गुजर बसर होता है। अर्थात कुल मिलाकर लगभग 62 लाख 75हज़ार लोग जिम उद्योग के भरोसे हैं और लाक डाउन के चलते उनकी दुनिया लुट चुकी है। जाने माने जिम एक्सपर्ट, बॉडी बिल्डर, पावर लिफ्टर और जिम से फिटनेस पानेवाले खिलाड़ियों की माने तो कोरोनाकाल के चलते जिमों को बंद किया जाना भारी भूल साबित हो रही है। उनकी राय में जिम करने वालों की इम्यूनिटी आम इंसान से कहीं अधिक होती है। यदि सोशल डिस्टेनसिंग के साथ जिम खोलने की इजाज़त दी जाय तो देश से कोरोना खुद ब खुद भाग खड़ा होगा।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। ये उनका निजी विचार हैचिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है।आप राजेंद्र सजवान जी के लेखों को  www.sajwansports.com पर  पढ़ सकते हैं।)

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