गुरु हनुमान अखाड़े को कुश्ती संग्रहालय बनाने की मांग

राजेंद्र सजवान

राष्ट्रीय खेल अवार्ड प्राप्त गुरुओं पर सरसरी नज़र डालें तो सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर, पीटी उषा के गुरु नाम्बियार और सतपाल, करतार,प्रेमनाथ, सुदेश, जगमिंदर और सैकड़ों अन्य पहलवानों के गुरु हनुमान का कद बहुत बड़ा है।लेकिन सबसे ऊंचे कद की बात करें तो गुरु हनुमान की टक्कर का दूसरा कोई गुरु शायद ही हुआ हो।

गुरु हनुमान सिर्फ इसलिए श्रेष्ठ गुरु नहीं हैं क्योंकि उन्हें द्रोणाचार्य और पद्मश्री सम्मान मिले, सिर्फ इसलिए उनका कद ऊंचा नहीं हो जाता क्योंकि उन्होंने अनेक अर्जुन, द्रोणाचार्य और पद्मश्री पहलवान तैयार किए। दरअसल , पहलवानों को सिखाने, पढ़ाने और दांव पेंच सिखाने का उनका तरीका उन्हें महानतम बनाता है। उनके द्वारा संचालित गुरु हनुमान अखाड़ा कुश्ती प्रेमियों के लिए हमेशा से कुश्ती का देवालय और आदर्श विद्यालय रहा है जिसके दर्शन करके देश और दुनियाभर के कुश्ती प्रेमी खुद को धन्य मानते आए हैं।

लेकिन 1999 में गुरु जी की मृत्यु के बाद उनके अखाड़े की हालत दयनीय हो गई है, जिसे लेकर उनके पूर्व शिष्य, कोच और कुश्ती प्रेमी बेहद आहत हैं और अखाड़े को कुश्ती संग्रहालय बनाने की मांग कर रहे हैं।

कुश्ती गुरु के रूप में गुरु हनुमान ने जैसा यश कमाया, वैसा शायद ही कभी किसी भी खेल के गुरु को नसीब हुआ होगा। अखाड़े की दीवारों पर टंगे फोटो, अखबारों की लंबी चौड़ी कटिंग, बड़े नेताओं और महान हस्तियों के साथ खींचे गए उनके फोटो अखाड़े की भव्यता और गुरु जी के कद का बखान करते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह, डॉक्टर शंकर दयाल शर्मा, योगी आदित्यनाथ, मार्गरेट अल्वा, बूट सिंह, माधव राव सिंधिया, दारा सिंह, और कई अन्य राजनेताओं के साथ उनके फोटो बताते हैं कि वह कैसी शख्सियत थे।

एक कमरे में अस्त व्यस्त सजे सैकड़ों मैडल, ट्राफियां, , गद्दा और अन्य पुरस्कार गुरुजी से विछोह की कहानी बयां करते हैं। गुरुजी के जाने के बाद अखाड़े के संचालक और कोच की भूमिका निभाने वाले द्रोणाचार्य महा सिंह के अनुसार 1999 में गुरु हनुमान की मृत्यु से पहले ही अखाड़े की लोकप्रियता में गिरावट का क्रम शुरू जो गया था। वह भी मानते हैं कि गुरु हनुमान के देहावसान के बाद अखाड़े के पुरस्कार और सम्मानों की देखरेख पहले जैसी नहीं रही। कारण खर्चे बढ़ गए थे। हालांकि गुरु हनुमान अपने जीते जी अखाड़े को संग्रहालय बनाने की इच्छा जाहिर कर चुके थे पर किसी कारणवश ऐसा संभव नहीं हो पाया।

गुरु हनुमान ट्रस्ट के प्रमुख महाबली सतपाल, द्रोणाचार्य राज सिंह, जगमिंदर, अर्जुन अवार्डी सुजित मान,राजीव तोमर, और अन्य पहलवान और कोच चाहते हैं कि अखाड़े में संग्रहालय की स्थापना ही गुरु हनुमान को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

महा सिंह राव चाहते हैं कि दिल्ली और देश की सरकारें गुरु हनुमान के योगदान को देखते हुए ठोस कदम उठाएं। वह विश्वस्तरीय हस्ती थे और देश विदेश से भरतीय कुश्ती की जानकारी हासिल करने वाले कुश्ती प्रेमी सबसे पहले गुरुजी के अखाड़े को याद करते हैं, जहां पहुंच कर उन्हें अस्त व्यस्त पड़े बहुमूल्य सम्मानों और पुरस्कारों के दर्शन होते हैं। यदि उन्हें सजा संवार कर रखा जाए तो भारतीय कुश्ती के भीष्म पितामह द्रोणाचार्य गुरु हनुमान की आत्मा को शांति जरूर मिलेगी।

पूर्व राष्ट्रीय कोच द्रोणाचार्य राज सिंह , महा सिंह राव , सतपाल, करतार जैसे दिग्गज , तमाम पहलवान और कोच चाहते हैं कि गुरु हनुमान बिड़ला व्यायामशाला को राष्ट्रीय धरोहर जैसा सम्मान मिलना चाहिए।

 

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