चिंता नहीं, चिंतन कीजिए: डाॅक्टर गाजी शारिक अहमद भारतीय

श्वेता झा

कोरोना की दूसरी लहर से लोग परेशान हैं, तीसरी की संभावना बनी हुई हैं, लोग डर और दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं.ऐसे में क्या करें, क्या ना करें।  कटिहार मेडिकल काॅलेज के प्रोफेसर और हेड ऑफ डिपार्मेंट (पेडियाट्रिक) और सीनियर काॅन्सलटेड, पेडिअट्रिशन, बच्चा हाॅस्पटिल के डाॅक्टर गाजी शारिक अहमद भारतीय से श्वेता झा ने कोरोना से सम्बंधित कई पर चिरौरी न्यूज़ के लिए बातचीत की। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…

प्रश्न- कोरोना नहीं हुआ तो भी अभी के समय में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए? तीसरी लहर की क्या संभावना हैं?

जवाब- कोविड-19 से कोई नहीं बचने वाला हैं.अपनी सुरक्षा का प्रयास करें, डबल मास्क का प्रयोग करें,घर से बहुत जरूरी हो तभी निकले, सेल्फ लाॅकडाउन का पालन करें, सांस का ख्याल रखें, लंग्स के ऊपर ध्यान दें, व्यायाम, योगा करें, 25-30 सेकेंड सांस रोकने का प्रयास करें, एक बार नहीं हों तो, प्रयास करते रहें. पौष्टिक भोजन करें, कम मात्रा में बार-बार भोजन करें, चार बार तो जरूर करें, पानी खूब पिऐं, तनाव से दूर रहें, अच्छी नींद लें.  तीसरी लहर की पूरी संभावना हैं, लोग यदि जागरूक नहीं हुए, व्यवस्था दुरुस्त नहीं हुई तो, अभी के हालात के अनुसार आने वाले 2-3 सालों तक इसके साथ ही जीना होगा.

प्रश्न- अगर किसी के अंदर माइल्ड-सिम्टम हों तों, क्या तुरंत टेस्ट करवाना चाहिए?

उत्तर- तुरंत परेशान होकर जाँच नहीं करवाए, संसाधन सीमित हैं, समझदारी से प्रयोग करें, बाहर जाकर टेस्ट करवाने पर  अगर नहीं हो, तो भी होने की संभावना बन जाती हैं, इसलिए अपने सिम्टम्स पर गौर करें, पिछले वेब से अलग पैटर्न हैं, किसी-किसी को अंदर से बुखार जैसा महसूस होता हैं, तो किसी का 99 तक, किसी को दस्त, तो घबराऐं नहीं, घर पर डाॅक्टर की उचित सलाह पर उपचार करें, आगे कुछ और तकलीफ हों, बदन दर्द, सांस लेने में तकलीफ आदि तो डाॅक्टर की सलाह पर ही जाँच करवाऐं, होम क्वारंटाइन, होम आइसोलेशन का पालन करें. चिंता नहीं करें, चिंतन करें.

प्रश्न- हृदयघात बहुत बढ़ रहा हैं, क्या ये कोरोना की वजह से हैं, या कुछ अन्य खास वजह हैं?

उत्तर- इसका सबसे बड़ा कारण हैं, हमारा लाइफ-स्टाइल, अपनी दिनचर्या में अनुशासन का नहीं होना, प्रारंभिक लक्षण को नहीं समझना, जैसे, शरीर के ज्वांटस हैं, उस पर काले निशान, पैरों पर लाल धब्बे, जैसे खून जमा हो, यदि ये सब नजर आ रहा हैं, तो सतर्क हो जाऐं, खतरे की घंटी बजने वाली हैं, आहार और व्यायाम के साथ आराम तीनों पर पर ध्यान दें, अपने लाइफ-स्टाइल में परिवर्तन लाऐं. दूसरी जो तात्कालिक वजह हैं, लोग पैनिक हो जा रहें हैं, इसलिए घबराना नहीं हैं, संयमित होकर डाॅक्टर की बात मानना हैं.

प्रश्न- प्लाज्मा थैरेपी कितनी कारगर हैं, और प्लाजमा डोनेट करने के कोई साइड इफेक्ट भी हैं?

उत्तर- ये पूरी तरह कारगर नहीं हैं, ये जब सही समय पर दिया, जाए और इसकी एंटीबाॅडी का सही से पता चले, तभी कुछ हद तक कारगर हैं, इससे बेहतर monocholonyl antibody हैं, इसलिए इसके लिए विशेष परेशान नहीं होना चाहिए, प्लाजमा बैंक, प्लाजमा डोनर की लिस्ट, ब्लड बैंक का अपडेट होना, अधिक जरूरी हैं, क्योंकि इसका एक निश्चित समय होता हैं, उस समय उपलब्ध नहीं हो पाएगा, प्लाजमा तो, इसका उपयोग नहीं के बराबर हैं. प्लाजमा डोनेट करना, ब्लड डोनेशन हैं, ब्लड से ही प्लेटलेस, प्लाज्मा अलग किया जाता हैं, मतलब आप अगर एक बार ब्लड डोनेट करते हो, तो तीन लोगों की जान बजाते हों. पहले ही बता चुका हूँ, प्लाजमा डोनेशन, ब्लड डोनेशन हैं, इसलिए कोई भी साइड इफेक्ट की संभावना ही नहीं हैं, ये बस भ्रांति हैं, लोगों के मन में कि प्लाजमा डोनेट करने जाऐंगें तो क्या निकाल लेगा, पता नहीं, ये बस एक ब्लड डोनेशन हैं.

Dr. Ghazi Shariq Ahmed Bhartiya

प्रश्न- रेमिडेसिविर और स्टोराॅड कितना कारगर हैं, कब प्रयोग करना चाहिए?

उत्तर — ये अभी नहीं कहा जा सकता कितना कारगर हैं, पर इसके प्रयोग पर भी टाइमिंग के अनुसार प्रभाव हैं, संक्रमित होने के दस दिन के अंदर रेमिडेसिविर कारगर हैं, अन्यथा नहीं, इसी तरह स्टोराॅड भी अगर समय से पहले प्रयोग कर लिया जाए तो ये इम्युनिटी को प्रभावित करता हैं, पहले तीन दिन हमारे शरीर के अंदर खुद की इम्यूनिटी डेवलप होती हैं, पर जब संक्रमण फेफड़े में प्रवेश करने वाला होता हैं, तो वही स्टोराॅड देकर उसको रोका जा सकता हैं, पर अगर फेफड़े में संक्रमण ने पैर पसार लिए तो इसका कोई उपयोग नहीं हैं, इसलिए, मरीज की देखभाल करने वाले को, उसके सिम्टमस का रजिस्टर बनाना चाहिए, चौथे, पाँचवें दिन बुखार तेजी से बढ़ रहा हैं, कुछ अन्य लक्षण नजर आ रहे हों, तो डाॅक्टर की उचित सलाह लेकर आगे का काम करें.

प्रश्न- देखने में आ रहा हैं, मार्केट में नई-नई दवाईयाँ,इंजेक्शन आ रहे हैं, चारों तरफ अफरातफरी मची हैं, ये रिसर्च और ट्रायल बेस हैं, या कुछ अन्य कारण?

उत्तर- कोविड-19 ,नई बिमारी हैं, रिसर्च तो चल ही रहा हैं, पर अफरातफरी का कारण हैं, डिमांड के अनुसार सप्लाई नहीं होना, ये डिमांड जायज और नजायज दोनों तरह का हैं, सरकार पैनल बनाकर कंट्रोल रखें, समस्या बहुत हद तक हल हो जाएगी. लोगों में जागरूकता की कमी हैं, इसलिए कालाबाजारी भी हो रहा हैं, व्यवस्था /सिस्टम के प्रति लोगों के मन में अविश्वास भर गया हैं, इसलिए भी परिस्थिति हाथ से बाहर जा रही हैं. हर पेशेंट के लक्षण के अनुसार भी अलग-अलग दवाईयाँ दी जा रही हैं, सेकेन्डरी इंफेक्शन के कारण, जैसे बैक्टेरिया, फंग्स, पनप रहा हैं, उनसे बचाव के लिए भी कुछ दवाईयाँ दी जा रही हैं. कुछ दवाईयाँ दबाव में भी लिखना पड़ रहा हैं, क्योंकि सोशल मिडिया पर इतनी दवाईयाँ शेयर हो चुकी हैं, कि अगर वो कोई डाॅक्टर नहीं लिखे तो पेशेंट को विश्वास ही नहीं होता कोरोना का इलाज हो रहा हैं, इम्यूनिटी का मजबूत होना, कोरोना के इलाज के लिए बहुत जरूरी हैं, और अविश्वास से इम्यूनिटी कमजोर होती हैं.

प्रश्न – ऐसे माहौल में अवसाद से कैसे बचा जाए?

उत्तर- नकारात्मक ऊर्जा, सोशल मिडिया, टीवी स्टोरी, टीवी डिबेट से दूर रहें, देखना ही हैं तो फटाफट खबर देखें, आप अगर फेसबुक खोलते ही पाँच जानने वालों की मौत की खबर देखेंगें तो निश्चय ही, आपके मस्तिष्क में भय घर कर लेते. अब मुख्य मुद्दा हैं, बचा कैसे जाए तो सकारात्मक पहलू शामिल करें, अपनी दिनचर्या में, अपने पसंद का काम करें, बागवानी, कुकिंग, पेंटिग, सिगिंग, डांस, किताबें पढ़े, किताबों पर से धूल हटाऐं, किताबों से प्रेम करें, बच्चों को समय दें, उनके साथ खेलें, परिवार के साथ समय व्यतीत करें. मानसिक रूप से सकारात्मक रहें, रिपोर्ट में नकारात्मक रहने के लिए.

प्रश्न- आखिरी सवाल, क्या सिटी-स्कैन से कैंसर का खतरा हैं?

उत्तर – बिल्कुल संभावना हैं, पुरानी मशीनों के वनिस्पत नए से कम खतरा हैं, पर खतरा हैं, पुराने मशीन का रेडियेशन कम रहता है, पर एक्सपोजर समय अधिक रहता हैं, नए का रेडियेशन तो अधिक हैं, पर एक्सपोजर समय बहुत कम हो जाता हैं, इसलिए खतरा कम हो जाता हैं. सिटी-स्कैन बार-बार नहीं कराना चाहिए, पूरी जिंदगी में तीन बार तक करवाते हैं तो कैंसर होने के चांस नहीं हैं, नहीं तो बिल्कुल कैंसर होने की संभावना हैं.

अंत में आप डाॅक्टर, ब्यूरोक्रैटस, हेल्थ वर्करस, फिल्ड में जो समाजसेवी काम रहे हैं, उन लोगों के लिए क्या संदेश देना चाहेंगें.

आपलोगों के संक्रमित होने की संभावना प्रबल हैं, खुद को सुरक्षित रखकर, एक मिशाल कायम करें, मानवता की रक्षा की बागडोर आपलोगों के हाथ, स्वयं सुरक्षित रहें, दूसरों को भी सुरक्षित करें, अपना ध्यान रखें, अपने प्रोफेशन को जस्टिफाई करें,उसके साथ न्याय करें.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *