आर्थिक तंगी के चलते कंपनी ने बंद किया एटलस सायकिल का आखिरी प्लांट, 700 लोग हुए बेरोजगार

न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली: एक तरफ तो सरकार नारा देती है वोकल फॉर लोकल की और एक तरफ बड़े बड़े ब्रांड अपनी कारखाना बंद कर रहे हैं। सायकिल का पर्यायवाची एटलस सायकिल ने गाजियाबाद स्तिथ आखिरी साइकल कारखाने को 3 जून को बंद करने का एलान कर दिया है। इसी के साथ करोड़ों लोगों को सायकिल की सवारी करने वाला एटलस अब कोई सायकिल नहीं बनाएगा। कारखाना बंद होने से लगभग 700 लोग बेरोजगार हो गए हैं।

यह भी एक विडंबना ही है कि कंपनी ने विश्व साइकल दिवस के दिन ही अपना अंतिम कारखाना बंद करने का निर्णय लिया। जिस विश्व साइकल दिवस को दुनिया भर में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के मकसद से मनाया जाता है, उसी दिन भारत के प्रमुख साइकल ब्रांड एटलस का उत्पादन पूरी तरह से बंद हो गया।

एटलस कंपनी ने दिसंबर 2014 में मध्यप्रदेश के मालनपुर स्थित अपने प्लांट को बंद कर दिया था, और उसके बाद कंपनी ने फरवरी 2018 में हरियाणा के सोनीपत में अपनी निर्माण इकाई पर भी ताला जड़ दिया। अब कंपनी अपने तीसरे और आखिरी प्लांट को भी बंद कर चुकी है।

एटलस के साहिबाबाद कारखाने की सालाना उत्पादन क्षमता लगभग 40 लाख साइकल्स की थी, और यहाँ तक़रीबन 1400 स्थाई और अस्थाई कर्मचारी काम करते थे। कुछ दिनों पहले कंपनी ने अपने स्टाफ घटा दिए थे। कंपनी का कहना है कि मांग में कमी की वजह से साइकल उत्पादन की रफ्तार धीमी करनी पड़ी, जिसके कारण वित्तीय संकट उत्त्पन्न हो गया।

कंपनी ने कारखाने पर नोटिस लगा कर कहा है कि वित्तीय समस्याओं के चलते कंपनी के पास कच्चा माल खरीदने की भी स्तिथि नहीं है। ऐसे में कंपनी ने ले ऑफ का निर्णय लिया है, जिसके कारण कंपनी अपने कर्मचारियों को सिर्फ आधी तनख्वाह ही दे पाएगी।

लेकिन, कर्मचारियों का कहना है कि ले ऑफ के चलते उनके हाथ में 4-5 हज़ार रुपये ही आएंगे। कर्मचारियों का कहना है कि चार से पांच हजार रुपये महीना में ना तो वह घर घर चला सकते हैं और न ही रोजाना हाजिरी लगाने के चलते कहीं और नौकरी कर सकते हैं। ऐसे में अधिकांश कर्मचारियों का कहना है कि वह चाहते हैं कि कंपनी उनका पूरा हिसाब कर दे।

बता दें कि 1947 में देश के बंटवारे के बाद से जानकी दास कपूर कराची से सोनीपत आ गए और यहाँ उन्होंने 1951 में एटलस साइकल्स की पहला कारखाना खोला। इसके बाद एटलस ब्रांड की साइकल्स की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी ने दो और प्लांट लगाए। एक प्लांट मध्य प्रदेश के मालनपुर और दूसरा प्लांट उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले के साहिबाबाद इंडस्ट्रियल एरिया में था। लेकिन समय का चक्र ऐसा घूमा की एटलस साइकिल्स लिमिटेड वित्तीय संकट से जूझने लगी।

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