“ग्लोबल गैग” को खत्म करने से दुनिया भर में लाखों प्रभावित हो सकने वाली महिलाओं और लड़कियों को होगा फायदा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: मैक्सिको सिटी पॉलिसी या “ग्लोबल गैग रूल” को वापस लेने का जो बिडेन और कमला हैरिस प्रशासन का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। अब आगे की कार्रवाई के जरिए इसे नए सिरे से मजबूत किया जाना चाहिए ताकि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में कोविड-19 के कारण जल्दी प्रभावित हो सकने वाली महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य तथा स्वस्थ रहने पर हुए भारी नुकसान को ठीक किया जा सके।

दुनिया भर के 190 से ज्यादा देशों के 1,000 से ज्यादा संगठनों का गठजोड़, द पार्टनरशिप फॉर मैटरनल, न्यूबॉर्न और चाइल्ड हेल्थ (पीएमएनसीएच), जो महिलाओं, बच्चों और किशोरों के वैश्विक स्वास्थ्य लक्ष्य की दिशा में काम करता है, ने विवादास्पद मैक्सिको सिटी पॉलिसी जिसे ग्लोबल गैग रूल भी कहते हैं, को खत्म करने या वापस लेने के अमेरिकी प्रशासन के निर्णय का आज यहां स्वागत किया।

पीएमएनसीएच ने उम्मीद जताई कि नया प्रशासन परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं के आवश्यक क्षेत्र में काम करने वाले विदेशी संगठनों के लिए अमेरिकी वित्तीय सहायता बहाल करने से आगे जाएगा और पीएमएनसीएच की कॉल टू ऐक्शन (Call to Action) का भी समर्थन करेगा जो दुनिया भर में लाखों, महिलाओं और बच्चे और किशोरों को खासतौर से महामारी के भारी प्रभाव को मुक्त करना चाहता है। इसकी वजह से दुनिया भर में लाखो महिलाओं, बच्चों और किशोरों का स्वास्थ्य तथा स्वस्थ्य रहना प्रभावित होता है।

पीएमएनसीएच के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर, हेल्गा फॉगस्टैड ने कहा, “मैक्सिको सिटी पॉलिसी को वापस लिया जाना दुनिया भर में महिलाओं, बच्चों के लिए स्वागत करने वाली खबर हैं।”

विदेशी परिवार नियोजन एजेंसियों को आवश्यक फंडिंग और गर्भ निरोधकों की आपूर्ति से वंचित रखने के लिए यह नीति जिम्मेदार रही है। इसका असर यह हुआ है कि अनचाहे गर्भ धारण के मामले बढ़ गए तथा असुरक्षित गर्भपात से हजारों लड़कियों तथा महिलाओं का स्वास्थ्य और जान खतरे में पढ़ गया।”

मैक्सिको सिटी पॉलिसी को 1984 से सभी अमेरिकी रिपबलिकन प्रशासन ने लागू किया है। यह विदेशी संगठनों को अमेरिकी वैश्विक स्वास्थ्य सहायता प्राप्त करने से प्रतिबंधित करता है। इनमें व्यापक गर्भपात सेवाएं, सूचना, कौनसेलिंग रेफरल और प्रतिबंध लगाने वाले कानूनों के खिलाफ प्रचार-प्रसार करना शामिल है। दिलचस्प यह है कि यह सब गैर अमेरिकी धन से बी नहीं किया जा सकता था। गुजरे चार साल में गैग रूल का बेहद विस्तार हुआ है। इससे न सिर्फ परिवार नियोजन समूह आवश्यक फंडिंग से वंचित रहे हैं बल्कि स्वास्थ्य और विकास के अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले संगठन भी प्रभावित हुए। इनमें एचआईवी/एड्स आदि की रोकथाम के लिए काम करने वाले समूह भी हैं जो इस नीति को मानने से मना कर रहे थे।

इसका नतीजा यह हुआ कि अनचाहे गर्भ के मामले बढ़ गए, असुरक्षित गर्भपात में वृद्धि हुई और प्रसाव के दौरान मांओं की मृत्यु के मामले बढ़ गए। विडंबना यह है कि नीति का मकसद इसी को रोकना था।

अकेले 2017 में दुनिया भर में करीब 295,000 महिलाओं की मौत गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव के बाद की अवधि में हुई। इसके अलावा, उच्च गुणवत्ता वाली यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं महिलाओं को जोखिम में डालती हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि 2015 और 2019 के बीच हर साल 121 मिलियन अनचाहे गर्भाधान हुए। इनमें से 61 प्रतिशत का गर्भपात करना पड़ा। अनुसंधान (Research) से पता चलता है कि असुरक्षित गर्भपात का अनुपात उन देशों में बहुत ज्यादा है जहां गर्भपात के कानून प्रतिबंध लगाने वाले हैं। उन देशों में ऐसे मामले कम हैं कानून कम प्रतिबंध लगाता है।

कोविड -19 महामारी ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया है। पूरे 2020 के दौरान आवश्यक यौन, प्रजनन, मातृत्व और बाल स्वास्थ्य सेवाएं बाधित रही हैं। महत्वपूर्ण क्लिनिक बंद कर दिए गए हैं या उनका उद्देश्य बदल गया है तथा लॉक डाउन से मुक्त आवाजाही बाधित हुई है। इन सबसे महिलाएं, बच्चे और किशोर ज्यादा जोखिम में रहे हैं।

कोविड-19 महमारी में हमारे समाज की प्रमुख ढांचागत कमजोरियां सामने आई हैं। इससे प्रभावित हो सकने वाले समूह और जोखिम में रहे। भुगतान की क्षमता के बिना सामाजिक सुरक्षा सुविधाओं और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच ऐसी महत्वपूर्ण सुविधा है जो स्वास्थ्य से संबंधित किसी भी संकट के प्रभाव को कम कर देते हैं।

गटमेशर इंस्टीट्यूट (Guttmacher Institute) द्वारा 2020 के शुरू में किए गए एक अनुसंधान में यह अनुमान लगाया गया था कि अल्प और दीर्घ अवधि तक काम करने वाले रिवर्सिबल गर्भ निरोधकों के उपयोग में 10% की कमी से भी तकरीबन 49 मिलियन महिलाएं ऐसी रह जाएंगी जिनकी आधुनिकी गर्भ निरोधक की जरूरत पूरी नहीं होगी और इसका असर यह होगा कि एक साल में 15 मिलियन अनचाहे गर्भधारण होंगे। अगर 10% गर्भपात सुरक्षित से असुरक्षित हो जाएं तो 325,000 गर्भपात असुरिक्षत होंगे और ये अतिरिक्त होंगे; इसी तरह 2020 में 1,000 मांओं की मौत अतिरिक्त हुई होगी।

ये चौंकाने वाले आंकड़े हैं जो अभी तक हुई प्रगति के लाभ को खत्म करने का डर पैदा करते हैं। इससे बचने के लिए जरूरी है कि हम महिलाओं और लड़कियों के प्रति अपनी कटिबद्धता बढ़ाएं। जुलाई 2020 में पीएमएनसीएच के सदस्यों ने एक सात सूत्री कॉल टू ऐक्शन (Call to Action) जारी किया था। यह महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य और स्वस्थ रहने पर कोविड-19 के नुकसानदेह प्रभावों के जवाब में थे। 2021-25 की अपनी रणनीति (2021-2025 Strategy) पर आगे बढ़ते हुए कॉल टू ऐक्शन के तहत नेताओं से अपील की गई है कि कोविड-19 के जवाब में और इससे निपटने के दौरान महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों और स्वास्थ्य की रक्षा करें तथा उसे प्राथमिकता दें। इसके लिए राजनीतिक प्रतिबद्धता, नीतियां मजबूत की जाएं और सुरक्षित गर्भपात समेत स्वास्थ्य से संबंधित अहम सेवाओं के लिए वित्त प्रबंध बेहतर किए जाएं। खासकर उनके लिए जो सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकती हैं।

दिसंबर 2020 में कॉल टू ऐक्शन के जवाब में उच्च, निम्न और मध्यम आय वाले देशों तथा फाउंडेशन के एक समूह ने सेवाएं फिर से बहाल करने तथा महिलाओं, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य की रक्षण के लिए $20.6 बिलियन देने  का प्रण किया। इसमें से $6.6 बिलियन कुल प्रण का (32%) निम्न और मध्यम आय वाले देशों से ही आया –  खासकर अफगानिस्तान, भारत, केन्या, लाइबेरिया और नाइजेरिया।

इस बात को महसूस करते हुए कि कोविड-19 से ज्यादा मुश्किल हुए ग्लोबल गैग रूप के प्रभाव को सिर्फ मैक्सिको सिटी पॉलिसी को वापस लेकर ठीक नहीं किया जा सकता है, पीएमएनसीएच दूसरी एजेंसियों से जुड़ रहा है ताकि अपनी आवाज पीएमएनसीएच सदस्य गटमेशर इंस्टीट्यूट की अपील से मिला सके। इसके तहत बिडेन हैरिस प्रशासन के शुरू के 100 दिनों में (first 100 days of the Biden-Harris administration) महिलाओं के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य तथा अधिकार में ठोस प्रगति की मांग की गई है।

पीएमएनसीएच के बोर्ड चेयर और न्यूजीलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क ने कहा, “विभाजक और नुकसानदेह मैक्सिको सिटी पॉलिसी एक महत्वपूर्ण पहला कदम है और पीएमएनसीएच का मानना है कि आगे के कदमों के तहत इसके साथ कुछ और कदम उठाए जाएंगे ताकि कोविड-19 से हुए अतिरिक्त प्रभाव को ठीक किया जा सके। अब यह आवश्यक है कि ढेर सारी रणनीतियां लागू कर दी जाएं ताकि सभी देशों में यौन और प्रजनन अधिकार बेहतर हो सकें।

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