बहाना तैयार: हारे नहीं, कोरोना ने हरा दिया

राजेंद्र सजवान

महामारी काल में ओलंपिक यदि कोई देश आयोजित कर सकता है तो केवल जापान ही हो सकता है। जिस देश ने कोविड 19 के कारण एक साल के स्थगन का खामियाजा भरा, करोड़ों का नुकसान उठाया, वह टोक्यो ओलंपिक के लिए कमर कसे है और किसी भी कीमत पर दुनिया के सबसे बड़े खेल आयोजन को अपनी आन बान के अनुरूप आयोजित करना चाहता है। कोरोना द्वारा विकराल रूप धारण करने पर एक समय अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के होश उड़ गए थे और उसके मुखिया को यह कहना पड़ा था कि खेल रद्द करने पड़ सकते हैं।

लेकिन जापान की आयोजन समिति तमाम नुकसान उठा कर भी खेलों के आयोजन को प्रतिष्ठा का सवाल बना चुकी थी और अब 23 जुलाई से 8 अगस्त तक खेलों का आयोजन तय माना जा रहा है।

जापान तैयार है लेकिन शेष दुनिया कितनी तैयार है और खासकर हमारे देश के खिलाड़ियों की तैयारी कैसी है? फिलहाल कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा। लेकिन चूंकि कोरोना की दवा का दावा कई देश कर रहे हैं इसलिए यह विश्वास करना पड़ेगा कि ओलंपिक रंगा रंग और रिकार्ड तोड़ रहेगा पर इस बार पदक तालिका में कौन टॉप पर रहेगा और कौन से देश महामारी की चपेट में आने के कारण अपनी खेल प्रतिष्ठा से हल्का प्रदर्शन कर पाएंगे,कहना मुश्किल है।

चीन बड़ा शातिर:

यह तय है कि कोरोना की उत्पत्ति का गुनहगार चीन अभी से मन ही मन अपनी जीत का जश्न जरूर मना रहा होगा। सूत्रों की मानें तो चीन दुनिया को बीमार कर तैयारी में लगा है वह जितना खिलंदड़ है उससे कहीं ज्यादा शातिर भी है। उसने पूरी दुनिया को महामारी में झोंक कर चुप्पी साध ली है और गुपचुप तैयारी में जुटा है। फिरभी दावे से कुछ भी नहीं कह सकते। अमेरिका भारत की तरह कोरोना पर नियंत्रण नहीं रख पाया परंतु उसके पास चैंपियनों की भरमार है और बहुत जल्दी उसके खिलाड़ी उच्च तकनीक के इस्तेमाल से जग जीत सकते हैं।

हैरान करेगा जापान !:

मेजबान जापान का चरित्र किसी से छिपा नहीं है। मेहनतकश, कर्मठ, ईमानदार और देशभक्ति के लिए प्रख्यात जापानी न सिर्फ शानदार आयोजन के लिए कटिबद्ध हैं पदक तालिका में भी उच्च स्थान जरूर चाहेंगे।अपनी मेजबानी और अपने समर्पित खेल प्रेमियों के सामने जापान बड़ी ताकत बन कर उभर सकता है। वरना सरकार और आयोजकों को कई कड़े सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं। वह इसबार बड़े देशों को हैरान कर सकता है और यही कामयाबी कोरोना काल की पीड़ा को कम करने का मरहम रहेगी।

बदल सकते हैं समीकरण:

पिछले कुछ ओलंपिक खेलों से अमेरिका और चीन एक दूसरे के साथ टकराते रहे हैं। उनके साथ जर्मनी, रूस,इंग्लैंड, फ्रांस,जापान, कोरिया, इटली, ब्राजील, जमैका आदि देश भी प्रतिस्पर्धा में शामिल रहे हैं। लेकिन कोरोना के चलते इस बार समीकरण बदल सकते हैं। दरअसल, कोरोना ने जिन देशों को ज्यादा परेशान किया है उन देशों के खिलाड़ियों की तैयारियां ज्यादा प्रभावित हुई होंगी।

यह भी संभव है कि एशिया और अफ्रीका के बहुत से गरीब देश कुछ खेलों से नदारद भी रहें। कोरोना की वैक्सीन आने में देरी का बहाना भारत के लिए बचाव का सबसे बड़ा हथियार बन सकता है। वैसे भी हमारे लिए ओलंपिक बस सैर सपाटा रहे हैं। हार जीत और मान सम्मान की कभी किसी ने परवाह नहीं की।

और हमारी तैयारी!:

यदि आप भारतीय खेल आकाओं, खेल मंत्री और आईओए के संतरियों से पूछेंगे तो सभी बड़े बड़े दावे करते नजर आएंगे। खेल मंत्रालय और साई के कुछ अधिकारी तो यहां तक कह रहे हैं कि प्रदर्शन रिकार्ड तोड़ रहेगा। पदक कौन जीतेगा किसी को पता नहीं। लेकिन इन अवसरवादियों की जुबान का कोई भरोसा नहीं। इन्हें खेल की भी कोई समझ नहीं। याद रखें जैसे जैसे ओलंपिल नजदीक आएगा, इनके सुर बदलेंगे और जब टोक्यो से लौटेंगे तो बहाना होगा,”कोरोना ने हमें हरा दिया”।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं.)

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