‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ में लोक कलाकारों ने किया अपनी-अपनी कलाओं का प्रदर्शन

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ (आरएसएम) के दूसरे संस्करण का पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में 22 से 24 फरवरी, 2021 के बीच आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव सरकार का एक महत्वाकांक्षी अभियान है। यह ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ और विविधता में एकता की भावना का प्रतीक भी है। महोत्सव के दूसरे दिन विभिन्न भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया गया जिसमें शेन हाइरापीट और कामरान खुर्शीद का गायन, डेनियल एंग्टी का उत्तर पूर्वी बैंड (जांबिली बैंड), सौनक चट्टोपाध्याय और सफायर डांस ट्रूप के नृत्य का मनमोहक प्रदर्शन देखने को मिला। स्थानीय नृत्य समूहों ने भी राय सिली नृत्य, च्याबरंग नृत्य, थाली मारुनी और खुकुरी नृत्य जैसे नृत्यों का प्रदर्शन किया।

आयोजन में बड़ी संख्या में दर्शकों ने भी भाग लिया और विभिन्न कार्यक्रमों का आनंद उठाया। आयोजन स्थल पर आने वाले दर्शकों ने विभिन्न कारीगरों द्वारा लगाई गई स्टाल पर जाकर कारीगरों से बातचीत की और उनके द्वारा बनाए गए विभिन्न उत्पादों को भी खरीदा। आयोजन स्थल की भव्यता ने दर्शकों का मन मोहा जहां लोगों ने अलग-अलग सुंदर स्थानों पर फोटोग्राफी की। विशेष रूप से डोकरा कला ने लोगों का मन मोहा।

इस तीन दिवसीय महोत्सव का उद्घाटन केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री श्री प्रहलाद सिंह पटेल ने 22 फरवरी, 2021 को दार्जिलिंग में किया। उन्होंने उद्घाटन अवसर पर संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह किस तरह से विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले युवा कलाकारों विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों के कलाकारों के लिए लाभकारी हो सकता है।

दार्जिलिंग में इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का शुभारंभ ओडिसी विजन एंड मूवमेंट सेंटर के नृत्य के साथ हुआ। उसके बाद डोना गांगुली का ओडिसी नृत्य, माइकल का सेक्सोफोन तथा शेन हाइरापीट के बैंड की प्रस्तुतियाँ हुईं।

‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ संस्कृति मंत्रालय का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है,जिसका आयोजन वर्ष 2015 से 7 सांस्कृतिक मंडलों की सहभागिता से किया जा रहा है। यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक विविधता को रंगभवनों और कला दीर्घाओं से बाहर बड़े पैमाने पर लोगों के बीच पहुँचाने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। यह आयोजन एक राज्य की लोक और आदिवासी कला, नृत्य, संगीत, व्यंजन और संस्कृति का दूसरे राज्य में परिचय कराने में महत्वपूर्ण है। इस तरह यह एक भारत श्रेष्ठ भारत के मंत्र के भी अनुरूप है। इसके साथ-साथ यह कारीगरों और कलाकारों के आजीविका के लिए भी एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। नवंबर 2015 से लेकर अब तक राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव का आयोजन विभिन्न शहरों और राज्यों में किया जा चुका है, जिसमें दिल्ली, वाराणसी, बंगलुरु, तवांग, गुजरात, कर्नाटक, टिहरी और मध्य प्रदेश शामिल हैं।

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