फुटबाल दिग्गज हॉकी पर हावी

राजेंद्र सजवान

रियो ओलम्पिक में अर्जेंटीना ने जब हॉकी का स्वर्ण पदक जीता तो कुछ लोग इसलिए हैरान थे क्योंकि यह लेटिन अमेरिकी देश फुटबाल की बड़ी ताक़त रहा है और हॉकी में उसने  तब तक औसत प्रदर्शन ही किया था।  इसी तरह जब विश्व फ़ुटबाल की श्रेष्ठ रैंकिंग में शामिल बेल्जियम हॉकी का नंबर एक रैंकिंग वाला देश घोषित किया गया तो हॉकी जगत में जैसे हड़कंप मच गया।

सालों पहले भारत और पाकिस्तान ने विश्व हॉकी पर राज किया। दोनों ही परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों का ओलम्पिक रिकार्ड  शानदार रहा है| ख़ासकर आजादी पूर्व से ही भारतीय हॉकी का गौरव ठीक वैसा ही था जैसे फुटबाल में बेताज बादशाह ब्राज़ील का रहा है। उनके पास पेले हैं तो हमरी हॉकी को दादा ध्यानचन्द ने उँचाइयाँ प्रदान कीं। लेकिन पिछले चार दशकों में भारत और पाकिस्तान की पहचान सिर्फ़ भागीदारी तक सिमट कर रह गई है। इस बीच बेल्जियम और अर्जेंटीना जैसे देश उभर कर आए और फुटबाल की तरह हॉकी में भी ताक़त बन गए।

लेकिन इन दोनों देशों से पहले जर्मनी, हालैंड, आस्ट्रेलिया स्पेन, इंग्लैंड आदि देश हॉकी में बड़ी पहचान बना चुके थे।  ख़सकार जर्मनी, हालैंड और आस्ट्रेलिया ने भारत और पाकिस्तान के दावे को दरकिनार कर विश्व कप और ओलम्पिक में शीर्ष स्थान पर कब्जा जमा लिया। अर्जेंटीना और बेल्जियम की तरह जर्मनी, हालैंड, इंग्लैंड, स्पेन, आस्ट्रेलिया जैसे देश फुटबाल में भी बड़ी ताक़त माने जाते हैं।

भले ही यह संयोग है लेकिन विश्व हॉकी पर सरसरी नज़र डालें तो टाप रैंकिंग के पहले दस देशों में भारत को छोड़ बाकी सभी देशों का फुटबाल रिकार्ड भी शानदार रहा है। जहाँ तक भारतीय फुटबाल की बात है तो हमारे पास एशियाई खेलों  के दो स्वर्ण पदक और चार बार ओलम्पिक भागीदारी की बासी अकड़ बची है। लेकिन आज की भारतीय हॉकी और फुटबाल में ज़्यादा अंतर नहीं बचा है। विश्व रैंकिंग में हॉकी चौथे स्थान पर है तो फुटबाल इसलिए 100वें स्थान के आस पास है क्योंकि फुटबॉल 200 से आधिक देशों का पहला खेल है।  हॉकी इसलिए बेहतर स्थिति में है क्योंकि दुनिया के 20 देश ही इस खेल को गंभीरता से लेते हैं।

लेकिन यह सच है कि हॉकी को फुटबाल के चैम्पियनों ने कब्जा लिया है| बुरा ज़रूर लगेगा लेकिन भारत इस श्रेणी में अनफिट लगता है। ना तो भारतीय हॉकी का गौरव बचा है और फुटबाल में बहुत पीछे रह गए हैं। इतने पीछे कि चैम्पियन  राष्ट्रों की बराबरी करने या नज़दीक आने में भी कई पीढ़ियाँ खप सकती हैं।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं.)

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