दूसरों की मदद लें

सोमा राजहंश

शादी जहां नई फैमिली बनाती है वहीं बच्चे इस परिवार की डोर को मजबूती देते हैं। पर  क्या एक नए बच्चे या वो जब तक समझदार न हो जाए अकेले उनका लालन पालन करना इतना आसान है। बच्चे के आने की खूशी तब काफुर हो जाती है जब उसकी सही परवरिश की बात आती है। ऐसे में याद आती है अपने बड़ो की। फिर चाहे आपकी मां हो या सास उनकी मदद लेने में हिचके नहीं। कुछ बातों को अगर आप ध्यान में रखेंगी तो मां बनने की खुशी दोगुनी हो जाएगी।

– नए जन्मे बच्चे को संभालने के लिए जितने हाथ हों उतना अच्छा होता है। ऐसे में दूसरे क्या सोचेंगे यह छोड़ कर बस बच्चे के फायदे के बारे में सोचें। यह सोचें कि उसके सही लालन-पालन में आपको कितनी और किससे  ज्यादा से ज्यादा मदद मिल सकती है।

– बच्चा जब थोड़ा बड़ा हो जाए तो उन्हें ऐटिकेट्स सिखाएं, जैसे अपने बड़ों को रिस्पेक्ट देना आप ये हमेशा ध्यान में रखें कि आप जिस तरिके से बात करेंगी आपका बच्चा भी वैसा ही करेगा आप जैसे खाएंगी बच्चा भी वैसा खाएगा। वैसे भी कहा जाता है कि पहली गुरु मां ही होती है। इसलिए आप अपने आप को हर नजरिए से बेहतर बनाएं।

–  अकसर बच्चे जब थोड़े बड़े हो जाते हैं तो आपकी हर बात को अपने नजरिए से देखते हैं। उनको जब कुछ ठीक नहीं लगता, तो बस हो गई आफत। वे विद्रोही व्यवहार करने लगते हैं।इस विद्रोही व्यवहार का हल सिर्फ परिवार के साथ बैठने में छिपा है। साथ बैठना यानी फैमिली डिनर। सख्ती से यह नियम घर में लागू कर दीजिए कि रात का खाना सब लोग साथ बैठकर ही खाएंगे। इस दौरान टेलीविजन, मोबाइल, लैपटॉप पर पाबंदी होगी। यही वो वक्त होगा जब आप बच्चे से उसके स्कूल, पढ़ाई और दोस्तों के बारे में बात कर सकती हैं। उसकी परेशानियां आपको पता चलेंगी ही आप कुछ सुझाव भी दे सकती हैं।

– कुछ आदतों से बच्चों को बचपन में बचाएं जैसे कि सिर्फ खामोश और अंधेरे वातावरण में। शांति और अंधेरे में सोने की आदत आप और बच्चे दोनों के लिए मुश्किल बन सकती है। इसलिए जरूरी है कि आप हर स्थिति में बच्चे के सोने की आदत डालें। अगर बच्चा सोएगा नहीं, तो परेशान रहेगा और आपकी परेशानी भी बढ़ाएगा। उसके स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ेगा।

– परिवार और दोस्ती की महत्व को बच्चों को शुरु से ही समझाएं। परिवार व दोस्ती नायाब चीज है और इससे बच्चे को रूबरू कराना बहुत जरूरी है। उसे इसकी अहमियत तो बतानी होगी, परिवार का साथ रहना और दोस्ती निभाना कितना जरूरी है, यह भी उसे समझाना होगा। इसके साथ ही उसे अच्छे और बुरे दोस्तों में फर्क करना भी सिखाना आपका ही काम है।

– बुरा तो खैर बुरा ही होता है फिर चाहे वो सपना ही क्यों न हीे, अक्सर बच्चों को रात में डर लगता है, उन्हें बुरे सपने आते हैं। इसमें भी आप उनकी मदद कर सकती हैं। सबसे पहले बच्चे में ये आदत डालें कि वो जब भी सोने जाए भगवान को नमन करें इसके साथ ही जब वह बिस्तर पर लेटे, तो आप भी उनके साथ लेट जाइए। उनसे बढ़िया-बढ़िया चीजों के बारे में सोचने के लिए कहिए। जैसे, पिछली ट्रिप की ढेर सारी मस्ती, पसंदीदा आइसक्रीम, मनपसंद वीडियो गेम या कुछ फेरीटेल की स्टोरी आदि। फिर देखिए उसे कितनी बढ़िया नींद आएगी बिना किसी डर के।

– बच्चों में अगर आप शुरु से ही किसी चीज की रुटीन तय कर देंगी तो ये उनकी आदत में शुमार हो जाएगा जैसे कि स्कूल से लौट कर अपने कपड़े, बैग और शुज़्ा को सही जगह पर रखना और लंच के बाद पहला काम सिर्फ होमवर्क होना चाहिए। होमवर्क के बाद एक घंटे की नींद भी बच्चे के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए स्कूल से लौटने के बाद लंच, होमवर्क और फिर नींद पूरा रूटीन सेट है। इससे बच्चे के बाकी काम के साथ होमवर्क भी कभी पिछड़ता नहीं है। ऐसा ही रुटीन उनके खेलने का भी होना चाहिए जिससे उनका शारिरक और मानसिक विकास सही से हो पाए।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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