‘मनोदर्पण’ कैसे करेगा छात्रों और अभिभावकों की परेशानियां दूर, जानें 

शिवानी रज़वारिया

कोरोना के इस काल में मानसिक रूप से सभी लोग परेशान है चाहे बुज़ुर्ग हो या युवा या फ़िर बच्चे! दुर्भागय बनकर आई इस बीमारी ने लोगों के जहन में एक डर बैठा दिया है। इसके बचाव के लिए अभी भी देश दुनिया में तमाम चीज़े बन्द पड़ी है विशेष रूप से स्कूल, कॉलेज, जिसके कारण विद्यार्थियों और अभिभावकों पर भविष्य को लेकर चिंता के बादल घेर रहें हैं। इससे बच्चों के अंदर मानसिक तनाव की खिड़की खुलने लगी हैं हालांकि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधाएं उपलब्ध की गई है पर मानसिक अस्वस्थता पर गौर करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कोरोना काल के दौरान छात्रों, उनके परिजनों और अध्यापकों के मानसिक स्वास्थ के लिए ‘मनोदर्पण’ वेबसाइट और राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर लॉन्च किया। इस वेबसाइट के द्वारा मंत्रालय ऑनलाइन पढ़ाई के दौर में छात्रों के स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिए सलाह और कल्याण सेवाएं प्रदान करेगा।मनोदर्पण के द्वारा जुटाए गए संसाधनों की मदद से विद्यार्थियों, उनके परिवारों और अध्यापकों के मानसिक स्वास्थ को सुनिश्चित करने के लिए एक स्थायी सहायता प्रणाली की सुविधा की गई है। जो कि इन्हें कोरोना काल के बाद भी मदद मुहैया कराती रहेगी।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने कहा, ‘कोविड-19 का प्रकोप वैश्विक है और सभी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। पूरी दुनिया न केवल एक स्वास्थ आपातकाल से जूझ रही है बल्कि इसने संपूर्ण मानव समाज में अनिश्चितता की भावना और एक तरह का मानसिक तनाव भी पैदा कर दिया है। इसका सबसे गहरा असर बच्चों और नौजवान छात्रों पर हुआ है। इस वजह से छात्र तनाव, चिंता, भय के साथ-साथ भावनात्मक और व्यवहारिक बदलाव से भी गुजर रहे है इसके अलावा इस महामारी के दौर में अध्यापकों और अभिभावकों में भी तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। जिसकी वजह से वो बच्चों की मदद नहीं कर पा रहे हैं। इन सब पहलुओं पर ध्यान देने के बाद मंत्रालय ने सोचा कि जहां एक तरफ शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है वहीं दूसरी तरफ छात्रों और उनके मानसिक स्वास्थ पर भी समान महत्त्व देना आवश्यक है।’

इसके लिए मंत्रालय ने 9 अप्रैल 2020 को शिक्षा, मानसिक स्वास्थ, बाल और किशोर मनोविज्ञान के विशेषज्ञों की एक वर्किंग कमेटी बनाई। जिसको इस एजेंडे को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी ताकि बच्चों के मानसिक स्वास्थ की निगरानी की जा सके ।कोविड-19 के दौरान और उसके बाद भी राष्ट्रीय हेल्पलाइन और ऑनलाइन संसाधनों द्वारा काउन्सलिंग सेवाओं के द्वारा उनकी मनोसामाजिक समस्याओं को संबोधित किया जा सके।

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने मंगलवार को मनोदर्पण योजना की शुरुआत की। इससे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 17 मई को आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मनोदर्पण कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की थी।विद्यार्थियों, उनके परिवारों और अध्यापकों के लिए परामर्श दिशानिर्देश बनाने का काम पूरा होने पर मंत्रालय की वेबसाइट पर इसका यूआरएल भी लगा दिया गया है जहां पर एडवाइजरी, सुझाव, पोस्टर, वीडियो, मनोसामाजिक समर्थन के लिए जरूरी बातें और प्रश्न उत्तर दिए होंगे।

क्या है विशेष:

इस प्रोग्राम को और व्यापक बनाने के लिए राष्ट्रीय टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 8448440632 भी शुरू की जाएगी, जो कि कोविड-19 संकट काल के बाद भी चालू रहेगी।
राष्ट्रीय हेल्पलाइन पर जिन राष्ट्रीय स्तर के काउंसलरों की मदद ली जा सकती है उनका डेटाबेस और डायरेक्टरी स्कूलों और विश्वविद्यालयों को उपलब्ध करवा दिया गया है।
टोल फ्री नंबर 8448440632 पर सुबह आठ से शाम आठ बजे तक फोन करने पर मनोचिकित्सा से संबंधित परामर्श ले सकते हैं।
बच्चों के लिए मनोसामाजिक समर्थन पर एक हैंडबुक प्रकाशित की गई है।
छात्रों, उनके परिवारों और अध्यापकों के लिए मानसिक स्वास्थ विशेषज्ञों के परामर्श और मार्गदर्शन के लिए एक इंटरैक्टिव ऑनलाइन चैट प्लेटफॉर्म भी शुरू किया गया है। साथ ही समय-समय पर वेबिनार इत्यादि के माध्यम से भी सभी से जुड़ने के प्रयास किया जाएगा।

बता दें कि इसमें ऐसे कई रचनात्मक कार्य एवं सुझाव हैं जिससे विद्यार्थियों को मानसिक तनाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी। इसमें स्कूल से लेकर कॉलेज तक के विद्यार्थियों की समस्याएं को लेकर दिशानिर्देश एवं सुझाव दिए गए हैं। मनोदर्पण में विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं परिवारों के लिए परामर्श भी दिये गए हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने अपने एक ट्वीट में मनोदर्पण के लिए बताते हुए लिखा, “कोरोना (कोविड-19) वास्तव में सम्पूर्ण विश्व के लिए एक चुनौतीपूण समय है। यह वैश्विक महामारी न केवल एक गंभीर चिकित्सा चिंता है, बल्कि सभी के लिये मिश्रित भावनाएं और मनो-सामाजिक तनाव भी लाती है। ऐसे समय में बच्चों और किशोरों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनमें ही सबसे अधिक  मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं सामने आ रही हैं।”

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