समाजसेवा कोई करें, भला तो जनता का ही होगा: विभय कुमार झा


 मधुबनी । पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने मानवीय समाज को अंत्योदय की परिकल्पना दी। उनकी ईच्छा थी कि समाज के निचले तबके तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार इस मंशा से काम कर कर रही है। संघ के स्वयंसेवक भी जमीनी स्तर पर समस्याओं के समाधान के लिए लगातार कार्य कर रहते हैं। वर्तमान में जिस प्रकार से कोरोना महामारी के कारण पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो चुकी है, वैसे में हम जैसे समाज से जुडे लोगांे की जिम्मेदारी बढ जाती है। गांव-कस्बा का एक भी व्यक्ति भूख से नहीं व्याकुल हो, यही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए हम और हमारी संस्था अभ्युदय लगातार कार्य कर रही है। बीते 26 साल से अभ्युदय सामाजिक और सांस्कृतिक उत्थान के लिए कार्य कर रही है। ये कहना है कि स्वयंसेवी संस्था अभ्युदय के वर्तमान अध्यक्ष विभय कुमार झा का।

अभ्युदय के अध्यक्ष विभय कुमार झा ने कहा कि हमें गर्व का अनुभव होता है कि मैं भारतीय जनता पार्टी से जुडा हूं। पार्टी नेताओं के द्वारा जब भी कोई जिम्मेदारी दी गई है, मैंने उसको बेहतर निर्वहन किया है। मिथिला की माटी में जन्म लेने के कारण मेरा यह पुनीत कर्तव्य है कि मैं मिथिला के लोगों के बीच रहूं और उनकी सेवा करूं। विभय कुमार झा ने कहा कि बेशक मैं अधिकतर समय दिल्ली में रहा, लेकिन जब कोरोना के रूप में विपत्ति आई, तो मुझे मिथिला आकर अपने लोगों के लिए काम करना जरूरी लगा। यही मेरा कर्तव्य भी है। इसलिए मैंने अपनी संस्था अभ्युदय के माध्यम से सबसे पहले मधुबनी में सामाजिक सहयोग का कार्य किया। कुछ क्षेत्रों में रहिका कोरोना वारियर्स के युवा साथियों का बेहतर साथ मिला।

युवा भाजपा नेता और अभ्युद के अध्यक्ष विभय कुमार झा कहते हैं कि अब यह देखकर बेहद खुशी होती है कि मेरे सामाजिक कार्य की खबरें जब स्थानीय लोगों और मीडिया के माध्यम से कुछ और नेताओं व समाजसेवियों तक पहुंची, तो वे लोग भी क्रियाशील हुए। क्षेत्रों में जाने लगे। कुछेक लोगों की मदद करने लगे। मैं ऐसे तमाम लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूं कि उन्होंने हमारे मधुबनी के लिए काम करना शुरू किया। मिथिला के लिए सोचा। हमारे लिए इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है। विभय कुमार झा ने तमाम समाजसेवियों और नेताओं से आहवान किया है कि आइए, अपने मिथिला के लिए काम करें। काम कोई करें, भला तो जनता का होगा। हमारे मिथिला का होगा। 

 

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