भारतीय पर्वतारोही पूर्णा मालवथ और विश्व चैम्पियनशिप की बैडमिंटन खिलाड़ी सृष्टि जपुदी ब्रिक्स सीसीआई  की ग्लोबल ब्रांड एंबेसडर बनी

चिरौरी न्यूज़

नयी दिल्ली: भारत की सबसे युवा पर्वतारोही और दुनिया की सबसे ऊंचे शिखर माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की किर्तिमान बनानेवाली सबसे कम उम्र की महिला सुश्री पूर्णा मालवथ और विश्व चैम्पियनशिप बैडमिंटन खिलाड़ी, सुश्री सृष्टि जपुदी को ब्रिक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने वर्श 2021-22 के लिए अपना वैश्विक ब्रांड एंबेसडर घोषित किया है। ब्रिक्स सीसीआई एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देता है । ऐसे समय में जब भारत 1 जनवरी 2021 से ब्रिक्स की अध्यक्षता कर रही है, सुश्री पूर्णा मालवथ और सृष्टि ब्रिक्स सीसीआई के प्रमुख चेहरों में से एक होगी ।

ब्रिक्स सीसीआई के उपाध्यक्ष श्री समीप शास्त्री ने कहा कि युवा, नवोन्मेष, उद्यमशीलता एक आशाजनक भविष्य है और विश्व चैम्पियनशिप की बैडमिंटन खिलाड़ी सृष्टि युवा नेताओं के लिए प्रेरक चेहरा होगी। “हम संवाद स्थापित करने और ऐसे रास्ते बनाने का लक्ष्य रखते हैं जो भविष्य के वादे को पूरा करने में हमारी मदद करेंगे जो हमारी पीढ़ियों को हमसे अधिक फलने-फूलने देंगे और इसमेयुवा पर्वतारोही पूर्णा मालवथ एवं युवा बैडमिंटन खिलाड़ी सृष्टि जपुदी अहम भुमिका निभा सकती है । वह ब्रिक्स राष्ट्रों में विशेष रूप से व्यवसायों, युवा उद्यमियों, महिला उद्यमियों और सभी भौगोलिक क्षेत्रों के स्टार्ट-अप्स के लिए एमएसएमई सेगमेंट के लिए एक सक्षम समर्थन प्रणाली बनाने के लिए अपनी दृष्टि को आगे बढ़ाने की कुंजी होगी।

पूर्णा का जन्म भारत के तेलंगाना राज्य के निजामाबाद जिले के पकाला गाँव में हुआ था। वह अपनी शिक्षा के लिए तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसाइटी में शामिल हो गईं। उनकी प्रतिभा को सोसायटी के सचिव डॉ0 आर.एस. प्रवीण कुमार ने पहचाना एवं सधनपल्ली आनंद कुमार के साथ उन्हें ऑपरेशन एवरेस्ट के लिए चुना । माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने की तैयारी में वह लद्दाख और दार्जिलिंग की पहाड़ियों तक जाती थी।

पूर्णा ने माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी मात्र 13 साल 11 महीने की उम्र में फतह कर वह सबसे कम उम्र की भारतीय और दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला बनीं। पूर्णा के साथ खन्नाम के सधनपल्ली आनंद कुमार भी थे। उसने 27 जुलाई 2017 को रूस और यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एल्ब्रस को भी फतह कर दिया। एल्ब्रस के शिखर पर पहुंचने के बाद, पूर्णा ने भारतीय राष्ट्रगान गाते हुए 50 फीट लंबे भारतीय तिरंगे को फहराया। पूर्णा के जीवन की कहानी पर आधारित एक फिल्म भी 2017 में जारी की गई थी जिसका नाम था- पूणार्ः करेज हैज नो लिमिट, जिसका निर्देशन राहुल बोस ने किया था।

वहीं सृष्टि जुपुड़ी ने बैडमिंटन में विश्व स्तर के मंच पर भारत का झंडा बुलंद किया है। उसने विश्व जूनियर बैडमिंटन चैम्पियनशिप, एशियन बैडमिंटन (जूनियर) चैंपियनशिप, ग्रां प्री में भारत का प्रतिनिधित्व किया और कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भाग लिया। उन्हें भारत की सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन अकादमी, गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी हैदराबाद में पद्म भूषण और आईओए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड श्री पुलेला गोपीचंद के तत्वावधान में प्रशिक्षित किया गया, जिन्होंने पी वी सिंधु, किदांबी श्रीकांत, साइना नेहवाल और अन्य लोगों को प्रशिक्षित किया किया। सृष्टि माल्कोम ग्लैडवेल के 10000 घंटे के नियम की भी प्रदाता है। एक नेतृत्व और सामाजिक मार्ग को आगे बढ़ाने के लिए सृष्टि ने पेशेवर खेल करियर तब छोड़ा जब वह अपनी श्रेणी में भारत की शीर्ष रैंक पर थी ।

 

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