IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने कृष्णमोहन झा

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: श्री कृष्ण मोहन झा ने अपनी नियुक्ति को चुनौती को रूप में स्वीकार करते हुए कहा है कि पत्रकारों के व्यापक हितों के संरक्षण हेतु संस्था द्वारा जो उत्तर दायित्व उन्हें सौंपा गया है उसके निष्ठा पूर्वक  निर्वहन में वे कोई कसर बाकी नहीं रखेंगे।

मीडिया क्लब नोएडा में 27 सिंतबर 2021 को IFWJ की133वीं वर्किंग कमेटी की बैठक आयोजित की गई| इस बैठक में इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के कई राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ ही राष्ट्रीय पदाधिकारी मौजूद थे बैठक में IFWJ से हेमंत तिवारी, परमानंद पांडे एवं अन्य का वित्तीय पदाधिकारियों  अनियमित्ताओं, नियम विपरीत कार्यवाही और भ्रष्टाचार के संगीन आरोपो के कारण निष्कासन किया गया, संगठन का नये ढंग से चुनाव करवाने का निर्णय लिया गया इसके साथ ही चुनाव कार्यवाही सम्पूर्ण होने तक IFWJ के वर्तमान राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और देश के प्रख्यात पत्रकार कृष्णमोहन झा को राष्ट्रीय अध्यक्ष और मनोज मिश्रा को राष्ट्रीय महासचिव बनाये जाने पर सहमति जताई। बैठक में पदाधिकारियों ने  IFWJ के सभी राज्यो में एफिलेटेड संगठनों से चुनाव प्रक्रिया में भाग लेकर संगठन को मजबूत बनाने की अपील की है|

राष्ट्रीय अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद कृष्णमोहन झा ने  कहा कि आजादी के बात  पत्रकारिता की चुनौतियां बढ़ती गई । संचार का दायरा भी बढ़ा और सन 2000 के बाद भारत में संचार क्रांति आईं। इतना ही नहीं पत्रकारिता के माध्यमों में भी जबरदस्त बदलाव आया। पहले समाचार पत्र पत्रिकाओं के रूप में केवल प्रिंट मीडिया ही पत्रकारिता का माध्यम था लेकिन बाद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ,वेब मीडिया ,रेडियो और अब सोशल मीडिया आ चुके हैं। इतने तरह के बदलाव आने के बावजूद पत्रकारिता में सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता का देखने को मिल रहा है। अब ब्रेकिंग ,बिग ब्रेकिंग के चक्कर में सनसनीखेज खबरें परोसी जी रही हैं। किसी भी व्यक्ति की चरित्र हत्या अब पत्रकारिता में सामान्य सी बात हो गई है। मैंने पत्रकारिता के सबसे बड़े और सबसे पुराने संगठन IFWJ में जिला सचिव से लेकर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अब राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का सफर तय किया है । श्रमजीवी  पत्रकारों के हित में कई लड़ाइयां भी लड़ी हैं परंतु आज मुझे बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि वर्तमान में ट्रेड यूनियन मूवमेंट विश्व के लगभग हर देश में दम तोड रहा है।

पत्रकारिता आज मिशन की जगह मुनाफे का उद्योग बन कर रह गई है। पत्रकारों के सामने सबसे बड़ा संकट यह है कि संस्थान उन्हें पत्रकार का दर्जा देने में भी संकोच कर रहा है जिसकी  मुख्य वजह यह है कि  उसे मजीठिया आयोग की सिफारिशों को अमल में लाना होगा और यही वजह है कि पत्रकार को संस्थान का एजेंट बनकर कांटेक्ट बेस पर कार्य करना पड़ रहा है ।

आज हम देख रहे हैं देश के बड़े-बड़े पत्रकार संगठन दो तीन गुटों में विभाजित हो गए हैं जिसके कारण पत्रकारों के हित में लड़ाई गौण हो चुकी है। जहां भी आप काम करने जाएंगे दूसरा विरोधी खेमा आपके कार्यक्रमों को और आपके प्रयासों को विफल करने में जुट  जाता है। इससे पत्रकार समाज के हित  प्रभावित होते हैं। और राजनेताओं अथवा व्यापारिक संस्थानों से किसी भी पत्रकारिता संगठन को अपेक्षित  सहयोग नहीं मिल पाता।इस संगठन के माध्यम से हमारा मकसद पत्रकारों के हितों की लड़ाई के साथ उनके वेलफेयर के लिए कार्य करना है। हम इस संकल्प के साथ 2016 मे पुराने साथियों का साथ छोड़कर IFWJ के नवनिर्माण का निर्णय लिया था | लेकिन हमारा दुर्भाग्य की हम अपने लक्ष्य में सफल नही हो सके|

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