कोरोना का अत्याचार, मंहगाई की मार से मिडिल क्लास हुआ लाचार
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: देश में कोरोना ने पहले ही मिडिल क्लास की अर्थव्यवस्था चौपट कर राखी है, उसपर पेट्रोल और डीजल की बढती कीमतों ने जीना मुश्किल कर दिया है। पेट्रोल, डीजल और एलपीजी के बढ़ते दामों ने थोक महंगाई दर को अब अब तक के सर्वाधिक स्तर पर ला दिया है। घरेलू उपयोग की वस्तुओं की कीमतें अस्स्मन छूने लगे है। देश में थोक महंगाई दर मई महीने में 12।94 फीसदी पहुंच गयी है जो अपने आप में रिकॉर्ड है।
देश में लगातार बढ़ते दामों के मद्देनदर थोक मुल्य सूचकांक के मुताबिक भारत में थोक मुद्रास्फ्रीति की शुरूआत वित्त वर्ष 2021 में बड़े पैमाने पर हुई। अप्रैल महीने से ही इसमें बढ़त जारी थी। जब यह मार्च के 7।39 फीसदी और फरवरी के 4।17 फीसदी से मुकाबले अप्रैल में बढ़कर 10।94 फीसदी हो गया था।
मई के महीने में इंधन मुद्रास्फ्रीति में 37 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो अप्रैल महीने के 21 फीसदी के तुलना में लगभग दोगुना है। मई महीने में पेट्रोल की कीमतों में 62 फीसदी, अप्रैल में 42।37 फीसदी और मार्च में 18।4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। वहीं एलपीजी की कीमतों की बात की जाय तो इसमें फरवरी के बाद जबरदस्त उछाल आया। फरवरी महीनें में एलपीजी के दाम 0।5 फीसदी बढ़े थे जबकि मार्च में 10।5 फीसदी अप्रैल में 20।34 फीसदी और मई के महीने में 60 फीसदी तक दाम बढ़ गये थे। इसके कारण मिडिल क्लास फैमिली के लिए किचन मैनेज करना मुश्किल हो गया। खाद्यान्न तेलों के दामों में बड़ा उछल आया है।
देश में निर्मित की गयी वस्तुओं के दाम में 10।5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ खाद्यानों की दाम में बढ़ोतरी के कारण भी लगातार पांचवे महीने महंगाई दर बढ़ी है।
देश के नागरिकों पर पहले कोरोना और अब मंहगाई की मार पड़ने से गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना मुश्किल होते जा रहा है।