बुलंदी के आगाज़ की ओर नरेन्द्र मोदी का भारत
रीना. एन. सिंह, अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय
मै भारतीय हूँ और यह होना ही मेरे लिए प्रयाप्त है, देश के विकास में योगदान देना और देश को सशक्त बनाना भी देशभक्ति है। भारत की आज़ादी का सपना किसी एक व्यक्ति का सपना नहीं था बल्कि सामाजिक, आर्थिक एवं राजनितिक परतंत्रता से मुक्ति का स्त्रोत था। बहुत कम लोगो को यह जानकारी होगी कि 17 शताब्दी में भारत विश्व के लगभग 23% आय का स्रोत था, जो कि घट कर वर्ष 1952 में 3.8% रह गया।
मुगलों एवं अरबों जैसे विदेशी आक्रान्ताओं ने हिंदुस्तान से दिल खोल कर लूट पाट की, वही दूसरी ओर अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों से उनकी ही खेती की जमीनों को अपने अलग-अलग कानूनों की आड़ में छीन लिया, जिससे की भारत का एक सामान्य किसान एवं जमींदार अपने हिसाब से खेती करने का भी हक़ खो बैठा। अंग्रेज़ो ने हिंदुस्तानी ख़ज़ाने को सात समुन्दर पार अपने देश तक पहुंचाने के लिए भारत के विभिन हिस्सों से रेलवे लाइनों को बंदरगाहों तक बिछाया। 1947 में देश आज़ाद हुआ और अंग्रेज़ो की जगह कांग्रेस सत्ता में आयी, 15 अगस्त हमारे देश के इतिहास का सबसे काला दिन बन गया जब धर्म के आधार पर देश का बटवारा हुआ और विश्व का सबसे बर्बरता पूर्ण भीषण नरसंहार। वह ऐसा समय था जब कुछ मुट्ठी भर लोगों ने भारत माता के टुकड़े कर अपने निजी स्वार्थों के लिए देश के आम जन को विषम परिस्थितियों के हवाले कर दिया, यह एक ऐसा जख्म था जिसके घाव आज लगभग 75 साल बाद भी हरे हैं।
17 शताब्दी में जो देश विश्व की आमदनी का 23 % हिस्सेदार था वह 1964 में भुखमरी की कगार पर आ गया, देश में अनाज की ऐसी किल्लत हुई की अमेरिका जैसे देश से भारत को अनाज एवं खाद्य सामग्री आयात करनी पड़ी। यह सब देश के प्रथम प्रधानमंत्री की सोच का नतीजा था की देश में लागू 5 वर्षीय योजनाएं नाकामयाब रही। जब नीतियों के नतीजे उम्मीदों से बेहद कम रहे।
आज़ादी के बाद देश की अर्थव्य्वस्था के विकास की गाड़ी विश्व के अन्य देशो के मुकाबले बेहद निम्न स्तर पर रही जब अफ्रीका जैसे देश हमसे ज़्यादा प्रगतिशील थे। हमारे देश के आर्थिक संघर्ष की नीव कांग्रेस की खोखली आर्थिक नीतियों ने उस वक्त रख दी थी जब आज़ादी के तुरंत बाद विकास की नीति आम जन के धन एवं सम्पति को सरकारी संरक्षण में लेने का कानून बना कर हो रही थी।
हमारे देश के नेताओ ने किसान के धन प्रजनन के माध्यम तथा युवा के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने की बजाये लोगो के पैसे से सरकारी तंत्र को मजबूत किया, जिससे आने वाले समय में सरकार का वित्तीय घाटा एवं कर्ज़ सालो साल बढ़ता ही चला गया। देश का सार्वजनिक क्षेत्र (पब्लिक सेक्टर) जिसकी उत्पति लोककल्याण के लिए हुई थी वह ही देश की जनता पर सबसे बड़ा बोझ बन गया, उसके साथ साथ कानूनी व्यवस्था को ऐसा बनाया गया की एक आम साधारण नागरिक किसी भी “पब्लिक सर्वेंट” का किसी भी प्रकार का दोषी होने पर कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जिसके कारण सरकारी बाबू एवं सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा प्रजनन स्त्रोत बन गए जिससे हमारा देश आज भी झूझ रहा है।
हमारे देश में अंग्रेज़ो ने खेती व्यवस्था को बुरी तरह से चरमरा दिया तथा कांग्रेस की गलत नीतियों ने एक आम किसान की ऐसी कमर तोड़ी की वह मोदी सरकार के आने से पहले उसी आर्थिक हालत में था जैसा आज़ादी के समय में था।
नरेंद्र मोदी देश के पहले गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री है जिन्होंने देश की उन्नति के लिए किसान एवं खेती की व्यवस्था को सुचारु करने का अथाह प्रयास किया है। किसी भी देश की उन्नति एवं विकास के लिए सबसे पहली जरुरत आर्थिक तरक्की है। हमारा देश हर मोर्चे पर कठिन संघर्ष कर रहा है चाहे वह आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा का मामला हो, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारो में अपनी पहचान बनाना हो या फिर विदेशी मुद्रा भंडार।
विगत कई वर्षो से हम विदेशी कर्ज़ ही चुकाते आ रहे है जिससे हमारी अर्थव्यवस्था कभी पटरी पर आयी ही नहीं। अगर हम मोदी सरकार की बात करें तो हम पाएंगे की पिछले 75 वर्षो में देश के हितों के विपरीत ऐसे गलत निर्णय हुए की जिन्हें ठीक करने में ही नरेंद्र मोदी की सरकार प्रयासरत है। देश के वित्तीय घाटे को कम करना मोदी सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है।
देश ने ऐसा कठिन दौर देखा है जब 90 के दशक में विदेशी बैंको से ऋण लेने के लिए भारत सरकार को अपने सोने के ख़ज़ाने का बड़ा हिस्सा बेचना एवं गिरवी रखना पड़ा। डॉलर के मुकाबले कमज़ोर होता रूपया तथा देश में तेलों के बढ़ते दाम के पीछे का कारण कोई सात आठ साल की नीतियों का परिणाम नहीं है बल्कि ऐसी खोखली नीतियों की बदौलत है जब दिशाहीन सरकारों ने अपनी गलत नीतियों के कारण सम्पूर्ण देश के भविष्य को अंधकार में झोंक दिया। वह देश जिसके परिवार के तीन सदस्य प्रधानमंत्री के पद तक पहुंचे एवं देश की सुरक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण सौदों में दलाल बन कर रहे एवं दलाली खाई, एक ऐसे परिवार के पूर्वजों ने हमारे देश के विकास एवं समृद्धि की नीव रखी जिसके परिवार के अधिकतम लोग आज न्यायालय से जमानत पर है।
नरेंद्र मोदी की सरकार ने वर्ष 2014 में प्लानिंग कमीशन को बदलकर नीति आयोग किया जो सरकार को ऐसा प्रबुद्ध मंडल प्रदान कर रही है जो हर छोटे बड़े निर्णय में मोदी सरकार को सलाह देता है। आने वाले दशकों में हमारे देश को नरेंद्र मोदी जैसे एक सच्चे देश सेवक की जरुरत है जो बिना किसी निजी स्वार्थ के एक आम जन की भावना को समझे तथा देश को उन विषम परिस्थितयों के कुचक्र से बाहर निकाले जिससे देश अभी तक संघर्ष कर रहा है।
हमे यह याद रखना होगा की देश भक्ति सिर्फ झंडा लहराने में नहीं है, बल्कि इस प्रयास में है की सम्पूर्ण देश चहुमुखी विकास के पथ पर चलता हुआ सुरक्षित एवं मजबूत हो क्यूंकि ना तेरा, ना मेरा, ना इसका, ना उसका ये वतन है हम सबका।
(लेखिका रीना. एन. सिंह, सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता हैं और आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक विषयों की विशेषज्ञ हैं।)