जेईई, नीट की परीक्षा टालने से विपक्ष का फ़ायदा या सरकार का?

शिवानी रजवारिया

कोरोना काल में शिक्षा विभाग प्रभावित होने से छात्रों और अभिभावकों दोनों पर इसका असर पड़ा। पूरे लॉकडाउन के दौरान सभी स्कूल कॉलेज बंद पड़े हैं। स्कूल कॉलेज की जगह ऑनलाइन क्लासेज ने ले ली है पर कॉम्पिटेटिव एग्जाम्स जो छात्रों के आगामी कैरियर की पहली सीढ़ी होते हैं जिनके लिए हर साल लाखों की तादाद में बच्चे एग्जाम की तैयारी करते हैं पर इस साल लॉकडाउन की वजह से ना तो परीक्षा निर्धारित समय पर हो सकी और ना ही तैयारियां। ऊपर से कोरोना संक्रमण का खतरा। कोरोना काल ने सबको मानसिक रूप से प्रभावित किया है।

शिक्षा मंत्रालय ने नीट की परीक्षा की तारीख 13 सितंबर और जेईई मेन की 1 से 6 सितंबर के बीच रखी है जिस पर छात्र और अभिभावक परीक्षा टालने का आग्रह कर रहे हैं। पर शिक्षा मंत्रालय की ओर से यह साफ कर दिया गया है कि परीक्षा तय समय पर ही होगी। परीक्षा के विरोध में विपक्ष पार्टी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बुधवार को 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की जिसमें परीक्षा को टलवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने की सहमति दिखाई गई और साथ ही कांग्रेस ने 28 अगस्त को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा भी की है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, और पांडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने इस विरोध प्रदर्शन की सहमति जताई।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना था कि हमें छात्रों का जीवन खतरे में क्यों डालना चाहिए? ममता बनर्जी ने तो सीधा प्रधानमंत्री को पत्र लिख दिया पर उस पत्र का उन्हें जवाब ही नहीं मिला और अब वह सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहती है उन्होंने अपना ऐसा सुझाव भी रखा। फिलहाल विपक्ष पार्टी भी नीट और जेईई की परीक्षा को लेकर विरोध पक्ष में बढ़-चढ़कर भाग ले रही है वही नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने नीट के प्रवेश पत्र जारी कर दी हैं और चार लाख से ज्यादा छात्रों ने प्रवेश पत्र डाउनलोड भी कर लिए हैं। जेईई एडवांस का शेड्यूल भी आईआईटी दिल्ली ने जारी कर दिया है आवेदन के लिए 11 सितंबर की तारीख विंडो खोलने के लिए तय की गई है।

आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर वी राम गोपाल राव और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के महानिदेशक विनीत जोशी का कहना है कि छात्रों के हित में अकादमिक सत्र को बचाना बेहद अहम है हम छात्रों व अभिभावकों को आश्वस्त करना चाहते हैं की परीक्षा को सुरक्षित बनाने के लिए ओएसपी बनाई गई है लिहाजा इस समय परीक्षा को टालने से छात्रों का ही नुकसान होगा अगर परीक्षा टलती है तो लाखों छात्रों का साल बर्बाद हो जाएगा हम पहले से ही 6 महीने की देरी से चल रहे हैं। कोरोना एक साल तक जाने वाला नहीं है। हम हमेशा लॉकडाउन में नहीं रह सकते लिहाजा हमें सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए आगे बढ़ने की आदत डालनी होगी।

इस समय किसी भी तरह का परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम में बदलाव छात्रों के लिए नुकसानदायक ही होगा और साथ ही उन्होंने कहा कि आईआईटी किसी भी प्रकार से परीक्षा पैटर्न और पाठ्यक्रम में बदलाव या किसी भी तरह की कटौती नहीं करेगा यह पहले ही छात्रों को बताया जा चुका है। प्रवेश परीक्षा के आधार पर ऑनलाइन दाखिले के बाद ऑनलाइन क्लास रूम से पढ़ाई शुरू होने से छात्रों को ही फायदा होगा।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जेईई और नीट में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पूरी सुरक्षा के साथ इस परीक्षा की तैयारी की गई है। पूरी तरह सामाजिक दूरी के नियमों का पालन किया जाएगा और संक्रमण से बचा जा सकेगा। परीक्षा से पहले और परीक्षा होने के बाद एसओपी तैयार की गई है। छात्र परीक्षा देना चाहते हैं इसलिए 85 फ़ीसदी ने जेईई और नीट में पहले 4 घंटों में साढ़े पांच लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने प्रवेश पत्र डाउनलोड कर लिया है।

दोनों ही पक्षों से यह साफ़ जाहिर होता है की विपक्ष पार्टी इस परीक्षा के खिलाफ है और जोर शोर से इसके विरोध में खड़ी है वही सत्ताधारी बच्चों के हितों को ध्यान में रखते हुए इस परीक्षा को टालने के लिए टस से मस होने के लिए तैयार नहीं। अब सवाल यही उठता है कि इस प्रक्रिया को टालने की मांग काफी समय से ही हो रहीं हैं और अब विपक्ष भी उसमें कूद पड़ा है। ऐसे में सरकार पर कितना दबाव बढ़ता है और क्या जेईई और नीट की परीक्षा निर्धारित समय पर ही होगी?

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