सुप्रीम कोर्ट के द्वारा बनायीं गयी ऑक्सीजन ऑडिट कमिटी ने माना कि दिल्ली ने बढ़ा-चढ़ा कर बताई थी ऑक्सीजन की मांग

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: देश में कोरोना की दूसरी लहर ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया है। देश का शायद ही कोई ऐसा कोना बचा था जहाँ कोरोना ने कहर नहीं बरपाया, लेकिन उस दूसरी लहर में भी कई ऐसे लोग थे जिन्हें दूसरों की मदद करने के बजाय अपनी या तो राजनीति चमकानी थी या पैसे कमाने थे।

याद कीजिए 15 अप्रैल से 10 मई तक का समय जब दिल्ली में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मची हुई थी, एक-एक बेड के लिए लोग हॉस्पिटल के बाहर मिन्नतें करते हुए दिखाई दे रहे थे, ऑक्सीजन की कमी के कारण कई हॉस्पिटल ने अपने हाथ खड़े कर दिए थे। कोई केंद्र सरकार को दोषी ठहरा रहा था तो कोई राज्य सरकार को।

सुप्रीम कोर्ट ने देश की राजधानी दिल्ली सहित पूरे भारत में ऑक्सीजन की किल्लत को देखते हुए और ऑक्सीजन वितरण व्यवस्था में कमी की जांच कराने के लिए 8 मई को 12 सदस्यीय टास्क फोर्स बनाया था। बता दें कि दिल्ली के लिए अलग से एक सब-ग्रुप बनाया गया था जिसमें एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया, मैक्स हेल्थकेयर के संदीप बुद्धिराजा के साथ केंद्र और दिल्ली के 1-1 वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं।

अब उस टास्क फ़ोर्स ने अपनी रिपोर्ट दी है जिसमें माना गया है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली ने अपनी ऑक्सीजन ज़रूरत को बढ़ा-चढ़ा कर बताया था। दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित कमिटी के मुताबिक दिल्ली की तरफ से 25 अप्रैल से 10 मई के बीच ऑक्सीजन की जो मांग रखी, वह वास्तविक आवश्यकता से 4 गुना तक अधिक हो सकती है।

एक चौंकाने वाली बात सामने आई है जिसमें दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित कमिटी को पेट्रोलियम एंड ऑक्सीजन सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन (PESO) ने बताया है कि दिल्ली के पास सरप्लस ऑक्सीजन था। दिल्ली का सरप्लस ऑक्सीजन से दूसरे राज्यों की मरीजों की जान बचाई जा सकती थी। कमिटी को बताया गया कि दिल्ली को लगातार अधिक सप्लाई से राष्ट्रीय संकट खड़ा हो सकता था।

दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट के लिए गठित कमिटी ने राजधानी में बेड कैपेसिटी के आधार पर की गई गणना के हिसाब से दिल्ली को सिर्फ 289 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की ज़रूरत थी। लेकिन उसने 1140 मीट्रिक टन तक की ज़रूरत बताई जो कि लगभग 4 गुना अधिक था।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके कैबिनेट के कई सदस्यों ने प्रेस कांफ्रेंस कर के केंद्र सरकार से लगातार गुजारिश कर रहे थे कि दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई बढ़ा दी जाय। अब सवाल उठता है कि वह ऐसा क्यों कह रहे थे? क्या दिल्ली के मुख्यमंत्री को जानकारी नहीं थी कि दिल्ली को कितने ऑक्सीजन की जरुरत है, या फिर इसमें भी कोई उनका राजनीति छुपा हुआ है।

दिल्ली की मुख्यमंत्री के कई प्रेस कांफ्रेंस के बाद और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को आदेश दिया था कि दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन की सप्लाई की जाए। हालांकि कोर्ट में बहस के दौरान केंद्र के वकील सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि दिल्ली को अधिकतम 415 मीट्रिक टन की ज़रूरत है। उसके बाद उन्होंने दिल्ली के ऑक्सीजन ऑडिट की मांग उठाई थी। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी बनायीं थी।

हालांकि इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट सिर्फ बेड कैपेसिटी के हिसाब से ऑक्सीजन की मांग के आकलन के तरीके को अव्यवहारिक बता चुका है और इसमें बदलाव का सुझाव दिया था।

अब इस कमिटी के रिपोर्ट को 30 जून की सुनवाई में कोर्ट के सामने रखा जाएगा। जाहिर सी बात है, राजनीति इस पर तेज होगी और एक बार फिर केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *