गांव में अधिक मजबूत होती प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: कोविड महामारी ने ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाओं के मूल्यांकन करने का भी मौका दिया। कोविड संक्रमण के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र में अन्य एनसीडी बीमारियों की स्क्रीनिंग और जांच सेवाएं बाधित नहीं हुईं। एक फरवरी 2020 सेजून 2021 तक 75 प्रतिशत नॉन कम्युनिकेबल डिसीस (एनसीडी या गैर संचारित बीमारियां) की जांच की गई। कैंसर, डायबिटिज और हाईपरटेंशन का इलाज यदि कोविड के चलते बाधित होता तो कोविड के बाद इन बीमारियों के ग्राफ में तेजीसे बढ़ोतरी होती जिसे नियंत्रित करना खासा मुश्किल होता। कोविड के लगभग सभी संभावित प्रभावों को ध्यान में रखते हुए राज्यों के साथ मिलकर ग्रामीण स्तरपर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है, बावजूद इसके ग्रामीण क्षेत्र में भी कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना जरूरी है। प्रशासनिक स्तर पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उपयोगिता तब ही है जबकि ग्रामीण क्षेत्र में भी कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन कर सभी अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएं।

ग्रामीण परिपेक्ष्य में यदि भारत की स्वास्थ्य सेवाओं कोदेखें तो मार्च 2020 तक के आंकड़ों के अनुसार 1,55,404 उप स्वास्थ्यकेन्द्र, 24,918 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ग्रामीण क्षेत्र में हैं और केवल 5896 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शहरीय क्षेत्र में हैं। वर्ष 2018 में शुरू की गई सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत- हेल्थ एंड वेलनेस केन्द्र योजना के जरिए भी ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं को बल मिला। जिसके माध्यम से गांवों में लोगों की प्रीवेंटिव हेल्थ को लेकर जागरूकता बढ़ी। देश भर में इस समय संचालित 75,994 आयुष्मान भारत- हेल्थ एंड वेलनेसकेन्द्रों की बड़ी संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित की गई है। जहां तीससाल से अधिक उम्र के युवाओं की सामुदायिक स्तर पर आशा कार्यकत्रियोंद्वारा स्वास्थ्य जांच (सीबीएसी) स्क्रीनिंग की जाती है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र में डायबिटिज, कैंसर, हाईपरटेंशन और सर्विकल कैंसर की प्रारंभिकस्तर पर ही जांच की जा सकती है। बे

हतर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहले जहांग्रामीण क्षेत्र के लोग बड़े शहर की तरफ दौड़ते थे, अब सामुदायिक स्तर परजांच सेवाओं का विस्तार किया गया। इन सेवाओं से महिलाओं को सबसे अधिक स्वास्थ्य लाभ हुआ, जिनकी अधिकांश बीमारियों की पहले शुरूआती स्तर पर जांच नहीं हो पाती थी। एचडब्लूसी (हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर) के माध्यम से 50.29 करोड़ आबादी की स्वास्थ्य जांच की गई, जिसमें 54 प्रतिशत महिलाओं ने स्वास्थ्य की नियमित जांच कराई। सामुदायिक स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों के कॉडर को अब अधिकारी के रूप में जाना जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर तैनात कम्यूनिटी हेल्थ ऑफिसर के नेतृत्व में उप स्वास्थ्य केन्द्र और आशा कार्यकत्रियों के काम की देखरेख की जाती है। जिससे ग्रामीण क्षेत्र कीस्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ी।

इन केन्द्रों की उपयोगिता को देखतेहुए दिसंबर 2022 तक देशभर में इनकी संख्या डेढ़ लाख तक करने की योजना है।निश्चित रूप से इसका फायदा यह होगा कि गंभीर बीमारियों की पहचान पहले चरणपर हो सकेगी।

कोविड जांच और इलाज की गाइडलाइन

कोविड संक्रमण पर निगरानी रखने के लिए सभी उप स्वास्थ्य केन्द्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जांच के लिए एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर)जारी किया गया। रैपिड एंटीजन जांच की अनिवार्यता के साथ ही सभी केन्द्रोंपर प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ तैनात किया गया। जिससे किसी के भी इलाज मेंलापरवाही की आशंका न हो। रैपिड एंटिजन जांच की गंभीरता को देखते हुएमंत्रालय ने सभी राज्य और केन्द्र शासित राज्य के अधिकारियों को जांच सेजुड़े मेडिकल स्टॉफ को पर्याप्त मेडिकल प्रशिक्षण देने का आदेश दिया। सैंपल कलेक्शन से लेकर जांच रिपोर्ट, सैंपल संरक्षित करने और डाटा प्रबंधन में आईपीसी प्रोटोकॉल (इंफेक्शन प्रीवेंशन प्रोटोकॉल) का पालन करना सुनिश्चित किया गया।

गांवों में भी कोविड अनुरूप व्यवहार जरूरी

वैसे तो गांव हो या शहर सभी स्तर जगह कोरोना से बचाव का एक ही मंत्र काम करता है वह है वैक्सीनेशन और कोविड अनुरूप व्यवहार का पालन करना, शहर की तरह ही गांव में भी कोविड अनुरूप व्यवहार संक्रमण के जोखिम से बचा सकता है। यहां लोगों को समूह के बीच चर्चा करना, एक दूसरे के घर जाना, गले मिलना और साथखेलने, खाने का ट्रेंड अधिक देखा जाता है। कुछ दिनों के लिए इस तरह के सामूहिक जमावड़े को नजरअंदाज करना है, दूर से ही अभिनंदन किया जाएं और गले मिलने की जगह नमस्ते से काम चलाएं। सामाजिक दूरी का पालन करें और नियमितरूप से हाथ धोते रहें।

कुछ अन्य पहलू-

– उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर 14 और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 63 प्रमुख जांच सुविधाएं मुहैया कराई गईं।

– सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 105 और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर 172 जरूरी दवाएं उपलब्ध कराई गईं।

– टेली -कंसलटेंसी की जरूरत को देखते हुए ई-संजीवनी  टेली कंसलटेंसी सेवाशुरू की गई। जिसके जरिए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर 26.42 लाख लोगों ने सेवाली।

– कोविड टीकाकरण को बढ़ावा देने के लिए पंचायत घर के पास टीकाकरणकी सुविधा दी गई। इसके साथ ही बुजुर्गों की सुविधा को देखते हुए घर के पासही स्कूल, सामुदायिक केन्द्र और उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर टीकाकरण सेंटरबनाए गए।

 

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