प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र के स्वरुप में बदलाव की मांग की

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संयुक्त राष्ट्र महासभा के सम्मेलन को ऑनलाइन संबोधित किया जिसमें उन्होंने मांग की कि अब समय आ गया है कि संयुक्त राष्ट्र के स्वरुप में बदलाव किया जाय। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि आखिर भारत को कब तक संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जायेगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी लॉजिकल ऐंड तक पहुंच पायेगा।

भारत की उपलब्धियों का बखान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक ऐसा देश, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, एक ऐसा देश, जहां विश्व की 18 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या रहती है, एक ऐसा देश, जहां सैकड़ों भाषाएं हैं, सैकड़ों बोलियां हैं, अनेकों पंथ हैं। ऐसा देश संयुक्त राष्ट्र में अपने स्थान की प्रतिक्षा कर रहा है, यह कहां तक सही है।

मोदी ने कहा कि जिस देश ने वर्षों तक वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने और वर्षों की गुलामी, दोनों को जिया है, जिस देश में हो रहे परिवर्तनों का प्रभाव दुनिया के बहुत बड़े हिस्से पर पड़ता है, उस देश को आखिर कब तक इंतजार करना पड़ेगा?

पीएम मोदी ने कहा, “ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियां बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे। वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूंजी गंवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे?”

विश्व के समक्ष आये कोरोना संकट पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूं। भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलिवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आयेगी। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयां भेजीं हैं।

 

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