सुशांत सिंह राजपूत की मौत से उठते सवाल

ईश्वर

सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या (?) से उपजे सवालों ने पूरे देश को झकझोर दिया है। एक चमकता सितारा डूब गया या जानबूझकर डूबोया गया, इसका उत्तर आनेवाले दिनों में मिल सकता है, बशर्ते महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस में बैठे कुछ लोग अपनी दुराग्रह को कुछ दिनों के लिए किनारे रख कर इस घटना की जांच होने दें।

लेकिन ये दुराग्रह क्यों? क्या महाराष्ट्र सरकार सुशांत की मौत कैसे हुई, किन परिस्थितियों में हुई, कोई अगर उनकी मौत के लिए जिम्मेवार है तो कौन हैं वे लोग, नहीं जानना चाहेगी? आखिर क्यों मुंबई की पुलिस पिछले 50 दिनों से सिर्फ बातचीत कर रही है, जबकि तात्कालिक साक्ष्य साफ़-साफ़ बता रहा है कि कुछ गड़बड़ है। किसको बचाना चाह रही है मुंबई पुलिस और क्यों? क्या मुंबई पुलिस को सुशांत की मौत पर राजनीतिक तमाशा होने का डर सता रही है? क्या मुंबई पुलिस किसी राजनीतिक दवाब में काम कर रही है?

सवालों की फेहरिस्त बड़ी लम्बी है, लेकिन जवाब तो चाहिए ही। कौन देगा जवाब, जाहिर सी बात है जो एजेंसी जांच करेगी उसे ही इन सवालों के जवाब ढूंढने होंगे। लेकिन जब जांच करनेवाली एजेंसी ही केस को लीपापोती करने में जुट जाए, तो एक जागरूक समाज का कर्तव्य हो जाता है कि वो दवाब बनाएं कि जांच हो और सही दिशा में हो।

जिस तरह से सोशल मीडिया, मेनस्ट्रीम मीडिया पर लोगों ने एक तरह का मुहिम चलाया सुशांत को न्याय दिलाने के लिए, वो आज की तारीख में एक मिसाल है। बॉलीवुड के कंगना रानौत जैसे कुछ कलाकारों ने इस मुहिम को आगे बढाया। लेकिन कुछ बड़े कलाकारों की चुप्पी जरुर उनके फैन्स को खल रही है।

सुशांत की मौत के लिए अगर बॉलीवुड का माफिया-निर्देशक-प्रोड्यूसरों का गठजोड़ जिम्मेवार है तो ये दर्शकों की जिम्मेवारी हो जाती है कि ऐसे निर्माता निर्देशकों की फिल्मों का बहिष्कार करें। जिस तरह से सुशांत की मौत से पहले उनके पूर्व मेनेजर दिशा सालियन की मौत (आत्महत्या) हुई उसकी भी जांच होनी चाहिए। अब कई सारे नेताओं के बयान इस मामले में आने शुरू हो गए हैं। और जिनके नाम आरहे हैं, बेशक वो बड़े ही रसूखवाले हैं, तो क्या इसी वजह से मुंबई पुलिस जांच करने से डर रही है। कहा जा रहा है कि दिशा की मौत के बारे में सुशांत को कुछ जानकारी मिली थी जिसके बाद से वो परेशान रहने लगे थे।

बिहार पुलिस के अधिकारी जब दिशा की मौत के बारे में जानकारी इकठ्ठा कर रहे थे, तभी से मुंबई पुलिस का वर्ताव बदलने लगा था और बिहार पुलिस को लगने लगा कि मुंबई पुलिस किसी पटकथा को फॉलो कर रही है, उसे कहीं से निर्देश मिल रहा है। नहीं तो क्या कारण है कि बिहार से गए तेज़ तर्रार अधिकारी विनय तिवारी को क्वारंटाइन करने का, जबकि हज़ारों लोग अब हर दिन बाहर से महाराष्ट्र पहुँच रहे हैं। क्या महाराष्ट्र की सरकार सभी को क्वारंटाइन कर रही है, अगर नहीं तो सिर्फ विनय तिवारी को ही क्यों?

जिस तरह से बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय ने मुंबई पुलिस कमिश्नर पर आरोप लगाया है वो बहुत ही गंभीर सवालों को जन्म दे रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि ये दो राज्यों की लड़ाई नहीं है। तो क्यों नहीं बिहार पुलिस को जांच करने दे रहे हैं। क्या बिहार पुलिस पर भरोसा नहीं या फिर किसी को बचाने का प्रयास है।

सुशांत की गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती ने सबसे पहले सीबीआई जांच की मांग की थी, अब जब बिहार पुलिस जांच करने गयी है तो वो क्यों नहीं सहयोग कर रही है। रिया को लगता है कि वो निर्दोष है तो सुप्रीम कोर्ट में पटना से केस ट्रान्सफर करने के लिए याचिका दायर करने की क्या जरुरत थी?

सुशांत की मौत की जांच के सवाल पर आज बिहार विधानसभा में सभी सदस्यों ने जिस एकता का परिचायक दिया, ये संकेत है कि आनेवाले दिनों में ये मुद्दा बना रहेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। दो दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट में भी सुशांत की मौत से जुड़े केस पर सुनवाई है, देखना है कि क्या फैसला आता है। लेकिन जो भी हो अब सुशांत की मौत का मामला रुकेगा नहीं, क्योंकि राजनीतिक दलों के इसमें अपने अपने निहित स्वार्थ शामिल हैं। जो भी हो लेकिन देश का ये सेंटीमेंट्स है कि सुशांत की मौत का सच सामने आये।

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