21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में सहायक है विज्ञान और प्रौद्योगिकी: डॉ. हर्षवर्धन

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहाहै कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी सभी बाधाओं को तोड़ती है …. हमें यह भी विश्वारस है कि यह “वसुधैव कुटुम्बकम” ‘यानी ‘दुनिया एक परिवारहै’ के भारतीय दर्शन को मान्य करता है। यह अभिव्यक्ति हमारी प्राचीन, समावेशी परंपराओं को दर्शाती है। डॉ. हर्षवर्धन वर्चुअली आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2020 के दौरान”इंटरनेशनल साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर” और राजनयिकों के सम्मे्लनमें अफगानिस्तान, कंबोडिया, म्यांमार, फिलीपींस, श्रीलंका, उज्बेकिस्तान के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रियों और डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और अन्य देशों के राजनयिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहाकि हमने 21वीं सदी की ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था में सहायक एक महत्वपूर्ण स्तम्भ के रूप में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सूक्ष्म कौशल से लाभान्वित होना सीख लिया है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि वर्तमान कोविड-19 महामारी ने उत्पादों और सेवाओं में तेजी लाने के लिए नवाचार और अनुसंधान तथा विकास में हमारे विश्वास को फिर से मजबूत किया है, जो न केवल रोग प्रबंधन में मदद करता है, बल्कि भविष्य के प्रकोप के लिए हमारी तैयारियों के स्तर को भी बढ़ाता है। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि महामारी को लेकर भारत का प्रत्युकत्त र विज्ञान के ज्ञान और प्रमाणों से प्रेरित है। उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आजहम टीका उत्पादन तथाअधिक संख्यान में शीघ्र परीक्षण पर जोर दे रहे हैं। उन्हों ने कहा कि कई टीके विकास के उन्नत चरण में हैं और भारत दुनिया में टीकों के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक बनने के लिए तैयार है।

डॉ. हर्षवर्धन नेसंतोष व्य क्तम करते हुए कहा कि कोलिशन फॉर एपिडेमिक प्रीपेयर्डनेस इनोवेशंस (सीईपीआई) द्वारा इम्युमनोसाय लेबोरेटरी ऑफ ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (टीएचएसटीआई) को कोविड-19 टीके के केंद्रीकृत मूल्यांकन हेतु प्रयोगशालाओं के छह वैश्विक नेटवर्क में से एक के रूप में मान्यता दी गई है।

डॉ. हर्षवर्धन ने सम्मेलन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि कई अन्य चुनौतियां हैं, जिनके लिए दुनिया कोविड-19 के युग में सामना करने की तैयारीमें जुटी है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और जल सुरक्षा, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध आदि। उन्हों ने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, हमें इस बात पर पुनर्विचार करना चाहिए कि अनुसंधान किस प्रकार वित्त-पोषित है, हमें यह कल्पना करने की आवश्यकता है कि किस अनुसंधान को वित्त-पोषित किया जा रहा है और इस मोर्चे पर सहयोग के नए तरीकों की फिर से कल्पना करें।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि महामारी ने डिजिटलीकरण को गति दी है और हमें जिम्मेदारी और पहुंच के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बिग डेटा का उपयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि भारत ने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में नेतृत्व किया है और कोविड-19 मामलों के हमारे ट्रेसिंग और ट्रैकिंग ने दिखाया है कि भारत अपनी जनसंख्याव के लाभ के लिए डिजिटल समाधान का इस्तेगमाल कर सकता है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत का विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय दुनिया भर के 44 देशों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग कर रहा हैऔर अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में वर्तमान सहयोग परस्पर विश्वास और उद्देश्य की भावना से प्रेरित है तथा उच्च गुणवत्ता तथा काफी प्रभावी साझेदारी के लक्ष्यय तक पहुंचने में समर्थ है। यह सहयोग अकादमिक अनुसंधान क्षेत्र में क्षमता निर्माण तक फैला हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत हमेशा से ही समान विकास चुनौतियों का सामना करने वाले देशों के साथ ज्ञान, प्रौद्योगिकी और जानकारी साझा करने में विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के माध्य्म से कोविड-19 का समाधान ढूंढने के लिए भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को ऑस्ट्रेलिया, आसियान देशों, ब्राजील, जापान, पुर्तगाल, रूस, सर्बिया, स्लोवेनिया, संयुक्त राज्य अमेरिका और उजबेकिस्तान जैसे अन्य देशों के अनुसंधानकर्ताओं के साथ जुड़ने की सुविधा प्रदान कर रहा है।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका सहित हमारे पड़ोसी देशों के लिएआवश्यकतानुसार सहयोग का एक अनूठा मॉडल विवेकपूर्ण रूप से अपनाया गया है। उन्होंने कहाकि यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी समर्थित सहयोग के माध्यम से इन देशों की राष्ट्रीय जरूरतों के संयुक्त रूप से समाधान के लिए निर्धारित परिप्रेक्ष्य के साथ किया गया है।

डॉ. हर्षवर्धन ने कहाकि कोविड-19 से उत्प्न्नत सभी व्यवधानों के लिए,आवश्यकता से परे जाकरनवाचार और प्रयोग में तेजी आई है जिससे आम आदमी को फायदा हुआ है। तेजी से बदलते विकास प्रतिमान में एक विचारशील लेकिन प्रतिबद्ध तरीके से उस ऊर्जा और गति के साथ निर्माण होना महत्वपूर्ण है और यह हमें भविष्यद में सामान्य स्थिति में लाएगा। उन्होंने कहा कि हमें अपनी नीति में विज्ञान के इस्ते्माल,विज्ञान में आम लोगों का विश्वास कायम करने, ‘खुला विज्ञान सुनिश्चित करने, समाधानों के लिए व्या पक पहुंच कायम करने और वैज्ञानिक निष्कर्षों और नवाचार के अनुसारक्रियाकलाप में तेजी लाने पर जोर देना चाहिए।

उज्बेकिस्तान के मंत्री ने कोविड-19 का मुकाबला करने में भारत के शानदार प्रयासों की सराहना की और टीका विकास में भारत के साथ सहयोग की मांग की।अफगानिस्तान, म्यांमार, फिलीपींस और कंबोडिया के मंत्रियों ने अपने देशों में उच्च शिक्षा संस्थानों के विकास,विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग, अपने छात्रों के भारत में अध्यनयन और छात्रवृत्ति में भारत की सहायता के प्रति रूचि दिखाई।डॉ. हर्षवर्धन ने उनके प्रस्तावों के लिए ईमानदारी से प्रयास करने का आश्वासन दिया।

अफगानिस्तान के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. अबास बसीर, कंबोडिया के प्रधानमंत्री से जुड़े मंत्री प्रतिनिधि और उद्योग, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्री डॉ. शेम कीठ रेथी, म्यांमार के केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. मायो थेइन गी, फिलीपींस के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मंत्रीप्रो.फोर्तुनातो टी. डी. ला पेना, श्रीलंका के कौशल विकास, व्यावसायिक शिक्षा, अनुसंधान नवाचार मंत्री डॉ. सीता अरमबापोला,उज्बेकिस्तान के नवाचार विकास मंत्री श्री इब्रोखिम यू, अब्दुरखमोनोव, डेनमार्क,इटली, नीदरलैंड, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों के राजनयिकों,विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रभाग के प्रमुख डॉ. संजीव कुमार वार्ष्णेय, भारत सरकार के अन्य सचिवों,गणमान्य वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और उद्यमियों ने सम्मेलन में भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *