शाहीनबाग प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी, कहा सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए कब्ज़ा नहीं हो सकता

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: नागरिकता कानून के विरोध में दिल्ली के शाहीनबाग में लोग धरने पर बैठे थे, और कहा गया था कि ये स्वतः स्फूर्ति प्रदर्शन है जिसमें किसी संगठन या राजनीतिक पार्टी का कोई हाथ नहीं है।

शाहीनबाग के धरने को लेकर हुई लाखों लोगों की परेशानी को देखते हुए भाजपा नेता नंदकिशोर गर्ग और वकील अमित साहनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसके बाद कोर्ट ने कहा था कि भीड़ को पुलिसिया कार्रवाई के जरिये हटाने से बेहतर है कि उनसे बातचीत कर मामले का हल निकाला जाये। प्रदर्शनकारी महिलाओं से बात करने के लिए कोर्ट नें साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े को जिम्मेदारी सौंपी थी। पर वार्ता विफल रही थी। आज केस की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि लगातार किसी सार्वजानिक स्थानों को अनिश्चित काल के लिए प्रदर्शन नहीं हो सकता है।

बता दें कि शाहीनबाग के धरने के कारण दिल्ली से फरीदाबाद जाने वाली महत्वपूर्ण सड़क बंद हो गयी थी और लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। प्रदर्शन के कारण कई बार बीमार मरीजों को ले जा रही अम्बुलेंस तक को रास्ता नहीं दी गयी थी।  शाहीनबाग में सीएए के विरोध में महिलाओं का यह धरना लगभग 100 दिन चला था और दिल्ली पुलिस ने इस मामले में कई बार प्रदर्शनकारियों से रास्ता खली करने का अनुरोध किया था, जिसे अनसुना कर दिया गया था।

आज उच्चतम न्यायालय द्वारा ये कहा जाना कि लगातार किसी सार्वजानिक स्थानों को अनिश्चित काल के लिए प्रदर्शन नहीं हो सकता है, देश में होने वाले धरना प्रदर्शन को लेकर बेहद अहम माना जा रहा है। आज सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शनों के लिए शाहीनबाग जैसे सार्वजनिक स्थलों पर कब्जा करना स्वीकार्य नहीं है। इलाके से लोगों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस को कार्रवाई करनी चाहिए थी। आगे कोर्ट ने शाहीन बाग प्रदर्शन पर कहा कि प्राधिकारियों को खुद कार्रवाई करनी होगी और वे अदालतों के पीछे छिप नहीं सकते हैं।

शाहीन बाग के आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र और असहमति साथ-साथ चलते हैं, पर सार्वजनिक स्थानों पर अनिश्चितकाल तक कब्जा नहीं किया जा सकता, जैसा कि शाहीनबाग में विरोध प्रदर्शन के दौरान हुआ।

 

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