कृषि पर विश्व व्यापार संगठन समझौता विकासशील देशों के खिलाफ झुका  है: पीयूष गोयल

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: कृषि संबंधित मामलों और 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में आगे की राह पर चर्चा करने के लिए इंडोनेशिया द्वारा जी-33 की मंत्रिस्तरीय अनौपचारिक बैठक कल आयोजित की गई थी। बारहवां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 30 नवंबर से 3 दिसंबर 2021 तक आयोजित होगा।

अनौपचारिक मंत्रिस्तरीय बैठक की अध्यक्षता इंडोनेशिया गणराज्य के व्यापार मंत्री श्री मुहम्मद लुत्फी ने की। इस मौके पर विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक, डॉ एनगोजी ओकोंजो इवेला ने मुख्य भाषण दिया। जी-33 के कुल 47 सदस्यों में से, भारत सहित 21 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने इस मौके पर अपना पक्षा रखा।

बैठक के लिए भारत के आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वाणिज्य एवं उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री श्री पीयूष गोयल ने किया। अपना पक्ष  रखते हुए मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि 12 मंत्रिस्तरीय सम्मेलन की सफलता के लिए विश्वास-निर्माण के कदम उठाने की जरूरत है। जी-33 को खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों के लिए सार्वजनिक स्टॉकहोल्डिंग (पीएसएच) के स्थायी समाधान पर सकारात्मक परिणामों के लिए प्रयास करना चाहिए। विशेष योजना को अंतिम रुप देना बेहद जरुरी है, जिससे कि स्पेशल सेफगार्ड स्कीम (एसएसएम) को जल्द अंतिम रुप दिया जा सके और उसके बाद घरेलू समर्थन के लिए संतुलित कदम उठाए जा सके।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विश्व व्यापार संगठन में कृषि समझौता गहरे असंतुलन से भरा हुआ है, जो विकसित देशों का पक्ष लेता है और कई विकासशील देशों के खिलाफ नियमों को झुकाता है। ऐसे में कृषि सुधार में पहले कदम के रूप में, ऐतिहासिक विषमताओं और असंतुलन को ठीक किया जाना चाहिए। नियम-आधारित, निष्पक्ष और न्यायसंगत व्यवस्था सुनिश्चित करना जरूरी है। उन्होंने जी-33 सदस्यों से समूह की मजबूती के लिए आपस में सामंजस्य को बनाए रखने और सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया। मंत्री ने कहा कि 12 वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में कृषि पर निष्पक्ष, संतुलित और विकास-केंद्रित परिणाम आए, इसके लिए समान विचारधारा वाले विकासशील समूहों तक पहुंचकर इसे और मजबूत करने का प्रयास करना चाहिए।

जी-33 बैठक का समापन, एक संयुक्त मंत्रिस्तरीय बयान को स्वीकार के साथ किया गया। जिसमें कृषि में विश्व व्यापार संगठन के अनिवार्य मुद्दों के शीघ्र समाधान के लिए प्रतिबद्धता को दोहराया गया। बैठक में विकासशील देशों और एलडीसी के विकास के मुद्दों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार वार्ता के अभिन्न अंग के रूप में विशेष और बिना किसी भेदभाव के साथ संतोषजनक ढंग से हल करने का भी आह्वान किया गया।

 

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