वक्फ संशोधन विधेयक क्या है और विपक्ष इसका विरोध क्यों कर रहा है?

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: संसद बुधवार को वक्फ (संशोधन) बिल 2024 को लेकर केंद्र और विपक्ष के बीच एक बड़े टकराव की ओर बढ़ रही है। यह विवादास्पद बिल, जो वक्फ एक्ट 1995 में कुछ प्रमुख बदलावों का प्रस्ताव करता है, विपक्षी दलों को अपने सांसदों को लोकसभा में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी करने पर मजबूर कर चुका है। इस बिल पर लोकसभा में आठ घंटे तक चर्चा होगी।
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन में मौजूद समस्याओं और चुनौतियों को दूर करना है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन को सुधारना है।
यह बिल पिछले एक्ट की कमजोरियों को दूर करने और वक्फ बोर्डों की कार्यक्षमता को बढ़ाने का प्रस्ताव करता है, जिसमें वक्फ की परिभाषाओं को अपडेट करना, पंजीकरण प्रक्रिया को सुधारना, और वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीकी सहायता का इस्तेमाल बढ़ाना शामिल है।
वक्फ, इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या दानकारी उद्देश्यों के लिए समर्पित संपत्तियों को कहा जाता है। इन संपत्तियों का अन्य किसी उद्देश्य के लिए उपयोग या बिक्री प्रतिबंधित है। भारत, जो दुनिया में सबसे बड़ी वक्फ संपत्ति का मालिक है, में वक्फ बोर्डों के पास 8.7 लाख संपत्तियाँ हैं, जो 9.4 लाख एकड़ में फैली हुई हैं, और यह भारत में तीसरी सबसे बड़ी ज़मीन मालिक है, इसके बाद भारतीय रेलवे और सशस्त्र बल आते हैं।
वक्फ बोर्ड से जुड़ी मुख्य समस्याओं में बोर्ड की संरचना में विविधता की कमी, वक्फ संपत्तियों की अपरिवर्तनीयता, न्यायिक निगरानी का अभाव, और प्रावधानों का दुरुपयोग शामिल हैं।
वक्फ (संशोधन) बिल 2024 की मुख्य विशेषताएँ:
- इस संशोधन बिल में वक्फ एक्ट 1995 का नाम बदलकर ‘यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1995’ करने का प्रस्ताव है।
- इसमें वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है।
- यह बिल कहता है कि अगर कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के रूप में चिन्हित की जाती है, तो वह अब वक्फ नहीं मानी जाएगी।
- यह बिल वक्फ बोर्ड को यह अधिकार देने वाले प्रावधान को हटाता है कि वह यह जांचे कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं।
- इस बिल के तहत केंद्रीय सरकार को वक्फ पंजीकरण, वक्फ खातों का प्रकाशन, और वक्फ बोर्डों की कार्यवाही के प्रकाशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार होगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार को वक्फ खातों का लेखा-जोखा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) से या नियुक्त अधिकारी से ऑडिट कराने का भी अधिकार होगा।
विपक्ष क्यों विरोध कर रहा है?
विपक्ष के बड़े नेताओं, जिसमें कांग्रेस के राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, एनसीपी (शरद पवार गुट) की नेता सुप्रिया सुले, और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह शामिल हैं, ने मंगलवार को इस बिल के खिलाफ रणनीति पर चर्चा करने के लिए बैठक की।
विपक्ष का मानना है कि यह बिल “संविधान विरोधी” और “विभाजनकारी” है। संशोधन बिल को लेकर मुख्य चिंता यह है कि यह वक्फ बोर्डों के अधिकारों को कमजोर करता है, क्योंकि यह जिला कलेक्टरों को यह तय करने का अधिकार देता है कि कोई विवादित संपत्ति वक्फ है या नहीं।