मध्य प्रदेश में मोहन यादव शासन के 730 दिन: सुशासन, विकास और जन-विश्वास की नई इबारत

730 days of Mohan's rule in Madhya Pradesh: A new chapter in good governance, development and public trustअनंत अमित

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने कार्यकाल के दो वर्ष पूर्ण करने जा रहे हैं। ठीक दो वर्ष पहले, भाजपा विधायक दल की बैठक में जब निवृत्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया था, तब स्वयं डॉ. यादव सहित अधिकांश वरिष्ठ विधायक अचंभित थे। पार्टी के भीतर उनका नाम किसी बड़े दिग्गज नेता के रूप में नहीं लिया जाता था, लेकिन उनके भीतर कार्यकर्ता से नेतृत्वकर्ता बनने की जो ऊर्जा और क्षमता थी, उसे पार्टी नेतृत्व ने पहचान लिया।

पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में उन्होंने पहले ही अपनी अलग पहचान बनाई थी। आज, 730 दिनों के बाद, यह निर्णय न केवल दूरदर्शी साबित हुआ है बल्कि इस बात पर मुहर भी लगा दी है कि भाजपा नेतृत्व का भरोसा सही दिशा में था। इन दो वर्षों में उन्होंने न केवल मध्य प्रदेश की विकास यात्रा को गति दी बल्कि राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी सशक्त पहचान बनाई है।

डॉ. मोहन यादव छात्रों की राजनीति से निकलकर आगे बढ़ने वाले नेता हैं। विद्यार्थी परिषद से लेकर संघ के दायित्वों तक—नगर कार्यवाह से राष्ट्रीय मंत्री तक—उन्होंने संगठन के सभी स्तरों पर सक्रिय भूमिका निभाई। 2013 में पहली बार विधायक चुने गए, 2018 में पुनः निर्वाचित हुए और उच्च शिक्षा मंत्री बने। 2023 में तीसरी बार विधायी सदन में पहुंचते ही वे मुख्यमंत्री पद तक आ गए—यह यात्रा बताती है कि संघ और भाजपा की परंपरा में योग्य कार्यकर्ता का सम्मान सर्वोपरि है।

इन 730 दिनों में प्रदेश के लगभग हर क्षेत्र में ठोस काम हुआ है—इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग, सिंचाई, महिला सशक्तिकरण, कानून व्यवस्था, कृषि—हर क्षेत्र में परिणाम दिखते हैं। लाखों करोड़ के निवेश प्रस्ताव राज्य में आ चुके हैं। एक ही दिन में ढाई लाख करोड़ के कार्यों का भूमि पूजन और लोकार्पण कराने की तैयारी। 327 नई इकाइयों में उत्पादन शुरू, 40 हजार से अधिक रोजगार उत्पन्न। निर्यात में 6% वृद्धि, लक्ष्य ₹1 लाख करोड़। इंफ्रास्ट्रक्चर और शहरों का विकास, इंदौर और भोपाल मेट्रो परियोजनाएँ अंतिम चरण में। उज्जैन सिंहस्थ 2028 के लिए विस्तृत तैयारी—बहु-करोड़ प्रावधान। डिजिटल शासन, साइबर तहसीलें, त्वरित नामांतरण जैसी पहलें। कृषि, सिंचाई और ग्रामीण विकास, सिंचाई क्षमता में निरंतर बढ़ोतरी। भावांतर योजना के माध्यम से किसानों को उपज का उचित मूल्य। प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को ₹1800 करोड़ की राहत राशि। डेयरी और सहकारिता के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति।

950 महिला ऊर्जा डेस्क और प्रत्येक जिले में महिला थाना। स्व-सहायता समूहों से 47 लाख महिलाओं को आर्थिक रूप से जोड़ा गया। सामूहिक विवाह सम्मेलन में अपने पुत्र का विवाह कर समाज को सादगी और सद्भाव का संदेश दिया। रिकॉर्ड बजट, नई सुविधाएँ और आधुनिक स्वास्थ्य संरचना का विस्तार। जिले-दर-जिले शिक्षा संस्थानों में उन्नयन। बालाघाट, मंडला और डिंडोरी में नक्सली गतिविधियों पर निर्णायक प्रहार। करोड़ों के इनाम वाले 10 नक्सलियों का आत्मसमर्पण। 7000 सिपाहियों और 5000 होमगार्ड की भर्ती प्रक्रिया शुरू।

डॉ. यादव का अब तक का कार्यकाल सिर्फ उपलब्धियों की सूची नहीं, बल्कि प्रशासनिक कसावट और जनहित की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उनकी सबसे बड़ी ताकत है कि वे किसी गुटबाजी का हिस्सा नहीं—वे हर विधायक और नेता से समान व्यवहार रखते हैं और सभी के लिए सहज रूप से उपलब्ध रहते हैं। यही कारण है कि संगठन और सरकार दोनों में उनकी स्वीकार्यता मजबूत है। वे अपनी उपलब्धियों को ‘गर्व का विषय’ नहीं, बल्कि ‘कर्तव्य की निरंतरता’ मानते हैं। उनका स्पष्ट लक्ष्य है—प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुँचाना, ताकि कोई भी वंचित नागरिक सहायता से वंचित न रह जाए।

यदि अब तक के दो वर्षों को देखें, तो यह विश्वास सहज रूप से बनता है कि आने वाले तीन वर्ष मध्य प्रदेश के लिए परिवर्तनकारी हो सकते हैं। उद्योग और निवेश,  ग्रामीण विकास, पर्यटन, स्मार्ट गवर्नेंस,  सामाजिक समरसता इन सभी क्षेत्रों में एक नई ऊंचाई हासिल करने की संभावनाएँ प्रबल हैं। डॉ. मोहन यादव का कार्यकाल बताता है कि एक सामान्य कार्यकर्ता, जब प्रतिबद्धता, परिश्रम और संगठन का विश्वास साथ हो, तो कैसे एक सफल और लोकप्रिय मुख्यमंत्री बन सकता है। उम्मीद यही है कि आने वाले वर्षों में मध्य प्रदेश विकास, सौहार्द और जनकल्याण के नए आयाम स्थापित कर देश के अग्रणी राज्यों में अपना स्थान और मजबूत करेगा।

730 days of Mohan's rule in Madhya Pradesh: A new chapter in good governance, development and public trust(लेखक राजनीतिक विश्लेषक हैं।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *