7 महीने की नाकेबंदी के बाद अडानी ग्रुप ने किलारायपुर, पंजाब में आईसीडी बंद करने का लिया निर्णय

  • 1 जनवरी 2021 से प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर ट्रॉली लगाकर आईसीडी किलारायपुर के मेन गेट की नाकेबंदी कर दी थी, जिससे माल की आवाजाही, लोगों आने-जाने में रुकावट पैदा हो रही थी, और आईसीडी किलारायपुर का संपूर्ण संचालन पूरी तरह से ठप हो गया था।
    • आईसीडी किलारायपुर में बिजनेस की गतिविधिया बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 400 व्यक्तियों/परिवारों की नौकरी पर असर पड़ेगा।
    • रेल ढुलाई, जीएसटी, सीमा शुल्क और अन्य करों के रूप में 700 करोड़ रुपये और आर्थिक असर के रूप में कुल मिलाकर 7000 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को भी नुकसान होगा।

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: पंजाब के किसानों द्वारा कृषि कानूनों के विरोध का दुष्परिणाम अब सामने आने लगा है। कृषि कानूनों के विरोध में पिछले सात महीने से चल रहे धरना प्रदर्शन की वजह से, अडानी ग्रुप ने पंजाब के किला रायपुर, लुधियाना स्थित अपने ICD ऑपरेशन्स को बंद करने का निर्णय लिया है। अडानी ग्रुप ने इस सम्बन्ध में कल पंजाब तथा हरियाणा हाई कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल कर कहा कि इन सात महीनो में राज्य सरकार की तरफ से उसे कोई भी सुरक्षा तथा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई, जिसके कारण उसे इस तरह का निर्णय लेना पड़ा है।

अदाणी ग्रुप ने वर्ष 2017 में सरकार द्वारा चलाई गयी एक खुली और प्रतिस्पर्धात्मक बोली के तहत किलारायपुर, लुधियाना, पंजाब में 80 एकड़ में एक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (आईसीडी किलारायपुर) की स्थापना की थी। इस लोजिस्टिक्स पार्क का उद्देश्य लुधियाना और पंजाब के अन्य जगहों पर स्थित के उद्योगों को, रेल और सड़क के माध्यम से कार्गो आयात और निर्यात की सेवाएं प्रदान करना था।

लेकिन जनवरी 2021 के महीने से प्रदर्शनकारियों ने ट्रैक्टर ट्रॉली लगाकर आईसीडी किलारायपुर के मेन गेट की नाकेबंदी कर दी और माल की आवाजाही, लोगों के आने-जाने में रुकावटें पैदा करना शुरू कर दिया। गौरतलब है की पिछले सात महीनो में इस लोजिस्टिक्स पार्क से कोई भी व्यावसायिक कार्य नहीं हो पाया है, लेकिन अडानी ग्रुप ने लोगों की तनख्वाह को चालू रहने दिया तथा संस्थान के मेंटेनेंस का खर्चा भी उठाती रही।

इस दौरान कंपनी ने पुलिस अधिकारियों से भी बार-बार शिकायत की और अंततः मार्च महीने में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका देने का निर्णय लिया।

कोर्ट के आदेशनुसार राज्य सरकार के अधिकारीयों ने न्यायालय के समक्ष कई बार स्टेटस रिपोर्ट दायर की लेकिन नाकाबंदी हटाने में पूरी तरह से विफल रहे हैं। 20 जुलाई, 2021 को हुई पिछली सुनवाई पर माननीय न्यायालय ने एक बार फिर राज्य के वकील को निर्देश दिया था कि वह इस समस्या का  समाधान निकालने के लिए अगली तारीख यानी 30 जुलाई, 2021 को माननीय न्यायालय को अवगत कराएं।
सूत्रों के अनुसार कंपनी ने कल दायर किये गए हलफनामे में यह भी कहा की राज्य सरकार नाकाबंदी हटाने में विफल रहा है और माननीय न्यायालय भी इस मुद्दे का कोई निर्णय नहीं ले पा रहा जिसकी वजह से याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है।

आईसीडी कियालरायपुर को बंद करने के एक हिस्से के रूप में, ग्रुप ने आईसीडी किलारायपुर के मेन गेट से अपना साइनेज हटा दिया है और अपने कर्मचारियों, मजदूरों और अन्य सभी संबंधित लोगों को टर्मिनेशन नोटिस जारी कर दिया है। आईसीडी किलारायपुर में व्यावसायिक गतिविधियों के बंद होने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 400 व्यक्तियों/परिवारों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा। रेल ढुलाई, जीएसटी, सीमा शुल्क और अन्य करों के रूप में 700 करोड़ रुपये और कुल आर्थिक असर के रूप में लगभग 7000 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने को भी नुकसान होगा।

माननीय न्यायालय के पर्यवेक्षण में यह भी आया है कि लोगों के बिजनेस करने के अधिकारों की रक्षा नहीं हो रही है और न ही राज्य प्रशासन को यह निर्देश देना संभव हो पा रहा है, जिससे कि लोग बिना किसी बाधा के अपना बिजनेस कर सकें।

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