अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माता राम अल्लाडी की फिल्म ‘पन्ने’ में 1946 के बांग्लादेश दंगों की झलक
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: अंतर्राष्ट्रीय फिल्म निर्माता राम अल्लाडी की आगामी फिल्म ‘पन्ने’ ने बांग्लादेश में हालिया सामाजिक अशांति और दंगों के बीच एक गहरा सम्बन्ध उजागर किया है। फिल्म में 1946 के नोआखली दंगों की घटनाओं को दर्शाया गया है, जो वर्तमान बांग्लादेश की स्थिति से काफी मेल खाती हैं।
इस समय बांग्लादेश में चल रही सामाजिक उथल-पुथल ने देश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं शेख हसीना को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है। पूरी दुनिया बांग्लादेश में हो रही इन घटनाओं और वहां के लोगों की कठिनाइयों के बारे में चर्चा कर रही है।
राम अल्लाडी, जो अपनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों ‘चिसेल्ड’ (2017) और ‘रा स मेटानोइया’ के लिए कई पुरस्कार जीत चुके हैं, ने बताया कि फिल्म ‘पन्ने’ की शूटिंग के दौरान वह नहीं सोच सकते थे कि जब फिल्म रिलीज होगी, तब बांग्लादेश में ऐसी समस्याएं होंगी। अल्लाडी ने कहा, “जब मैं बांग्लादेश में चल रही घटनाओं के बारे में समाचार देखता हूं, तो मुझे आश्चर्य होता है। इतिहास खुद को दोहराता है, और यह कहावत गरीब बांग्लादेशियों पर सटीक बैठती है। मेरे पास उस समय की कुछ रियल पिक्चर्स हैं, लेकिन वे इतने हिंसक हैं कि देख कर आपकी आत्मा कांप उठेगी।”
फिल्म में नोआखली दंगों के ऐतिहासिक संदर्भ को बताते हुए अल्लाडी ने कहा, “नोआखली दंगों की जड़ें भारत में आजादी से पहले 1935 में हुए पहले चुनावों में मिलती हैं। उस समय बंगाल में मुस्लिम समुदाय सत्ता में आया था, जबकि ब्रिटिश शासन के दौरान हिंदू जमींदार सत्ता में थे। नए सरकारी नियमों के लागू होने के कारण समाज में निराशा और गुस्सा पैदा हुआ, और यह मतभेद बढ़ते गए। 11 अक्टूबर 1946 को बांग्लादेश के नोआखली जिले में दंगे शुरू हो गए। बांग्लादेश ने इसके बाद कई राजनीतिक चुनौतियों का सामना किया और कई बार राख से उठकर खड़ा हुआ।”
राम अल्लाडी की पहली पूर्ण फ़िल्म ‘पन्ने’ 6 सितंबर को ‘इनटॉल्कीज़’ पर रिलीज़ होने के लिए तैयार है। यह फिल्म भारत की आज़ादी के बाद के दौर की कहानी को दर्शाती है, जिसमें युद्ध में शहीद हुए एक विधवा की बेटी अपने सौतेले दादा के राजनीतिक साम्राज्य के उदय के बाद अपनी सामाजिक पहचान हासिल करने की कोशिश करती है। कहानी सीमा विभाजन के दौर से लेकर 1960 के आज़ाद भारत तक की यात्रा करती है।