केंद्र सरकार ने 2024-25 में हथकरघा श्रमिकों की योजनाओं के लिए 364 करोड़ रुपये वितरित किए
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 25) के दौरान देश में हथकरघा श्रमिकों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के लिए 364 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है, सोमवार को संसद को यह जानकारी दी गई।
कपड़ा राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के लिए 192.06 करोड़ रुपये जारी किए गए, जबकि हथकरघा श्रमिकों के लिए ‘कच्चा माल आपूर्ति योजना’ के तहत 171.98 करोड़ रुपये वितरित किए गए।
उन्होंने आगे बताया कि कपड़ा मंत्रालय देश भर में हथकरघा बुनकरों/श्रमिकों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) के तहत अन्य योजनाओं को लागू कर रहा है।
इनमें 60 वर्ष से अधिक आयु के पुरस्कार प्राप्त हथकरघा श्रमिकों को 8,000 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता, निर्धन परिस्थितियों में रहने वाले तथा 1 लाख रुपये से कम वार्षिक आय वाले श्रमिकों को वित्तीय सहायता तथा हथकरघा श्रमिकों के बच्चों (दो बच्चों तक) को केंद्र तथा राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित वस्त्र संस्थानों में डिप्लोमा, स्नातक तथा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में अध्ययन के लिए 2 लाख रुपये प्रति वर्ष तक की छात्रवृत्ति शामिल है।
मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) जैसी बीमा योजनाओं के माध्यम से प्राकृतिक या आकस्मिक मृत्यु तथा पूर्ण या आंशिक विकलांगता की स्थिति में सार्वभौमिक तथा किफायती सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान की जा रही है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि वस्त्र मंत्रालय के तत्वावधान में विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) का कार्यालय देश भर में हस्तशिल्प क्षेत्र के समग्र विकास तथा संवर्धन के लिए दो योजनाएं – राष्ट्रीय हस्तशिल्प विकास कार्यक्रम (एनएचडीपी) तथा व्यापक हस्तशिल्प क्लस्टर विकास योजना (सीएचसीडीएस) – क्रियान्वित करता है। इन योजनाओं के तहत, विपणन कार्यक्रमों, कौशल विकास, क्लस्टर विकास, उत्पादक कंपनियों के गठन, कारीगरों को प्रत्यक्ष लाभ, बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी सहायता, अनुसंधान और विकास सहायता, डिजिटलीकरण, ब्रांडिंग आदि के माध्यम से कारीगरों को शुरू से अंत तक सहायता के लिए आवश्यकता-आधारित वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिससे पूरे देश में पारंपरिक शिल्प और कारीगरों को लाभ मिलता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने हथकरघा क्षेत्र के लिए ‘इंडी हाट’ पहल शुरू की है जो आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल अभियानों के उद्देश्य से जुड़ी है। भारत के सबसे बड़े कपड़ा व्यापार मेले भारत टेक्स के लिए ‘इंडी हाट’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, ताकि इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सौ से अधिक देशों के आगंतुकों और प्रदर्शकों को भारतीय हस्तशिल्प और हथकरघा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जा सके।