वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती: RBI बुलेटिन
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: वैश्विक स्तर पर व्यापारिक तनाव, नीति अनिश्चितता और कमजोर उपभोक्ता भावना के चलते आर्थिक विकास पर दबाव बना हुआ है। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय मजबूती दिखाई है, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने मासिक बुलेटिन में यह जानकारी दी।
“इन चुनौतियों के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है। उद्योग और सेवा क्षेत्रों के विभिन्न हाई-फ्रीक्वेंसी संकेतकों ने अप्रैल में अपनी गति बनाए रखी,” आरबीआई बुलेटिन में कहा गया।
रबी फसलों की बंपर पैदावार, गर्मी की फसलों की बढ़ी हुई बुआई और 2025 के लिए अनुकूल दक्षिण-पश्चिम मानसून के पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत हैं।
खाद्य वस्तुओं की कीमतों में लगातार गिरावट के कारण हेडलाइन खुदरा महंगाई दर (CPI) लगातार छठे महीने घटी है और यह जुलाई 2019 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।
कृषि श्रमिकों (CPI-AL) और ग्रामीण श्रमिकों (CPI-RL) के लिए सालाना महंगाई दर अप्रैल 2025 में घटकर क्रमशः 3.48% और 3.53% रह गई, जो कि अप्रैल 2024 में 7.03% और 6.96% थी। इससे गरीब परिवारों को राहत मिली है। अमेरिका की टैरिफ घोषणाओं के चलते अप्रैल की शुरुआत में घरेलू शेयर बाजार में गिरावट आई थी, लेकिन अप्रैल के दूसरे हिस्से में बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों के अच्छे तिमाही नतीजों के बाद बाजार ने रफ्तार पकड़ ली।
2014 से 2024 के बीच नकद चलन (Notes in Circulation) की वृद्धि दर, मूल्य के हिसाब से, पिछले दो दशकों की तुलना में काफी कम रही है। 1994-2004 के दौरान नकद चलन की वृद्धि दर GDP से कहीं अधिक थी, लेकिन अब यह अंतर काफी कम हो गया है।
आरबीआई ने बताया कि रात के समय की रोशनी (nightlights) और कर संग्रह एवं GDP के बीच सकारात्मक संबंध पाया गया है। इसका अर्थ यह है कि जैसे-जैसे औपचारिक आर्थिक गतिविधियाँ बढ़ती हैं, नकद लेन-देन की आवश्यकता घटती है।