हावेरी गैंगरेप मामले में जमानत के बाद आरोपियों ने निकाली गई रैली, देशभर में आक्रोश
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: जनवरी 2024 में कर्नाटक के हावेरी जिले के हंगल में एक अंतरधार्मिक जोड़े के साथ कथित रूप से ‘मोरल पोलिसिंग’ करते हुए महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में सात मुख्य आरोपियों को जमानत मिलने के बाद कस्बे में निकाली गई जुलूस ने व्यापक जन आक्रोश को जन्म दिया है। यह मामला शुरू में मॉरल पुलिसींग के तौर पर दर्ज किया गया था, जिसे बाद में पीड़िता के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान के बाद सामूहिक बलात्कार में परिवर्तित किया गया।
क्या था मामला:
26 वर्षीय महिला अपने 40 वर्षीय प्रेमी, जो कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम (KSRTC) में चालक है, के साथ 8 जनवरी 2024 को हंगल के एक होटल में ठहरी थी। उसी रात, कई युवक होटल में घुस आए, महिला को जबरन बाहर ले गए और पास के जंगल में कथित रूप से सामूहिक बलात्कार किया।
घटना को लेकर शुरू में ‘मोरल पोलिसिंग’ का मामला दर्ज हुआ था। लेकिन 11 जनवरी को महिला द्वारा मजिस्ट्रेट को दिए विस्तृत बयान के बाद भारतीय दंड संहिता की धारा 376D (गैंगरेप) और POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया।
मुख्य आरोपी और जमानत:
जिन सात आरोपियों को हाल ही में हावेरी सत्र न्यायालय से जमानत मिली है, उनके नाम हैं:
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अफ़ताब चंदनाकट्टी
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मदर साब मंडक्की
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समीउल्ला लालनावर
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मोहम्मद सादिक अगासिमनी
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शोएब मुल्ला
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तौसीफ चोटी
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रियाज़ साविकेरी
इन सभी को घटना के बाद लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में रखा गया था। पीड़िता द्वारा अदालत में पहचान की पुष्टि न कर पाने से अभियोजन पक्ष का पक्ष कमजोर पड़ा, जिसके बाद कोर्ट ने जमानत मंजूर की।
विजयी रैली और विवाद:
जमानत के बाद आरोपियों ने अक्की अलूर कस्बे में मोटरसाइकिलों और कारों के साथ जुलूस निकाला। इसमें तेज़ संगीत, नारेबाज़ी और सोशल मीडिया पर वायरल हुए विजयी संकेतों की तस्वीरें सामने आईं। इस रैली ने न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी लोगों के बीच आक्रोश पैदा किया है।
कुल गिरफ्तारियां और वर्तमान स्थिति:
इस मामले में कुल 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें से 12 आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। शेष सात को अब जमानत मिली है। 12 अन्य आरोपी कथित रूप से महिला पर हमले या अपराध में सहायता के लिए नामित हैं।
जन प्रतिक्रिया:
महिला संगठनों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता ने इसे न्याय प्रक्रिया के प्रति असंवेदनशीलता बताया है। कई संगठनों ने इस रैली को पीड़िता के लिए “दूसरा शोषण” करार दिया है।
क्या आगे होगा?
जमानत के आदेश और रैली की जांच की मांग उठ रही है। कई कानूनी विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि उच्च न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेकर इस प्रकरण की समीक्षा करनी चाहिए।
