शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ़्तारी पर पवन कल्याण का TMC पर करारा हमला: “सेक्युलरिज्म दोतरफा होना चाहिए”
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के प्रमुख पवन कल्याण ने पश्चिम बंगाल सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है। ये बयान सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी के बाद आया है, जिन्हें कोलकाता पुलिस ने सांप्रदायिक भाषण और आपत्तिजनक सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर गिरफ्तार किया था।
पवन कल्याण ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने अपनी बात कही। उनके शब्द कई लोगों को आहत कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने माफी मांगी, वीडियो डिलीट किया। इसके बावजूद उन पर त्वरित कार्रवाई हुई। लेकिन जब TMC के सांसद और नेता सार्वजनिक रूप से सनातन धर्म का अपमान करते हैं, तब कहां है वो तेजी, वो गिरफ्तारी?”
कल्याण ने ममता बनर्जी के उस बयान का वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने भाजपा पर बंगाल में “सांप्रदायिक राजनीति” करने का आरोप लगाया और “गंदा धर्म” जैसे शब्द का प्रयोग किया। इस पर पवन कल्याण ने कहा, “ईशनिंदा की हमेशा निंदा होनी चाहिए! सेक्युलरिज्म कुछ लोगों के लिए ढाल और दूसरों के लिए तलवार नहीं बन सकता। ये एक दोतरफा रास्ता होना चाहिए।”
22 वर्षीय कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को उनके सोशल मीडिया वीडियो में आपत्तिजनक, अपमानजनक और सांप्रदायिक भाषा प्रयोग करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। FIR में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धाराएं लगाई गई हैं, जो धार्मिक भावनाओं को आहत करने, समुदायों में वैमनस्य फैलाने और शांति भंग करने के उद्देश्य से अपमानजनक कृत्य से संबंधित हैं।
कोलकाता पुलिस ने बताया कि उन्हें कई बार समन भेजा गया लेकिन वे हर बार फरार पाई गईं। अंततः गुड़गांव से उन्हें विधिक प्रक्रिया के तहत गिरफ़्तार किया गया और फिर उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर अदालत में पेश किया गया।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भी शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी को लेकर टीएमसी पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया, “जब रामनवमी और हनुमान जयंती के जुलूसों पर पथराव होता है या हिंदू मंदिरों को तोड़ा जाता है, तब पुलिस की तत्परता कहां गायब हो जाती है?”
शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने न सिर्फ सोशल मीडिया पर हलचल मचाई है, बल्कि अब यह मुद्दा राजनीतिक रूप से गरमा गया है। पवन कल्याण के बयान ने बहस को और गहरा कर दिया है कि क्या धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा में भी राजनीति और पक्षपात अपना स्थान बना चुकी है?