चिन्नास्वामी स्टेडियम भगदड़ हादसे की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश, 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई
चिरौरी न्यूज
बेंगलुरु: कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने बुधवार को एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुई भगदड़ की घटना की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी किए हैं। इस हादसे में कम से कम 11 लोगों की मौत और 40 से अधिक घायल हुए थे।
सरकारी आदेश के अनुसार, बेंगलुरु अर्बन जिले के डिप्टी कमिश्नर और जिला मजिस्ट्रेट, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जी. जगदीशा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। आंतरिक विभाग (कानून एवं व्यवस्था) के उप सचिव द्वारा बुधवार शाम को यह आदेश जारी किया गया।
15 दिन में जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के निर्देश
आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जांच अधिकारी को 15 दिनों के भीतर पूरी जांच कर रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी होगी। जांच में भगदड़ के कारणों, घटनाक्रम, हुई चूकों और उन चूकों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान की जाएगी।
यह आदेश राज्य के पुलिस महानिदेशक एवं महानिरीक्षक एम.ए. सलीम की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें बताया गया है कि 4 जून को दोपहर 3:30 से 4:30 बजे के बीच विदान सौधा और चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए थे।
भीड़ के दबाव से एक बैरिकेड टूट गया, जिससे लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे और भगदड़ मच गई। इस भयावह घटना में 11 लोगों की जान चली गई और 47 लोग घायल हो गए।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने प्रेस कांफ्रेंस में मजिस्ट्रेट जांच की घोषणा करते हुए मृतकों के परिजनों को ₹10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा की है। साथ ही, राज्य सरकार ने हादसे को देखते हुए विदान सौधा से चिन्नास्वामी स्टेडियम तक की विजय रैली को पहले ही रद्द कर दिया था, ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
पुलिस ने बताया कि मंगलवार रात से ही भीड़ को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा रहा था। पूरी रात पुलिस बल तैनात रहा और हालात को काबू में रखने की कोशिश की जाती रही।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर शोक जताया। पीएमओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “बेंगलुरु में हुआ हादसा अत्यंत हृदयविदारक है। इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं उन सभी के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करता हूं।”
वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस घटना को “दिल तोड़ने वाला” बताया और X पर लिखा, “जिन परिवारों ने अपने प्रियजनों को खोया, उन्हें मेरी संवेदनाएं। सभी घायलों के शीघ्र और पूर्ण स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इस दुख की घड़ी में मैं बेंगलुरु के लोगों के साथ खड़ा हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “यह त्रासदी एक दर्दनाक याद दिलाती है — कोई भी जश्न एक इंसानी जान से बढ़कर नहीं हो सकता। सार्वजनिक आयोजनों में हर सुरक्षा प्रोटोकॉल की समीक्षा और सख्ती से पालन अनिवार्य है। जान की कीमत सबसे ऊपर है।”
अब सभी की नजर मजिस्ट्रेट जांच पर टिकी है। सवाल ये है कि अगर सरकार को संभावित भीड़ की जानकारी थी, तो सुरक्षा उपाय पर्याप्त क्यों नहीं किए गए? और सबसे अहम — क्या इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा मिलेगी?
राज्य सरकार की रिपोर्ट आने के बाद ही इन सवालों का जवाब मिलेगा।