राजनीतिक घमासान: आरजेडी के मनोज झा की ‘नई आज़ादी की मुहिम’ वाले लेख पर BJP का पलटवार

Political turmoil: BJP hits back at RJD's Manoj Jha's article on 'New Freedom Movement'चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा द्वारा ‘भारत के बुनियादी मूल्यों को पुनः प्राप्त करने के लिए एक नई आज़ादी आंदोलन’ की अपील करते हुए लिखे गए लेख के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखा पलटवार किया है।

BJP के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ और वरिष्ठ नेता सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने मनोज झा के बयान को “वर्तमान भारत की सच्चाई का गलत चित्रण” बताया और इसे जनता के जनादेश का अपमान करार दिया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन ने तो और तीखा हमला करते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर का हवाला दिया और आरोप लगाया कि लालू प्रसाद यादव ने संविधान निर्माता का अपमान किया है। उन्होंने पूछा, “मनोज झा आज़ादी की बात करते हैं—क्या वह लालू यादव से ही आज़ादी चाहते हैं?”

हुसैन ने कहा, “भारत आज वैश्विक स्तर पर सम्मानित हो रहा है। हमारी सेनाएं दुश्मनों की सरहदों के अंदर घुसकर कार्रवाई कर रही हैं। यह समय देश को बांटने वाले बयानों का नहीं है।”

वल्लभ ने कहा, “मैं मनोज झा से कहना चाहता हूं कि बिहार और भारत को वास्तव में आज़ादी चाहिए, लेकिन RJD जैसी पार्टियों की वंशवादी, अराजक और भ्रष्ट राजनीति से।” उन्होंने कहा कि “ऐसे परिवार जो अपने घरों में महिलाओं के आत्मसम्मान को कुचलते हैं, चारा घोटाले और ज़मीन के बदले नौकरी जैसे घोटालों में लिप्त हैं, उन्होंने वंशवाद को ही अपनी विचारधारा बना लिया है।”

उन्होंने यह भी कहा कि बिहार की जनता कभी उस ‘लूट संस्कृति’ और ‘विरासत आधारित शासन’ को माफ नहीं करेगी, जिसे वर्षों तक RJD ने बढ़ावा दिया।

गौरतलब है कि जिस लेख को लेकर विवाद शुरू हुआ, वह रविवार को एक डिजिटल मंच पर प्रकाशित हुआ था, जिसमें मनोज झा ने कहा कि देश को एक नई आज़ादी की आवश्यकता है—एक ऐसी चेतना जो न्याय, एकता और नैतिक साहस को फिर से जगाए।

मनोज झा ने लिखा, “भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ ब्रिटिश राज को समाप्त करने तक सीमित नहीं था। यह एक सभ्यतागत आह्वान था—जिसका उद्देश्य हाशिए पर खड़े लोगों को सशक्त बनाना और एक समावेशी समाज का निर्माण करना था।”

उन्होंने चिंता जताई कि लोकतांत्रिक स्थान सिमट रहा है, सार्वजनिक संस्थाओं की विश्वसनीयता कम हो रही है और विभाजनकारी नैरेटिव्स को बढ़ावा मिल रहा है।

इस पूरे घटनाक्रम ने बिहार और देश की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे दिया है, जिसमें राजनीतिक नैतिकता, लोकतांत्रिक मूल्यों और वंशवाद पर गहरी खींचतान देखी जा रही है।

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