एससीओ बैठक में साझा बयान पर नहीं बनी सहमति, भारत ने आतंकवाद पर चिंता जताने की बात की

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में साझा बयान को अपनाने में असफलता के कुछ ही घंटों बाद, भारत ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद पर अपनी चिंताओं को दस्तावेज़ में शामिल करना चाहता था, जो एक विशेष देश को स्वीकार्य नहीं था। इसी वजह से साझा बयान पर सहमति नहीं बन सकी।
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बैठक में आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरपंथ को क्षेत्रीय शांति और विश्वास के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया और इसके खिलाफ वैश्विक एकजुटता की अपील की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में बताया, “मैं समझता हूं कि रक्षा मंत्री साझा बयान को अपनाने में असफल रहे। कुछ सदस्य देश कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बना सके और इसलिए दस्तावेज़ को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। भारत की ओर से हम चाहते थे कि आतंकवाद पर हमारी चिंताएं इसमें परिलक्षित हों, जो एक विशेष देश को स्वीकार नहीं था।”
बैठक को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। उन्होंने बताया कि भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार आतंक के ढांचे को ध्वस्त करने के लिए आत्मरक्षा का अधिकार प्रयोग किया।
उन्होंने एससीओ देशों से दोहरे मापदंडों को नकारने और आतंक के प्रायोजकों को जिम्मेदार ठहराने की अपील की।
जायसवाल ने कहा, “रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में एससीओ सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी स्वरूपों और अभिव्यक्तियों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी दोहराया कि आतंकवादी गतिविधियों के आयोजकों, वित्तपोषकों, समर्थकों को जवाबदेह ठहराना चाहिए और न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए।”
रक्षा मंत्री की यह चीन यात्रा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के एक महीने बाद हुई है, जिसके तहत भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ उच्च-मूल्य आतंकवादी ढांचों पर लक्षित हवाई हमले किए थे।
एससीओ बैठक में राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा, “आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं रहे।” उन्होंने भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराया।
चीन द्वारा आयोजित इस दो दिवसीय बैठक में ईरान, पाकिस्तान, रूस, बेलारूस, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान सहित सभी सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों ने भाग लिया।