अश्विन ने भारतीय गेंदबाज़ों की आलोचना पर ब्रॉडकास्टर्स को लगाई फटकार, “एक को जिम्मेदार ठहराना गलत”

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत और इंग्लैंड के बीच लीड्स में खेले गए पहले टेस्ट में 371 रन का रिकॉर्ड लक्ष्य हासिल कर भारत को हराने के बाद, टीम इंडिया के गेंदबाज़ों पर जमकर सवाल उठे। लेकिन अब वरिष्ठ ऑफ स्पिनर रवीचंद्रन अश्विन ने इस आलोचना को एकतरफा बताया है और ब्रॉडकास्टर्स व कमेंटेटरों पर करारा प्रहार किया है।
अपने यूट्यूब चैनल पर बोलते हुए अश्विन ने कहा, “जब इंग्लैंड ने 370 रन का लक्ष्य हासिल किया, तो पूरा फोकस भारतीय गेंदबाज़ों की आलोचना पर चला गया। कमेंट्री का नैरेटिव ही बदल गया। लेकिन थोड़ा होमवर्क किया होता, तो समझ में आता कि इंग्लैंड में चौथी पारी में बड़े लक्ष्य पीछा करते हुए कई बार सफलताएं मिली हैं।”
बल्लेबाज़ों पर भी उठाए सवाल
अश्विन ने कहा कि केवल गेंदबाज़ नहीं, बल्लेबाज़ भी हार के लिए उतने ही ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने भारतीय बल्लेबाज़ों से “डैडी हंड्रेड्स” बनाने की बात कही। “हां, हमारे पास चार-पांच शतकवीर थे, लेकिन क्या उनमें कोई बड़ी पारी थी? 150 या 200 तक ले जाकर मैच को एकतरफा बना देने वाला शतक? निचले क्रम से हमें रन की उम्मीद नहीं कर सकते, यह मान लेना होगा कि हमारे तेज़ गेंदबाज़ बल्लेबाज़ी में योगदान नहीं दे पाएंगे। ऐसे में टॉप ऑर्डर को ज़्यादा ज़िम्मेदारी लेनी होगी,” अश्विन ने कहा।
गेंदबाज़ी रणनीति पर दी सलाह
हालांकि अश्विन ने जसप्रीत बुमराह की गेंदबाज़ी की तारीफ की, लेकिन साथ ही अन्य गेंदबाज़ों को कड़ी लाइन और लेंथ पर टिके रहने की सलाह दी।
“टेस्ट क्रिकेट में मेडन ओवर की अहमियत कम आंकी जाती है। मैं तो कहूंगा कि बुमराह अगर थोड़े महंगे भी हों, तो बाकी गेंदबाज़ों को कम रन देने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। आपने पहले दिन अगर ढीली गेंदबाज़ी की, तो बाद में दबाव बनाने के लिए रिसोर्स ही नहीं बचता,” अश्विन ने कहा।
“मुझे एक शो में सुनने को मिला कि सिराज को विकेट नहीं मिले क्योंकि वह अनलकी थे। लेकिन आप इकॉनमी रेट कैसे नजरअंदाज़ कर सकते हैं? टेस्ट में तीन मेडन फेंक दो, चौथे ओवर में विकेट खुद-ब-खुद आएगा। खासकर इंग्लैंड जैसी टीम के खिलाफ, अगर आप दो रन प्रति ओवर दे रहे हो, तो वो भी मेडन जैसा ही है,” उन्होंने जोड़ा।
अश्विन की यह टिप्पणी भारतीय क्रिकेट में एक संतुलित सोच को दर्शाती है, जहां हार का विश्लेषण सिर्फ एक विभाग पर थोपने की बजाय पूरे प्रदर्शन को देखना ज़रूरी है। जैसे-जैसे सीरीज़ आगे बढ़ेगी, देखना होगा कि भारतीय टीम इस आलोचना और सुझावों से कैसे सीख लेती है।