गावस्कर ने की कपिल देव की फिटनेस की तारीफ, बोले- आज के गेंदबाज़ जिम में वजन उठाकर हो रहे हैं चोटिल

Gavaskar praised Kapil Dev's fitness, said- today's bowlers are getting injured by lifting weights in the gymचिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने एक बार फिर अपने बेबाक अंदाज में मौजूदा पीढ़ी के तेज गेंदबाज़ों की फिटनेस पर सवाल उठाए हैं और 1980-90 के दशक के दिग्गज ऑलराउंडर कपिल देव की फिटनेस को एक मिसाल बताया है। उन्होंने कहा कि कपिल देव और उस दौर के गेंदबाज़ जिम में भारी वजन उठाने की बजाय मैदान पर गेंदबाज़ी और फिटनेस पर ज्यादा ध्यान देते थे, जिसकी वजह से वे लगातार क्रिकेट खेल सके।

एजबेस्टन में चल रहे भारत बनाम इंग्लैंड दूसरे टेस्ट के दौरान जब ऑन-एयर उनसे पूछा गया कि कपिल देव और जवागल श्रीनाथ जैसे गेंदबाज़ कैसे बिना आधुनिक तकनीक, संसाधन और रिकवरी के लगातार क्रिकेट खेल पाए, तो गावस्कर ने सीधा जवाब दिया – “उन्होंने वही किया जो उनके पेशे की ज़रूरत थी।”

गावस्कर ने कहा, “कपिल देव शायद ही कभी जिम में जाते थे। वह मैदान पर दौड़ते रहते थे, फिर नेट्स में 5-6 बल्लेबाज़ों को गेंदबाज़ी करते थे, उसके बाद खुद बल्लेबाज़ी करने आते थे और दोबारा गेंदबाज़ी करते थे। उनका पूरा शरीर गेंदबाज़ी के लिए तैयार रहता था। वे एक बेहतरीन एथलीट थे। उन्होंने अपने प्रोफेशन की डिमांड को समझा और उसी के अनुसार ट्रेनिंग की।”

गावस्कर का यह बयान आज के तेज गेंदबाज़ों पर एक अप्रत्यक्ष तंज माना जा रहा है, जो जिम में भारी वजन उठाने पर ज़्यादा ध्यान देते हैं, लेकिन फिर भी बार-बार चोटिल हो जाते हैं।

भारत के प्रमुख तेज गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह को हाल के वर्षों में पीठ और स्ट्रेस फ्रैक्चर जैसी गंभीर चोटों से जूझना पड़ा है, जिसके चलते इंग्लैंड के मौजूदा पांच टेस्ट मैचों की सीरीज़ में भी उन्हें सिर्फ तीन मुकाबलों तक ही सीमित रखा गया है। मोहम्मद शमी भी बार-बार चोटिल होकर लंबे समय तक बाहर रहे हैं।

नई पीढ़ी के तेज़ गेंदबाज़ मयंक यादव और उमरान मलिक जैसे खिलाड़ी भी अपनी गति से सबको प्रभावित तो कर रहे हैं, लेकिन बार-बार चोटिल होने के कारण नियमित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेल पा रहे।

गावस्कर की बात मौजूदा क्रिकेट के एक बड़े मुद्दे को उजागर करती है – क्या आधुनिक फिटनेस तकनीकें और जिम में भारी ट्रेनिंग तेज गेंदबाज़ों को फायदा पहुंचा रही हैं, या उनका करियर छोटा कर रही हैं?

यह बहस अब तेज़ हो चुकी है और भारतीय टीम मैनेजमेंट को भी अब गेंदबाज़ों की फिटनेस मैनेजमेंट के तरीके पर दोबारा विचार करने की ज़रूरत है।

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