कच्छातिवु विवाद पर सीएम स्टालिन का प्रधानमंत्री मोदी से सीधा हस्तक्षेप करने का आग्रह, बीजेपी का पलटवार

CM Stalin urges PM Modi to directly intervene in Kachchativu dispute, BJP hits backचिरौरी न्यूज

चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कच्छातिवु द्वीप विवाद का समाधान निकालने और श्रीलंकाई जेलों में बंद भारतीय मछुआरों और जब्त की गई नावों को वापस लाने के लिए सीधे हस्तक्षेप की मांग की है।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि बीते 10 वर्षों में केंद्र सरकार तमिल मछुआरों की सुरक्षा करने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कच्छातिवु मुद्दे को सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए उठाया जा रहा है, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

“श्रीलंका के दावों पर क्यों चुप हैं विदेश मंत्री?”

स्टालिन ने सवाल किया कि जब श्रीलंका के मत्स्य मंत्री डगलस देवानंदा यह दावा करते हैं कि तमिलनाडु के मछुआरे बार-बार अतिक्रमण करते हैं और कच्छातिवु द्वीप वापस नहीं किया जाएगा, तो भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दावों का खंडन क्यों नहीं कर रहे हैं।

उन्होंने याद दिलाया कि तमिलनाडु विधानसभा पहले ही कच्छातिवु को पुनः प्राप्त करने के लिए प्रस्ताव पारित कर चुकी है, और वह स्वयं कई बार प्रधानमंत्री से इस मुद्दे को उठा चुके हैं।
“डीएमके सरकार कच्छातिवु को वापस लेने के अपने प्रयासों को जारी रखेगी,” उन्होंने कहा।

बीजेपी का पलटवार: “कांग्रेस और डीएमके ने ही किया था कच्छातिवु सौंपने का काम”

बीजेपी प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने स्टालिन पर पलटवार करते हुए कहा कि 1974 में जब कच्छातिवु श्रीलंका को सौंपा गया, तब केंद्र में कांग्रेस और राज्य में डीएमके की सरकार थी। “डीएमके ने उस समय कुछ नहीं किया, जब उन्होंने केंद्र में 14 वर्षों तक सत्ता साझा की,” तिरुपाठी ने कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में श्रीलंकाई नौसेना द्वारा मछुआरों पर कोई फायरिंग नहीं हुई, जबकि कांग्रेस शासन में करीब 1,000 मछुआरे मारे गए थे। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा सरकार ने एक मछुआरे को फांसी की सज़ा से भी बचाया है।

श्रीलंका द्वारा जब्त भारतीय मछली पकड़ने वाली नावों की नीलामी और उससे मछुआरों की आजीविका पर संकट के सवाल पर तिरुपाठी ने कहा कि भारत और श्रीलंका के तमिल मछुआरों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। “जब तक दोनों पक्षों के बीच आपसी बातचीत नहीं होती, समस्या का हल संभव नहीं है,” उन्होंने कहा।

वहीं समुद्री और कूटनीति विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ कच्छातिवु द्वीप को वापस लेना समस्या का स्थायी समाधान नहीं है।
उनका कहना है कि असल समस्या भारतीय जलक्षेत्र में मछलियों की घटती संख्या है, जिसकी वजह से मछुआरे श्रीलंकाई जलसीमा में घुसने को मजबूर हो जाते हैं।

विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि भारत को श्रीलंका से एक दीर्घकालिक पट्टा या मछली पकड़ने के अधिकारों के लिए समझौता करना चाहिए, बजाय केवल द्वीप की भू-स्वामित्व पर जोर देने के।

जैसे-जैसे 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, कच्छातिवु विवाद एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है। डीएमके और बीजेपी दोनों ही इस पर एक-दूसरे को घेरने की रणनीति अपना रहे हैं।

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