अमेरिका के TRF को आतंकवादी संगठन घोषित करने पर जयशंकर बोले, आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका सहयोग की मजबूत पुष्टि

On America declaring TRF a terrorist organization, Jaishankar said, a strong confirmation of India-US cooperation against terrorism
(File Pic: Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अमेरिका द्वारा द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का मुखौटा संगठन है, को विदेशी आतंकवादी संगठन (FTO) और वैश्विक विशेष रूप से नामित आतंकवादी (SDGT) घोषित किए जाने के फैसले का भारत ने स्वागत किया है। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस निर्णय को भारत-अमेरिका के आतंकवाद विरोधी सहयोग की “मजबूत पुष्टि” बताया है।

डॉ. जयशंकर ने शुक्रवार को सोशल मीडिया मंच X पर लिखा, “भारत-अमेरिका आतंकवाद विरोधी सहयोग की एक मजबूत पुष्टि। TRF—जो कि लश्कर-ए-तैयबा का एक मुखौटा संगठन है—को FTO और SDGT घोषित करने के लिए @SecRubio और @StateDept की सराहना करता हूं। इसने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता। #OpSindoor”

अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने गुरुवार को इस फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने, और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाने वाले हमलों पर सख्त प्रतिक्रिया देने के ट्रंप प्रशासन के संकल्प को दर्शाता है।

रुबियो ने कहा, “TRF को विदेशी आतंकवादी संगठन और वैश्विक नामित आतंकवादी की सूची में शामिल करना, अमेरिका की सुरक्षा और वैश्विक न्याय की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”

उन्होंने यह भी बताया कि TRF ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी, जिनमें से 25 पर्यटक थे और एक स्थानीय पोनीवाला भी मारा गया था। मारे गए लोगों को धर्म के आधार पर पहचाना गया था और फिर गोलीबारी की गई थी। मृतकों में नेपाल का एक नागरिक भी शामिल था।

यह हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत में हुआ सबसे घातक नागरिक हमला माना जा रहा है।

TRF पर लगाए गए प्रतिबंधों से इसके वित्तीय संसाधनों पर रोक लगेगी, इसके सदस्यों पर अंतरराष्ट्रीय निगरानी बढ़ेगी और पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी नेटवर्कों पर भी दबाव बढ़ेगा।

भारत ने लंबे समय से TRF को वैश्विक आतंकवादी संगठन के रूप में मान्यता देने की मांग की थी। अमेरिका का यह कदम नई दिल्ली के लिए एक राजनयिक जीत माना जा रहा है और इस संदेश को स्पष्ट करता है कि नए नामों से काम करने वाले आतंकी संगठन भी जवाबदेही से नहीं बच सकते।

यह निर्णय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस बयान के बाद आया है, जिसमें UNSC ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की थी और अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता पर बल दिया था।

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