छांगुर केस में नया खुलासा: रेड डायरी में दर्ज हैं कई नेताओं और अफसरों के नाम
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: धार्मिक धर्मांतरण गिरोह के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन की विदेशी फंडिंग से जुड़े ₹106 करोड़ के मामले में अब एक ‘रेड डायरी’ सामने आई है, जिसने जांच एजेंसियों की सक्रियता और बढ़ा दी है। यह डायरी उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (ATS) द्वारा की गई छापेमारी के दौरान बरामद की गई है और इसमें कथित तौर पर कई राजनेताओं और पूर्व अधिकारियों के नाम दर्ज हैं, जिन्हें छांगुर बाबा द्वारा 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान वित्तीय सहायता मिली थी।
ATS, स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) सहित कई एजेंसियां अब इस रेड डायरी की पड़ताल कर रही हैं, जिसे ₹106 करोड़ के विदेशी फंड से जुड़े नेटवर्क का संभावित प्रमाण माना जा रहा है।
चमत्कारी वस्तुओं के विक्रेता से राजनीतिक फाइनेंसर बनने तक
बलरामपुर जिले के रेहरा माफी गांव का निवासी जमालुद्दीन, जिसे छांगुर बाबा या पीर बाबा के नाम से जाना जाता है, ने अपने करियर की शुरुआत साइकिल पर अंगूठियां और ताबीज बेचने से की थी। लेकिन एक दशक में ही वह करोड़ों की वित्तीय साम्राज्य खड़ा करने में कामयाब हो गया।
उसकी आर्थिक सफलता का मुख्य आधार पश्चिम एशियाई देशों से प्राप्त विदेशी चंदा बताया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, उसके 40 से अधिक सक्रिय बैंक खातों के जरिए लगभग ₹106 करोड़ की रकम आई। बलरामपुर और महाराष्ट्र के लोनावला में स्थित उसकी दो संपत्तियों की कीमत ₹18 करोड़ से अधिक आंकी गई है। लोनावला की संपत्ति अगस्त 2023 में खरीदी गई थी और यह बाबा तथा उसके एक सहयोगी के नाम पर रजिस्टर्ड है।
ED के अनुसार, यह संपत्ति मोहम्मद अहमद खान नामक व्यक्ति ने बाबा को बेची थी, जो बाबा के खातों में पैसे भेजने वाले संदिग्धों में भी शामिल है।
राजनीतिक कनेक्शन
अब जांच का केंद्र छंगूर बाबा द्वारा तैयार किए गए कथित राजनीतिक नेटवर्क की ओर मुड़ गया है। सूत्रों के अनुसार, रेड डायरी में दर्जनों राजनेताओं के नाम हैं जिन्हें छंगूर बाबा से भारी नकद मदद मिली थी।
डायरी की एक एंट्री में उत्रौला विधानसभा क्षेत्र के एक पूर्व प्रत्याशी को ₹90 लाख दिए जाने का उल्लेख है। हालांकि वह चुनाव हार गया था, लेकिन डायरी के अनुसार, छंगूर बाबा वर्ष 2027 के चुनावों में उसी सीट से एक पूर्व IPS अधिकारी को समर्थन देने की योजना बना रहा था।
बताया जा रहा है कि छंगूर बाबा ने बलरामपुर और आसपास के इलाकों में कई विधानसभा और लोकसभा चुनावों में न सिर्फ धन लगाया, बल्कि अपने अनुयायियों को सामूहिक रूप से मतदान के लिए भी प्रेरित किया।
गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद, जिसकी हत्या 2023 में हुई थी, के साथ छंगूर बाबा की तस्वीरें भी पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं।
धार्मिक धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग
छंगूर बाबा को 5 जुलाई को लखनऊ के एक होटल से नीतू उर्फ नसीरीन के साथ गिरफ्तार किया गया था। उन पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों— विधवाओं, दिहाड़ी मजदूरों, अनुसूचित जाति के लोगों— को पैसे, शादी का झांसा और अन्य लालच देकर जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है।
STF द्वारा बलरामपुर में दर्ज मामले के बाद, 9 जुलाई को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत स्वतंत्र जांच शुरू की।
ED यह भी जांच कर रहा है कि क्या यह धनराशि किसी शेल कंपनी या तीसरे पक्ष के संगठन के माध्यम से भेजी गई थी, जिनका संबंध FCRA उल्लंघन के आरोपों में जांच के दायरे में आए संस्थानों से हो सकता है।
17 जुलाई को ED ने एक साथ 14 ठिकानों पर छापे मारे— जिनमें 12 उत्रौला और 2 मुंबई में थे। साथ ही, स्थानीय प्रशासन ने छंगूर बाबा के गांव से 3 किलोमीटर दूर मधुपुर गांव में उसकी अवैध रूप से निर्मित एक इमारत को ढहा दिया। जांच में पता चला कि यह इमारत सरकारी जमीन पर बनी थी, जिसमें 15 CCTV कैमरे और दो गार्ड डॉग्स तैनात थे। यह भवन लंबे समय से संदेह के घेरे में था।
जांच एजेंसियों की माने तो छंगूर बाबा का नेटवर्क केवल धर्मांतरण तक सीमित नहीं था, बल्कि उसने राजनीतिक फंडिंग से लेकर विदेशी चंदा और संपत्ति निवेश तक का एक संगठित तंत्र खड़ा कर रखा था, जिसका विस्तार अब धीरे-धीरे सामने आ रहा है।