राष्ट्र पहले, राजनीति बाद में”: शशि थरूर ने कांग्रेस नेतृत्व से मतभेद की अटकलों के बीच दी स्पष्टता

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद डॉ. शशि थरूर ने शनिवार को कोच्चि में ‘शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास’ विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि राष्ट्र सर्वोपरि है और राजनीतिक दल सिर्फ देश को बेहतर बनाने के साधन हैं।
कांग्रेस नेतृत्व से कथित मतभेदों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के प्रति हालिया समर्थन को लेकर उठे सवालों के बीच थरूर ने कहा, “आपकी पहली निष्ठा किसके प्रति है? मेरे लिए राष्ट्र पहले आता है। पार्टियां देश को बेहतर बनाने का माध्यम हैं। हर पार्टी को यह अधिकार है कि वह इस उद्देश्य को अपने तरीके से प्राप्त करने की कोशिश करे।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर केंद्र सरकार और सशस्त्र बलों का समर्थन करने के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।
“कई लोगों ने मेरी आलोचना की क्योंकि मैंने हमारी सेना और सरकार के साथ खड़ा होने का निर्णय लिया, खासकर हाल की घटनाओं के दौरान। लेकिन मैं अपने रुख पर कायम रहूंगा, क्योंकि मुझे लगता है कि यह देश के हित में है,” उन्होंने दो टूक कहा।
एक छात्र द्वारा कांग्रेस नेतृत्व के साथ उनके रिश्तों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में थरूर ने कहा, “जब हम जैसे लोग कहते हैं कि हम अपनी पार्टी का सम्मान करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में दूसरे दलों के साथ सहयोग ज़रूरी है, तो कुछ पार्टियों को लगता है कि यह उनके प्रति अस्थिरता है। यहीं से समस्या शुरू होती है।”
थरूर ने आगे कहा कि लोकतंत्र में राजनीति प्रतिस्पर्धा पर आधारित होती है, लेकिन संकट के समय साझा प्रयासों की आवश्यकता होती है।
“अपने 16 वर्षों के राजनीतिक जीवन में मैंने हमेशा समावेशी विकास की बात की है। मैं समावेशिता में, विकास में और राष्ट्रीय हित में विश्वास करता हूँ,” उन्होंने कहा।
बाद में पत्रकारों से बातचीत में थरूर ने दोहराया कि “राष्ट्र पहले” हमेशा से उनकी मार्गदर्शक सोच रही है।
“मैं भारत लौटकर केवल देश की सेवा करने के लिए आया था— राजनीति के ज़रिये और उसके बाहर भी,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर पर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सौंपे जाने के बाद उनके पार्टी के साथ मतभेदों की अटकलें बेबुनियाद हैं।
एक छात्र के सवाल पर जवाब देने को लेकर थरूर ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “मैंने अब तक इन मुद्दों पर सार्वजनिक रूप से चर्चा से परहेज किया, लेकिन छात्र के सवाल ने मुझे उत्तर देने को प्रेरित किया।”
थरूर ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को उद्धृत करते हुए कहा, “भारत के नष्ट होने पर कौन जीवित रहेगा?” और सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे राष्ट्रीय संकट के समय अपने मतभेदों को किनारे रखें।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक कूटनीति में ऊर्जा और सक्रियता की प्रशंसा करते हुए थरूर द्वारा लिखे गए एक लेख को लेकर कांग्रेस के भीतर भी आलोचना हुई थी, जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी साझा किया था, जिससे उनके कांग्रेस नेतृत्व से रिश्तों पर और अटकलें तेज हो गई थीं।
हालांकि, थरूर ने साफ कर दिया है कि राष्ट्रहित के मुद्दों पर वह किसी भी राजनीतिक सीमा को पार कर सही के साथ खड़े रहेंगे, चाहे आलोचना हो या समर्थन।